दरभंगा: डॉक्टर बनने का सपना देख रही सिंहवाड़ा ब्लॉक के टेकटार गांव के गरीब मजदूर परिवार की बेटी प्रियंका की आंखों की रोशनी वापस लौटाने की जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) की कोशिशें रंग लाने लगी हैं. डालसा के सचिव और दरभंगा सिविल कोर्ट के एडीजे दीपक कुमार के आदेश पर मंगलवार को प्रियंका को डीएमसीएच लाया गया. यहां उसकी आंखों की जांच हुई.
'डीएमसीएच में इलाज हुआ शुरू'
प्रियंका के पिता शंकर दास ने कहा कि वे गरीब आदमी हैं. रोज मजदूरी करते हैं तो परिवार को रोटी मिलती है. गरीबी की वजह से उनके लिए बेटी की आंखों की रोशनी वापस लौटाना संभव नहीं है. जज साहब की पहल पर बेटी का डीएमसीएच में इलाज शुरू हुआ है. तो उम्मीद की आस जगी है कि उनकी बेटी की आंखें ठीक हो जाएंगी.
'50-60 प्रतिशत तक ठीक हो सकती की आंखे'
प्रियंका की आंखों की जांच करने वाले डीएमसीएच के के सीनियर रेजिडेंट चिकित्सक डॉ. कुंदन कुमार सिंह ने कहा कि इसकी आंखें पूरी तरह ठीक नहीं हो पाएंगी. दाईं आंख की रोशनी 50-60 प्रतिशत वापस आ सकती हैं. लेकिन इसका इलाज केवल मुंबई में होता है. इलाज का खर्च लगभग 2 लाख रुपये से भी ज्यादा आएगा.
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'डॉक्टर की सलाह पर करवाया जाएगा इलाज'
डालसा के पीएलवी इंद्रजीत कुमार ने कहा कि डीएमसीएच के ओपीडी में प्रियंका की आंखों की जांच हुई है. डॉक्टर की सलाह के अनुसार प्रियंका का इलाज कराया जाएगा. सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का इलाज कराया जा सकता है. इसी से प्रियंका की आंखों की रोशनी वापस लाने की कोशिश की जाएगी.
'प्रियंका में पढ़ने की ललक'
वहीं, दरभंगा सिविल कोर्ट के एडीजे सह डालसा के सचिव दीपक कुमार ने कहा कि उन्हें जब प्रियंका की पढ़ने की प्रबल इच्छा और उसकी आंखों की रोशनी चले जाने की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने पीएलवी से मामले की जांच कराई. इसके बाद उन्होंने टेकटार पंचायत के मुखिया-सरपंच और कमतौल थानाध्यक्ष से रिपोर्ट मांगी. रिपोर्ट में परिवार की स्थिति बेहद खराब बताई. वे डालसा की ओर से इस बच्ची की आंखों की रोशनी वापस लाए जाने और इस परिवार की स्थिति सुधारने की हर संभव कोशिश करेंगे.