मोतिहारी: बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान की फिल्म दंगल 2016 में सुनहले पर्दे पर आई थी. जो उस साल की सुपर-डुपर हिट रही. इस मूवी में आमिर खान ने महावीर सिंह फोगाट का किरदार निभाया था. जो अपनी दोनों बेटियों को उनकी इच्छा के विपरीत कुश्ती सिखाता और पहलवान बनाता है.
पिता ने छोड़ी नौकरी
मोतिहारी के सुधीर कुमार सिंह दंगल के महावीर सिंह(आमिर खान) के नक्शे कदम पर अपना जीवन जी रहे हैं. दरअसल अपने बच्चों में खेल के प्रति रुचि को देखकर उन्होंने पहले सीआरपीएफ की नौकरी छोड़ी और फिर एक ताइक्वांडो क्लब की स्थापना की. इसमें वे अपने बच्चों के साथ-साथ शहर की अन्य बच्चियों को भी ताइक्वांडो सीखने का मौका देते हैं. सुधीर सिंह ने अपने बच्चों के लिए महावीर सिंह से भी दो कदम आगे बढ़कर काम किया है. उन्होंने अपने बच्चों के लिए अपना भविष्य कुर्बान कर दिया.
सुधीरसिंह का जीवन
दरअसल सुधीर कुमार सिंह सीआरपीएफ के जवान थे. उन्होंने खुद मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली है. उन्हें तीन बेटी और एक बेटा है. वे सभी ताइक्वांडो खिलाड़ी हैं. उनका दस वर्षीय पुत्र नेशनल चैम्पियन भी है. सुधीर कहते हैं कि नौकरी छोड़कर उन्हें सुकून है. उन्हें जरा भी पछतावा नहीं है.
किस तरह देखा भविष्य
वर्ष 2015 में सुधीर कुमार अपने बच्चों को एक ताइक्वांडो क्लब में ले गए. महज कुछ टिप्स देने के बाद उन्होंने बच्चों को माहिर खिलाड़ियों के बीच छोड़ दिया. लेकिन आशा के विपरीत पहले दिन ही उनके बच्चों के शरीर की फूर्ति और पैरों के किक को देखकर लोग हैरान हो गए. उन्होंने तत्काल अपने बच्चों को उस ताइक्वांडो क्लब में शामिल कर दिया. लेकिन उस ताइक्वांडो क्लब में होने वाली राजनीति और माहौल के मद्देनजर बाद में उन्होंने अपने बच्चों को वहां से हटा लिया.
किस तरह हुई क्लब की स्थापना
बच्चों की खेल में रुचि को देख सुधीर सिंह ने पहले अपनी नौकरी छोड़ी. उसके बाद एक ताइक्वांडो क्लब की स्थापना कर उसका रजिस्ट्रेशन कराया. जगह की खोज में वे एक मंदिर के पुजारी से मिले. उन्होंने अपनी बात रखी जिसके बाद मंदिर पुजारी ने मंदिर परिसर की खाली जमीन इस नेक काम के लिए दे दी.
खुद से देते हैं ट्रेनिंग
सुधीर सिंह ने जिले के नरसिंह बाबा मंदिर के प्रांगण में क्लब खोलकर अपने बच्चों को खुद के खर्चे पर समान खरीदकर ट्रेनिंग देना शुरु किया. धीरे-धीरे इस क्लब के खुलने की जानकारी मिलने पर अन्य बच्चे जुड़ने लगे. फिलहाल इस क्लब में 80 बच्चे ताइक्वांडो सिखते हैं. कमाल की बात कि यहां मुफ्त में ताइक्वांडो की ट्रेनिंग दी जाती है. बच्चों की संख्या बढ़ने पर सुधीर ने अपने खर्च पर ही एक कोच को रखा. यही नहीं ताइक्वांडो से जुड़े सारे साजो-सामान को उन्होंने खुद अपने बूते पर खरीदा है.