दरभंगा: अपनी जल संपदा के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध मिथिलांचल का इलाका इस बार भीषण जल संकट के दौर से गुजर रहा है. दरभंगा में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते नजर आ रहे है. हालांकि लोग इस संकट से उबरने के उपाय भी ढूंढने में जुट गए हैं.
पानी के किल्लत के बीच लोगों ने उन पुराने कुंओं की तरफ अपना ध्यांन आकृष्ट किया है जिन से कभी नाता तोड़ नल-कूप की तरफ खुद को मोड़ लिया था. ये वो कुएं हैं जिन्हे लोगों ने अनुपयोगी मान कर वर्षों पहले कूड़े-कचरे से भर दिया था. हालांकि परस्थितिवश लोग अब कुंओं की साफ-सफाई में जुट गए हैं.
कुएं की उड़ाही में जुटे युवा
मुफ़्ती मोहल्ले के 10 युवाओं की एक टीम 40 साल से कूड़े-कचरे से भरे कुएं की उड़ाही शुरू कर दी है. युवा मो. उमर कहते हैं कि कुआं करीब एक सौ साल पुराना है. इसकी खुदाई वर्ष 1921 में हुई थी. लोगों ने इसे अनुपयोगी मान कर कूड़े-कचरे से भर दिया था. इस बार के रमजान में पानी की एक-एक बूंद के लिये तरसना पड़ा. इसलिए मोहल्ले के युवाओं को इकट्ठा कर इस कुएं की उड़ाही शुरू की है. उम्मीद है कि बहुत जल्द कुएं से पानी निकलेगा. इसे जांच करा कर पीने योग्य बनायेंगे. अगर यह पीने लायक नहीं भी हुआ तब इसके पानी का उपयोग नहाने और कपड़े धोने के लिए करेंगे. मोहल्ले के गरीब लोगों को इससे काफी राहत मिलेगी. उन्होने शहर के युवाओं अपील करते हुए कहा कि इस संकट के दौर में बेकार पड़े कुएं की उड़ाही करने के लिए आगे आए. उनकी टोली इसमें शहर के लोगों की मदद भी करेगी.
तीन सौ साल पुराना कुंआ बना सहारा
जल संकट के इस दौर में शहर के मशहूर चिकित्सक रहे स्व. डॉ. गणपति मिश्र का कुंआ भी आकर्षण का केन्द्र है. लालबाग स्थित आवासीय परिसर में करीब तीन सौ साल सेल यह कुआं उपयोग में आ रहा है. तीन सौ साल पुराना कुआं आज भी उपयोगी है. इसका पानी दैनिक जीवन में पीने के काम में आ रहा है. परिसर के मालिक मोदनाथ मिश्र ने बताया कि भीषण जल संकट में यह कुआं आसपास के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है.
40 फीट ऊपर तक तक है पानी
इस कुएं से आस-पास के लोगों की कई पीढ़ियों ने उपयोग में लाया है. दरभंगा में जबव जल स्तर दो-ढाई सौ फीट नीचे चला गया है. ऐसे में इस कुएं में 40 फ़ीट ऊपर तक तक पानी है. इसके पानी का उपयोग पीने में भी होता है. वे इस कुएं की सफाई भी करवाते हैं. जिले में बेकार पड़े पुराने कुओं की उड़ाही करवाएं करवाकर जल संकट से राहत मिल सकती है.