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दरभंगा: झमाझम बारिश से तो खुश हैं किसान, लेकिन उफनाती नदियां कहीं तबाह न कर दें उनकी फसलें

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Published : Jul 11, 2020, 10:54 PM IST

दरभंगा में धान की खेती की जा रही है. बारिश जहां, किसानों को सुकून दे रही है. वहीं, उनमें एक डर भी पैदा कर रही है.

दरभंगा से ईटीवी भारत की रिपोर्ट
दरभंगा से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

दरभंगा: साल 2020 किसानों के लिए अब तक अच्छा नहीं रहा है. फरवरी से लेकर अप्रैल के अंत तक हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से ने रबी की फसलों को खासा नुकसान पहुंचाया था. अब बाढ़ कहर बरपाने को तैयार है.

रबी सीजन में गेहूं और मूंग की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा. गेहूं की फसल पक कर तैयार खड़ी थी. लेकिन बेमौसम हुई बारिश से ये फसल सड़ गई. इस मुसीबत पर कोरोना की वजह से लागू हुआ लॉकडाउन भी हावी हुआ. अब, जब खरीफ की फसल की शुरूआत के लिए किसानों ने कर्ज लेकर धान की खेती करनी शुरू की, तो बाढ़ की डर उन्हें सताने लगा है.

दरभंगा से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डराने लगी नदियां
बारिश होते ही नदियां उफनाने लगी है. ऐसे में किसान बाढ़ की आशंका से परेशान हैं. वे भगवान भरोसे धान रोपनी में जुट गए हैं. सिंहवाड़ा प्रखंड के टेकटार और जाले प्रखंड के कमतौल में बड़े पैमाने पर धान की खेती हो रही है. स्थानीय किसान जगदेव दास ने कहा कि अच्छी बारिश देखकर, वे लोग धान की खेती कर रहे हैं. इससे वो अपना कर्ज चुकाना चाहते हैं. अगर ऐसी ही बारिश होती रही, तो फसल बहुत अच्छी होगी. लेकिन जिस तरह से नदी में उफान है. उससे अगर बाढ़ आ गई, तो फसल डूब जाएगी.

उफनाने लगी नदियां
उफनाने लगी नदियां

किसान महेंद्र ने कहा कि बारिश के भरोसे धान की खेती तो कर रहे हैं. लेकिन अगर यही बारिश बाढ़ लेकर आती है, तो सारी मेहनत पानी में चली जाएगी. अभी से कुछ कहना सही नहीं होगा. किसान तो उम्मीद पर ही फसल लगाता है.

धान की खेती
धान की खेती

वहीं, दनिया देवी ने कहा कि ट्रैक्टर से खेत जोतवा कर धान रोपने के लिए तैयार किया है. उसमें बीज खरीद कर डाला गया है. अब धान की रोपनी हो रही है. अगर अच्छी बारिश होती रही, तब तो अच्छी फसल होगी. लेकिन अगर बाढ़ आई, तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हर बार जोखिम उठा कर ही वे लोग खेती करते हैं.

मुसीबत में किसान
जब जब प्राकृतिक आपदा आती है. उससे सबसे ज्यादा कोई प्रभावित होता है, तो वो किसान होता है. कभी बेमौसम बारिश, तो कभी ओलावृष्टि. कभी बाढ़ की मार, तो कभी सुखाड़. ऐसे में दरभंगा के किसान भगवान से सिर्फ फसलों को लेकर कामना करते नजर आ रहे हैं.

दरभंगा: साल 2020 किसानों के लिए अब तक अच्छा नहीं रहा है. फरवरी से लेकर अप्रैल के अंत तक हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से ने रबी की फसलों को खासा नुकसान पहुंचाया था. अब बाढ़ कहर बरपाने को तैयार है.

रबी सीजन में गेहूं और मूंग की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा. गेहूं की फसल पक कर तैयार खड़ी थी. लेकिन बेमौसम हुई बारिश से ये फसल सड़ गई. इस मुसीबत पर कोरोना की वजह से लागू हुआ लॉकडाउन भी हावी हुआ. अब, जब खरीफ की फसल की शुरूआत के लिए किसानों ने कर्ज लेकर धान की खेती करनी शुरू की, तो बाढ़ की डर उन्हें सताने लगा है.

दरभंगा से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

डराने लगी नदियां
बारिश होते ही नदियां उफनाने लगी है. ऐसे में किसान बाढ़ की आशंका से परेशान हैं. वे भगवान भरोसे धान रोपनी में जुट गए हैं. सिंहवाड़ा प्रखंड के टेकटार और जाले प्रखंड के कमतौल में बड़े पैमाने पर धान की खेती हो रही है. स्थानीय किसान जगदेव दास ने कहा कि अच्छी बारिश देखकर, वे लोग धान की खेती कर रहे हैं. इससे वो अपना कर्ज चुकाना चाहते हैं. अगर ऐसी ही बारिश होती रही, तो फसल बहुत अच्छी होगी. लेकिन जिस तरह से नदी में उफान है. उससे अगर बाढ़ आ गई, तो फसल डूब जाएगी.

उफनाने लगी नदियां
उफनाने लगी नदियां

किसान महेंद्र ने कहा कि बारिश के भरोसे धान की खेती तो कर रहे हैं. लेकिन अगर यही बारिश बाढ़ लेकर आती है, तो सारी मेहनत पानी में चली जाएगी. अभी से कुछ कहना सही नहीं होगा. किसान तो उम्मीद पर ही फसल लगाता है.

धान की खेती
धान की खेती

वहीं, दनिया देवी ने कहा कि ट्रैक्टर से खेत जोतवा कर धान रोपने के लिए तैयार किया है. उसमें बीज खरीद कर डाला गया है. अब धान की रोपनी हो रही है. अगर अच्छी बारिश होती रही, तब तो अच्छी फसल होगी. लेकिन अगर बाढ़ आई, तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हर बार जोखिम उठा कर ही वे लोग खेती करते हैं.

मुसीबत में किसान
जब जब प्राकृतिक आपदा आती है. उससे सबसे ज्यादा कोई प्रभावित होता है, तो वो किसान होता है. कभी बेमौसम बारिश, तो कभी ओलावृष्टि. कभी बाढ़ की मार, तो कभी सुखाड़. ऐसे में दरभंगा के किसान भगवान से सिर्फ फसलों को लेकर कामना करते नजर आ रहे हैं.

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