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सालों से बंद पड़ा है रोहतास उद्योग का कारखाना, चुनाव से पहले नेता करने लगे वादे - Rohtas Industries Group

रोहतास उद्योग समूह को दोबारा चालू कराना राजनीतिज्ञों के लिए चुनावी मुद्दा बन गया है. लेकिन हर बार ये मुद्दा सियासत की राह में भटक जाता है.

रोहतास
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Published : Mar 10, 2019, 7:25 PM IST

रोहतासः जब-जब चुनाव आते हैं राजनीतिज्ञ वोट पाने के लिए मुद्दे तलाश ही लेते हैं, हम बात कर रहे है बिहार के रोहतास जिले के रोहतास उद्योग समूह की जो अब यहां के लोगों की दुखती नब्ज बन गया है. जिसका फायदा उठाते हुए राजनीतिज्ञों ने झूठ का सहारा लेकर अब जनता को छलना शुरू कर दिया है.

आपकों बता दें कि रोहतास उद्योग समूह के बंद पड़े इस कारखाने की आधारशिला आजादी से पहले रखी गई थी. लेकिन 80 के दशक में राजनीतिक उलझनों की वजह से यह उद्योग समूह बंद हो गए थे. जिसके चलते फैक्ट्री में काम कर रहे लोग दो जून की रोटी को तरस गए था. बावजूद इसके किसी ने इस फैक्ट्री को शुरू कराने की जहमत नहीं उठाई.

जानकारी देते नेता

सियासत की राह में भटक रहा मुद्दा

कभी इस कारखाने की चिमनियां धुआं उगलती थी तो मजदूर का पेट पलता था, लेकिन आज कारखाने की चिमनियों में जंग लग गई हैं. राजनीतिक उदासीनता ने इस इलाके की औद्योगिक करण को नष्ट कर दिया है. लेकिन हर बार ये मुद्दा सियासत की राह में भटक जाता है. बहरहाल, अब देखना दिलचस्प होगा कि 2019 के चुनाव में राजनीतिक दल डालमियानगर उद्योग समूह को फिर से चुनावी मुद्दा बनाकर चुनावी वैतरणी पार कर पाते हैं या नहीं.

रोहतासः जब-जब चुनाव आते हैं राजनीतिज्ञ वोट पाने के लिए मुद्दे तलाश ही लेते हैं, हम बात कर रहे है बिहार के रोहतास जिले के रोहतास उद्योग समूह की जो अब यहां के लोगों की दुखती नब्ज बन गया है. जिसका फायदा उठाते हुए राजनीतिज्ञों ने झूठ का सहारा लेकर अब जनता को छलना शुरू कर दिया है.

आपकों बता दें कि रोहतास उद्योग समूह के बंद पड़े इस कारखाने की आधारशिला आजादी से पहले रखी गई थी. लेकिन 80 के दशक में राजनीतिक उलझनों की वजह से यह उद्योग समूह बंद हो गए थे. जिसके चलते फैक्ट्री में काम कर रहे लोग दो जून की रोटी को तरस गए था. बावजूद इसके किसी ने इस फैक्ट्री को शुरू कराने की जहमत नहीं उठाई.

जानकारी देते नेता

सियासत की राह में भटक रहा मुद्दा

कभी इस कारखाने की चिमनियां धुआं उगलती थी तो मजदूर का पेट पलता था, लेकिन आज कारखाने की चिमनियों में जंग लग गई हैं. राजनीतिक उदासीनता ने इस इलाके की औद्योगिक करण को नष्ट कर दिया है. लेकिन हर बार ये मुद्दा सियासत की राह में भटक जाता है. बहरहाल, अब देखना दिलचस्प होगा कि 2019 के चुनाव में राजनीतिक दल डालमियानगर उद्योग समूह को फिर से चुनावी मुद्दा बनाकर चुनावी वैतरणी पार कर पाते हैं या नहीं.

Intro:Desk bihar
report -Ravi kumar/sasaram
Slug- Rohtas_Udhyog_pkg_story_special

जब जब चुनाव आते हैं राजनीतिज्ञ मुद्दे तलाश ही लेते हैं दरअसल हम बात कर रहे हैं बिहार के रोहतास जिले में कभी एशिया में स्थान रखने वाले रोहतास उद्योग समूह की जो अब यहां के लोगों की दुखती नब्ज तो जरूर बन गया है पर एक बार फिर चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है स्पेशल रिपोर्ट


Body:रोहतास उद्योग समूह का बंद पड़ा यह कारखाना है आजादी से पहले ही इस की आधारशिला रखी गई थी लेकिन 80 के दशक में ट्रेड यूनियनों और राजनीतिक उलझनों के कारण यह उद्योग समूह बंद हो गया कितने परिवारों की रोजी रोटी बंद हो गई इस फैक्ट्री में काम करने वाले लोग एक जून रोटी के लिए तरसने लगे उसके बाद किसी ने इस फैक्ट्री को शुरू कराने की जहमत नहीं उठाई
हर साल रोहतास उद्योग समूह को फिर से चालू कराना एक चुनावी मुद्दा बनता है लेकिन यह मुद्दा ही बनकर रह जाता है पिछले दशक में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री हुए तो उन्होंने बंद पड़े इस डालमियानगर उद्योग समूह को रेलवे द्वारा अधिग्रहण किया गया लेकिन फिर भी जीर्णोद्धार के कार्य नही हो सके ।
। ऐसा नहीं है कि इसके लिए प्रयास नहीं हुआ काराकाट संसदीय क्षेत्र में आने वाले इस इलाके के लिए स्थानीय सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कई प्रयास किए बंद पड़े कारखाने के स्क्रैप की नीलामी भी हुई साथ ही कारखाना अस्थल तक रेल लाइन बिछाने का टेंडर भी हो गया लेकिन विकास की जो रफ्तार अन्य योजनाओं में दिख रही है वह इस कारखाना को शुरू करने में नहीं दिखी आलम यह है कि इस बार भी चुनाव में मुद्दा बनने जा रहा है खासकर डेहरी विधानसभा के उपचुनाव में भी डालमियानगर का उद्योग समूह चालू कराना मुद्दा बन गया है जेडीयू और भाजपा के लोग दबे जुबान से ही सही यह स्वीकार करते हैं कि सरकार द्वारा पहल की गई है लेकिन फिर भी यह चुनावी मुद्दा बनेगा ही



Conclusion:बहरहाल कभी इस कारखाने की चिमनियां धुआं उगलती थी तो मजदूर का पेट पलता था लेकिन आज कारखाने की चिमनी ओ को जंग खा गए हैं राजनीतिक उदासीनता ने इस इलाके की औद्योगिक करण को नष्ट कर दिया है देखना दिलचस्प होगा कि 2019 के चुनाव में डालमियानगर उद्योग समूह को फिर से चुनावी मुद्दा बनाकर राजनीतिक दल फिर से चुनावी वैतरणी पार कर पाते हैं
बाईट - अमरेंद्र पाल - राजद
बाईट - सत्यानारायण यादव - भाजपा
बाईट - रवि कुमार - स्थानीय
बाईट - विकास कुमार - जदयू

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