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दरभंगा: चंद्रधारी संग्रहालय में 12 हजार कलाकृतियों का है अनोखा संगम, कई हस्तियों का हुआ है आगमन

संग्रहालय की सामग्री और व्यवस्था के आधार पर इसे कुल 11 दीर्घाओं में बांटा गया है. जिसमें 12 हजार से अधिक सुरक्षित वस्तुओं में धातु, हाथी के दांत, लकड़ी और मिट्टी से निर्मित वस्तुओं की आप झलक पा सकते हैं. इस संग्रहालय को देखने के लिए देश की कई बड़ी हस्तियों का आगमन हो चुका है.

चंद्रधारी संग्रहालय
चंद्रधारी संग्रहालय
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Published : Mar 12, 2020, 12:03 PM IST

दरभंगा: मिथिला की सांस्कृतिक कलाकृति को समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने के उद्देश्य से चंद्रधारी संग्रहालय की स्थापना 7 दिसंबर 1957 को की गई थी. इसका सबसे पहले नाम मिथिला संग्रहालय रखा गया. मधुबनी जिले के रांटी सूबे के जमींदार बाबू चंद्रधारी सिंह ने बहुत सी कलाकृति और धरोहरों को दान स्वरूप इस संग्रहालय को दिया था. जिसके कारण बाद में इसका नाम बदलकर चंद्रधारी संग्रहालय रख दिया गया. बता दें कि संग्रहालय आम दर्शकों के लिए सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक खुला रहता है.

दरभंगा
कुछ ऐसा है नजारा

देश की बड़ी हस्तियों का हो चुका है आगमन
संग्रहालय की सामग्री और व्यवस्था के आधार पर इसे कुल 11 दीर्घाओं में बांटा गया है. जिसमें 12 हजार से अधिक सुरक्षित वस्तुओं में धातु, हाथी के दांत, लकड़ी और मिट्टी से निर्मित वस्तुओं की यहां आप झलक पा सकते हैं. इस संग्रहालय को देखने के लिए देश की कई बड़ी हस्तियों का आगमन हो चुका है. जिसमें प्रमुखत: लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, डॉ. जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साथ ही कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों का नाम शामिल है. फिलहाल इसे देखने के लिए दर्शकों को कोई शुल्क नहीं लगता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कलाकृति और वस्तुकला की है अनोखी दीर्घा
संग्रहालय पहुंचे पर्यटकों ने कहा कि पुराने जमाने के जितने भी कलाकृति और वस्तु हैं. उसे देखने के लिए हम यहां आए हैं. हमारे परिजन बताते हैं कि संग्रहालय में राजा-महाराजाओं के जितने भी पुराने धरोहर हैं. वो सारी चीजें यहां देखने को मिलती हैं. यहां पर रखे प्राचीन सामानों को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. वहीं, संग्रहालय के एक कर्मचारी ने कहा कि यहां मिथिला की कलाकृति और राजा-महाराजाओं की बहुत सारी प्राचीन वस्तुएं रखी हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि बहुत सारे बहुमूल्य वस्तुओं को दीर्घा में स्पेशल रूम बनाकर रखा गया है.

दरभंगा
सांस्कृतिक कलाकृति

दरभंगा: मिथिला की सांस्कृतिक कलाकृति को समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने के उद्देश्य से चंद्रधारी संग्रहालय की स्थापना 7 दिसंबर 1957 को की गई थी. इसका सबसे पहले नाम मिथिला संग्रहालय रखा गया. मधुबनी जिले के रांटी सूबे के जमींदार बाबू चंद्रधारी सिंह ने बहुत सी कलाकृति और धरोहरों को दान स्वरूप इस संग्रहालय को दिया था. जिसके कारण बाद में इसका नाम बदलकर चंद्रधारी संग्रहालय रख दिया गया. बता दें कि संग्रहालय आम दर्शकों के लिए सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक खुला रहता है.

दरभंगा
कुछ ऐसा है नजारा

देश की बड़ी हस्तियों का हो चुका है आगमन
संग्रहालय की सामग्री और व्यवस्था के आधार पर इसे कुल 11 दीर्घाओं में बांटा गया है. जिसमें 12 हजार से अधिक सुरक्षित वस्तुओं में धातु, हाथी के दांत, लकड़ी और मिट्टी से निर्मित वस्तुओं की यहां आप झलक पा सकते हैं. इस संग्रहालय को देखने के लिए देश की कई बड़ी हस्तियों का आगमन हो चुका है. जिसमें प्रमुखत: लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, डॉ. जाकिर हुसैन, जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साथ ही कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों का नाम शामिल है. फिलहाल इसे देखने के लिए दर्शकों को कोई शुल्क नहीं लगता है.

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कलाकृति और वस्तुकला की है अनोखी दीर्घा
संग्रहालय पहुंचे पर्यटकों ने कहा कि पुराने जमाने के जितने भी कलाकृति और वस्तु हैं. उसे देखने के लिए हम यहां आए हैं. हमारे परिजन बताते हैं कि संग्रहालय में राजा-महाराजाओं के जितने भी पुराने धरोहर हैं. वो सारी चीजें यहां देखने को मिलती हैं. यहां पर रखे प्राचीन सामानों को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. वहीं, संग्रहालय के एक कर्मचारी ने कहा कि यहां मिथिला की कलाकृति और राजा-महाराजाओं की बहुत सारी प्राचीन वस्तुएं रखी हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि बहुत सारे बहुमूल्य वस्तुओं को दीर्घा में स्पेशल रूम बनाकर रखा गया है.

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