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दरभंगा: 139 साल पुराने लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू, सरकार ने निकाली निविदा - बिहार सरकार

लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस वर्ष 1880 में महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह के लिये बनवाया गया था. इस ऐतिहासिक महल के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कई यादें जुड़ी हुई हैं. कई बड़े नेता यहां बैठ कर आजादी की रणनीति बनाया करते थे.

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Published : Jun 8, 2019, 11:58 PM IST

दरभंगा: जिले का 139 साल पुराना लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस के जीर्णोद्धार की कवायद जल्द शुरू होने वाली है. इस महल में फिलहाल कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय चलता है. राज्य सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिये करीब सात करोड़ की राशि स्वीकृत की है. बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड, पटना को इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी दी गयी है.

मालूम हो कि निगम ने इस कार्य की निविदा भी निकाल दी है. निविदा खुलने के तीन सप्ताह के भीतर एजेंसी को काम शुरू करना होगा. नौ महीनों के भीतर काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

जानकारी देते कुलपति

केएसडीएसयू कुलपति ने दी जानकारी
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के आर्किटेक्ट और अधिकारियों ने महल का निरीक्षण किया है. उन्होंने महल के दरवाजे-खिड़कियों की बारीकी से तस्वीरें ली हैं. महल को बिल्कुल उसी रूप में रखा जाएगा, जिस रूप में यह पहले से रहा है. इसके स्वरूप में कुछ भी नया नहीं जोड़ना है. उन्होंने बताया कि जो चीजें यहां बदली जाएंगी वह हू-ब-हू वैसी ही लगेंगी जैसी कि पहले लगी थी.

darbhanga
लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस
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जर्जर हालत

क्या है इतिहास?
बता दें कि लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस वर्ष 1880 में महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह के लिये बनवाया गया था. इस ऐतिहासिक महल के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कई यादें जुड़ी हुई हैं. कई बड़े नेता यहां बैठ कर आजादी की रणनीति बनाया करते थे. इस महल को महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लॉर्ड माउंटबेटेन समेत भारत और दुनिया की कई बड़ी हस्तियों को अतिथि बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. कुछ साल पहले आये भूकंप ने इस महल को जर्जर बना दिया. संस्कृत विवि के कर्मी और अधिकारी यहां डरे-सहमे काम करते हैं.

दरभंगा: जिले का 139 साल पुराना लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस के जीर्णोद्धार की कवायद जल्द शुरू होने वाली है. इस महल में फिलहाल कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय चलता है. राज्य सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिये करीब सात करोड़ की राशि स्वीकृत की है. बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड, पटना को इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी दी गयी है.

मालूम हो कि निगम ने इस कार्य की निविदा भी निकाल दी है. निविदा खुलने के तीन सप्ताह के भीतर एजेंसी को काम शुरू करना होगा. नौ महीनों के भीतर काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

जानकारी देते कुलपति

केएसडीएसयू कुलपति ने दी जानकारी
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के आर्किटेक्ट और अधिकारियों ने महल का निरीक्षण किया है. उन्होंने महल के दरवाजे-खिड़कियों की बारीकी से तस्वीरें ली हैं. महल को बिल्कुल उसी रूप में रखा जाएगा, जिस रूप में यह पहले से रहा है. इसके स्वरूप में कुछ भी नया नहीं जोड़ना है. उन्होंने बताया कि जो चीजें यहां बदली जाएंगी वह हू-ब-हू वैसी ही लगेंगी जैसी कि पहले लगी थी.

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लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस
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जर्जर हालत

क्या है इतिहास?
बता दें कि लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस वर्ष 1880 में महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह के लिये बनवाया गया था. इस ऐतिहासिक महल के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कई यादें जुड़ी हुई हैं. कई बड़े नेता यहां बैठ कर आजादी की रणनीति बनाया करते थे. इस महल को महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लॉर्ड माउंटबेटेन समेत भारत और दुनिया की कई बड़ी हस्तियों को अतिथि बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. कुछ साल पहले आये भूकंप ने इस महल को जर्जर बना दिया. संस्कृत विवि के कर्मी और अधिकारी यहां डरे-सहमे काम करते हैं.

Intro:दरभंगा। 139 साल पुराने राज दरभंगा के महल लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। फिलहाल इस महल में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि चलता है। राज्य सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिये करीब सात करोड़ की राशि स्वीकृत की है। बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड, पटना को इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेवारी दी गयी है। निगम ने कार्य की निविदा निकाल दी है। निविदा खुलने के तीन सप्ताह के भीतर एजेंसी को काम शुरू करना होगा। नौ महीनों के भीतर काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।


Body:विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के आर्किटेक्ट और अधिकारियों ने शुक्रवार को महल का निरीक्षण किया है। उन्होंने महल के दरवाजे-खिड़कियों की सिटकिनी तक की तस्वीरें ली हैं। महल को बिल्कुल उसी रूप में रखा जाएगा, जिस रूप में ये पहले से रहा है। इसके स्वरूप में कुछ भी नया नहीं जोड़ना है बल्कि जो भी चीजें बदली जाएंगी वे हू-ब-हू वैसी ही लगेंगी जैसी कि पहले लगी थीं।


Conclusion:बता दें कि लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस वर्ष 1880 में महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह के लिये बनवाया गया था। इस ऐतिहासिक महल के साथ भारत की आज़ादी की लड़ाई की यादें जुड़ी हुई हैं। कई बड़े नेता यहां बैठ कर आज़ादी की रणनीति बनाया करते थे। इस महल में महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, लॉर्ड माउंटबेटेन समेत भारत और दुनिया की कई बड़ी हस्तियों को अतिथि बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। कुछ साल पहले आये भूकंप ने इस महल को जर्जर बना दिया है। संस्कृत विवि के कर्मी और अधिकारी डरे-सहमे यहां काम करते हैं।

बाइट 1- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, केएसडीएसयू

विजय कुमार श्रीवास्तव
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