दरभंगा: घनश्यामपुर थाना में पदस्थापित एक दारोगा राम प्रवेश राम ( Ram Pravesh Ram ) का रिश्वत लेते एक वीडियो सोशल मीडिया ( Video Viral On Social Media ) पर तेजी से वायरल हो रहा है. दारोगा पर आरोप है कि उन्होंने मारपीट के एक केस में कुछ लोगों का नाम हटाने के लिए 10 हजार की रिश्वत मांगी. जिसकी एक किश्त लेते हुए किसी ने सामने से उनका वीडियो बना लिया.
इस वीडियो के वायरल होने के बाद दरभंगा एसएसपी बाबू राम (SSP Babu Ram ) ने बिरौल एसडीपीओ मनीष कुमार चौधरी ( SDPO Manish Choudhary ) को जांच की जिम्मेवारी सौंपी. बिरौल एसडीपीओ ने जांच रिपोर्ट एसएसपी को भेज दी है. जांच रिपोर्ट के बाद एसएसपी ने आरोपित दारोगा को सस्पेंड कर दिया है. उधर आरोपी दारोगा रामप्रवेश राम का कहना है कि यह वीडियो झूठा है और उन्हें षड्यंत्र के तहत बदनाम किया जा रहा है.
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दरअसल, वायरल वीडियो में दिख रहा है कि एक व्यक्ति चौकी पर बैठे हुए दारोगा रामप्रवेश राम को कुछ रुपए देता है. दारोगा पैसे गिन कर हाथ में रखते हैं और बाकी पैसे की मांग करते हैं. सामने वाला व्यक्ति उनसे कुछ पैसे कम कर देने की गुजारिश करता है तो वे कहते हैं कि पैसा कम नहीं होगा.
सामने वाला व्यक्ति जब कहता है कि आरोपी फिलहाल दिन में गांव में रहता है और रात में पुलिस की दबिश के डर से नानी के घर जाकर सोता है. वह दारोगा से पूछता है कि पैसे दे देने के बाद क्या केस का आरोपी गांव में रात में रह सकता है तो दारोगा जी कहते हैं कि हां लेकिन पहले 10 हजार दे दो, उसके बाद. दारोगा जी कहते हैं कि पैसे दे दोगे तो 2 लोगों का नाम केस में से हटा दिया जाएगा.
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इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद दरभंगा के एसएसपी बाबूराम ने बिरौल एसडीपीओ मनीष कुमार चौधरी को मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है. बिरौल एसडीपीओ ने यह जांच पूरी कर ली है. उन्होंने कहा कि वरीय अधिकारियों के निर्देश पर मामले की जांच की गई है और उन्हें रिपोर्ट सौंपी जा रही है. उन्होंने कहा कि दरभंगा पुलिस भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है. वरीय अधिकारियों के आदेश पर इसका पूरी तरह से पालन किया जा रहा है.
उधर, आरोपी दारोगा रामप्रवेश राम ने कहा कि वायरल वीडियो गलत है और उन्हें षड्यंत्र के तहत फंसाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव किया था और एक व्यक्ति के घर पर जाकर तोड़फोड़ की थी. इसी मामले में उन्होंने कुछ लोगों को जेल भेजा था. इसी के प्रतिशोध में गलत ढंग से यह वीडियो बनाया गया है और इसे वायरल किया गया है.