नई दिल्ली: अस्मिता पटेल जो खुद को "शेयर बाजार की शी वुल्फ" और "ऑप्शन क्वीन" कहती थीं. अस्मिता पटेल अब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच के तहत आ चुकी है. नियामक की जांच से पता चला कि पटेल के ट्रेडिंग दावे और उनके अस्मिता पटेल ग्लोबल स्कूल ऑफ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से किए गए वादे बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए थे.
बाजार नियामक सेबी ने 'फिनइनफ्लुएंसर' अस्मिता पटेल और अस्मिता पटेल ग्लोबल स्कूल समेत छह पक्षों को पूंजी बाजार से बैन कर दिया है. इन्हें कथित रूप से अनरजिस्टर्ड निवेश सलाहकार सेवाओं के लिए बैन किया गया. सेबी ने विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए प्रतिभागियों से शुल्क के रूप में ली गई 53 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वापस करने का निर्देश भी दिया है.
सेबी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया
सेबी ने अंतरिम सह कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें स्कूल और उसके निदेशकों से अवैध रूप से अर्जित लगभग 54 करोड़ रुपये की आय जब्त की गई. नोटिस में एलएमआईटी और एमपीएटी जैसे कार्यक्रमों के लिए कोर्स फीस के रूप में एकत्र किए गए 104 करोड़ रुपये के बारे में भी स्पष्टीकरण मांगा गया, जिसमें 300% तक रिटर्न का वादा किया गया था.
फिनइनफ्लूएंसर कौन है?
वित्तीय परामर्श देकर लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले व्यक्तियों को फिनइनफ्लूएंसर कहते हैं.
सेबी ने इन लोगों को किया बैन
सेबी ने पारित एक अंतरिम आदेश एवं कारण बताओ नोटिस के जरिए छह पक्षों- अस्मिता पटेल ग्लोबल स्कूल ऑफ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड (एपीजीएसओटी), अस्मिता जितेश पटेल, जितेश जेठालाल पटेल, किंग ट्रेडर्स, जेमिनी एंटरप्राइज और यूनाइटेड एंटरप्राइजेज को पूंजी बाजार से बैन कर दिया.
सेबी के आदेश के अनुसार नियामक ने इन छह पक्षों से यह भी पूछा है कि विभिन्न कार्यक्रमों के लिए शुल्क के रूप में लिए गए 104.63 करोड़ रुपये उनसे क्यों न वसूले जाएं और उन्हें जब्त क्यों न किया जाए.
यह मामला अस्मिता पटेल ग्लोबल स्कूल ऑफ ट्रेडिंग के पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाले व्यक्तियों से संबंधित है. सेबी के आदेश में कहा गया है कि उन्हें मुनाफे के अतिरंजित वादों से गुमराह किया गया और शेयर बाजार से जुड़ी सामान्य शिक्षा के लिए उच्च शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया.