दरभंगा: जिले में 139 साल पुराना राज महल लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस का जीर्णोद्धार 5 नवंबर से शुरू हो जाएगा. बिहार राज्य आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड की ओर से यह काम होगा. राज्य सरकार ने इसके लिए सात करोड़ की राशि आवंटित कर दी है. वहीं, निगम के अभियंताओं की टीम ने इस महल का निरीक्षण किया. यह महल फिलहाल कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि के अधीन है. जो 2011 में आये भूकंप में जर्जर हो चुका है.
'महल को किया जाएगा रीस्टोर'
संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि इस महल को उसी रूप में रीस्टोर किया जाएगा, जिस रूप में इसे बनाया गया था. उन्होंने बताया कि क्षतिग्रस्त दीवारों, दरवाजे-खिड़कियों को हूबहू बनाया जाएगा. इसके लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीम ने योजना बनाई है. फिलहाल सात करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं इसे और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है.
बता दें कि लक्ष्मेश्वर विलास पैलेस का निर्माण वर्ष 1880 में महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह के लिए कराया गया था. ये महल मुगल और फ्रेंच वास्तुकला का मिलाजुला रूप है. इस महल में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की कई बैठक हुई है. इसमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, इंदिरा गांधी, कई रियासतों के राजा और अंग्रेज अधिकारी समेत तत्कालीन बड़ी हस्तियां आ चुके है.
भूकंप के कई झटके झेल चुका है महल
यह महल भूकंप के कई झटके झेल चुका है.1934 के भूकंप में महल का ऊपरी टावर ध्वस्त हो गया था. इसके बाद महाराजा डॉ. कामेश्वर सिंह ने पुनर्निर्माण कराया था. 2011 और 15 में आए भूकंप में महल को काफी नुकसान पहुंचा.
विदेशों में भी होती है इसकी खूबसूरती की चर्चा
दरभंगा राज परिवार के महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह के दौरान 1880-86 में लक्ष्मीविलास पैलेस का निर्माण हुआ था. विश्व प्रसिद्ध ब्रिटिश आर्किटेक्ट मेजर मंट ने इसका नक्शा बनाया था. वहीं, फ्रांसीसी आर्किटेक्ट डीबी मारसेल ने इसका निर्माण किया था. लाल और पीले रंग के इस पैलेस में करीब 100 कमरे हैं. इसका दरबार हॉल, फ्रांस के दरबार हॉल का नैनो वर्जन माना जाता है. इसकी खूबसूरती और सुविधाओं की चर्चा विदेशों में भी की जाती है.