दरभंगा: नगर निगम में वर्षों से दैनिक मजदूरी और संविदा पर काम कर रहे करीब 700 सफाई कर्मियों को नौकरी से हटाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. 20 से ज्यादा पार्षदों ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी जिम्मेदारी मेयर बैजंती देवी खेड़िया पर डाल दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि करीब आधे से ज्यादा पार्षदों के विरोध के बावजूद आउटसोर्सिंग पर सफाई का प्रस्ताव पहले नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी और फिर बोर्ड से पास कराकर सरकार को भेज दिया गया. वहीं मेयर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इसे बीजेपी के नगर विधायक संजय सरावगी और पार्षदों की सहमति से पास कराया गया था.
20 से ज्यादा पार्षदों ने किया विरोध
वार्ड 21 की पार्षद मधुबाला सिन्हा ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी की जिस बैठक में आउटसोर्सिंग से सफाई का प्रस्ताव लाया गया था, उसका डिप्टी मेयर समेत 20 से ज्यादा पार्षदों ने विरोध किया था. साथ ही वो सभी बैठक छोड़ कर चले गए थे. इसके बावजूद ये प्रस्ताव पास कराया गया और उसे बोर्ड में भेजा गया. वहां भी इस प्रस्ताव का विरोध हुआ लेकिन उस विरोध को दर्ज किए बिना इसे पास कर सरकार को भेज दिया गया.
उन्होंने कहा कि बिहार में दरभंगा नगर निगम ही वह निकाय था, जिसने आउटसोर्सिंग का प्रस्ताव सबसे पहले जुलाई 2019 में पारित किया था. इसकी वजह से बिहार के सभी नगर निकायों के दैनिक मजदूरी और संविदा पर बहाल सफाई कर्मियों को नौकरी गंवानी पड़ी.
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'राजनीति चमकाने के लिए गलत आरोप'
मेयर बैजंती देवी खेड़िया ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि नगर निगम को सरकार का आदेश मानना पड़ता है. स्टैंडिंग कमेटी और बोर्ड में बीजेपी के नगर विधायक संजय सरावगी के समर्थन के बाद पार्षदों की सहमति से आउटसोर्सिंग का प्रस्ताव पारित किया गया था.
उन्होंने कहा कि किसी पार्षद को धोखे में नहीं रखा गया और न ही उन्हें गुमराह किया गया. कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए गलत आरोप लगा रहे हैं. वहीं मेयर और पार्षदों के एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब दोनों ही पक्ष नौकरी से हटाए गए सफाई कर्मियों के समर्थन में अदालती लड़ाई लड़ने की बात कह रहे हैं.