मोतिहारी: नेपाल से आए पानी ने पूर्वी चंपारण जिले के कई प्रखंडों में जमकर तांडव मचाया है. बाढ़ के पानी में लोगों की जलसमाधि भी बन गई. फिर भी सरकारी स्तर पर मृतकों की सूची के साथ हेर फेर किया जा रहा है. जिला प्रशासन जिले में कुल 14 मौत होने की पुष्टि कर रहा है तो बिहार सरकार पूरे जिले में 16 जुलाई तक 33 लोगों की मौत होने की बात कह रहा है. जबकि मोतिहारी सदर अस्पताल के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आंकड़े कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं.
जिले में विगत 8 जुलाई से शुरु हुई बारिश कहर बनकर टूट पड़ी है. 14 जुलाई तक हुई बारिश ने जिले में बाढ़ का रूप ले लिया. इसी बीच नेपाल से पानी भी जिले में पहुंच गया जिसमें डूबकर कुल 32 लोगों की मौत हो गई. लेकिन जिला प्रशासन मात्र 14 मौत होने की पुष्टि कर रहा है. ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो पता चला कि 8 जुलाई से 16 जुलाई के बीच कुल 32 लोगों के शव का पोस्टमॉर्टम सदर अस्पताल में हुआ है.
मृतकों के आंकड़ों में हेराफेरी
इधर, आपदा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने मोतिहारी पहुंचे. उन्होंने पूरे बिहार के मृतकों का जो आंकड़ा दिया, वह और भी चौंकाने वाला है. उन्होंने दावा किया कि 16 जुलाई तक बाढ़ में मरने वालों की संख्या 33 है जबकि मोतिहारी सदर अस्पताल में 32 वैसे लोगों के शव का पोस्टमॉर्टम किया गया है, जिनकी मौत बाढ़ के कारण हुई.
ऐसा क्यों कर रही सरकार?
अब सवाल उठता है कि यदि जिले में कुल 32 लोगों की मौत बाढ़ से हुई है तो जिला प्रशासन और राज्य सरकार मृतकों के आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ क्यों कर रही है. जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पानी में डूबकर मरने की बात कह रहा है.
क्या कहते हैं आंकड़े-
- 8 जुलाई को दो बच्चों के शव का पोस्टमॉर्टम हुआ.
- 12 जुलाई को 3 शव का पोस्टमॉर्टम किया गया.
- 13 जुलाई को एक शव का पोस्टमॉर्टम हुआ.
- 14 जुलाई को 9 लोगों के शव का पोस्टमार्टम किया गया.
- 15 जुलाई को भी 9 लोगों के शव का पोस्टमॉर्टम हुआ.
- 16 जुलाई को 8 शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया.