पटना: यहां के अंतरज्योति नेत्रहीन बालिका विद्यालय की छात्राएं अपनी प्रतिभाओं से सब को स्तब्ध कर रही हैं. यहां की लड़कियां अपने हौसले के दम पर नेशनल लेवल प्रतियोगिता तक पहुंच गई हैं. साथ ही कई राजकीय पुरस्कार पर भी अपना कब्जा जमा चुकी हैं.
यहां तकरीबन 100 छात्राएं पढ़ाई करती हैं. सभी छात्राएं राज्य भर के कोने-कोने से आकर यहां अपना जीवन संवारने में जुटी हैं. इस नेत्रहीन विद्यालय में कई ऐसे छात्राएं हैं जिसके पास कई तरह की प्रतिभाएं हैं. कोई खेल में, कोई योग में तो कोई पढ़ने-लिखने में महारत हासिल कर रही हैं.
राजकीय पुरस्कार से सम्मानित
यहां पढ़ने वाली वर्षा नाम की छात्रा को कविताएं लिखने में महारत हासिल है. उस कविताओं की वजह से कई बार उन्हें राजकीय पुरस्कार भी मिल चुका है. कई छात्राएं ऐसे भी हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर खेल में कई पदक भी प्राप्त किए हैं. इस स्कूल की चार नेत्रहीन छात्राएं दिल्ली में हुए बाल श्री सम्मान से सम्मानित भी हुईं हैं. इन छात्राओं ने उन लोगों को पछाड़ा है जो देख सकते हैं.
हर छात्रा में है हुनर
बिहार नेत्रहीन परिषद की ओर से संचालित इस स्कूल की 9वीं क्लास की छात्रा लाडो और कविता जहां क्राफ्ट वर्क और सिंगिंग के लिए सेलेक्ट हुई हैं. वहीं, 8वीं क्लास की नसरीन और 10वीं की छात्रा वर्षा कविता ने प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखा कर लोगों को सतब्ध कर दिया.
मन की आखों से देखती हैं दुनिया
यहां की शिक्षिकाओं का कहना है कि कभी ऐसा नहीं लगता है ये छात्राएं देख नहीं सकती हैं. ये अपनी हुनर से समय-समय पर साबित करती रही हैं कि सिर्फ आंखों से नहीं देखा जाता है, मन की आंखों से देखने पर चीजें और भी बेहतर दिखती हैं. शिक्षिका आशा बताती हैं कि ये छात्राएं कई बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि यहां कि छात्रा काजल को 2016 में सिंगिंग के लिए बाल श्री पुरस्कार मिल चुका है.
नेशनल लेवल प्रतियोगिता के लिए चयन
स्कूल के प्रधानाचार्य बताते हैं कि यहां कि छात्राएं आर्ट क्राप्ट में अपना ज्यादा हुनर दिखाती हैं. अपने हाथों की कलाकारी से वो राखी और कई तरह के हैंडबैग बनाती हैं. फिलहाल ये छात्राएं अपने टैंलेंट के बल पर नेशनल लेवल के प्रतियोगिता के लिए सिलेक्ट हुईं हैं. इस प्रतियोगिता में अलग-अलग क्षेत्र में बच्चों का चयन होता है.