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दिव्यांग छात्राओं को 'रोशनी' दे रहा यह स्कूल, कई को मिल चुका है राजकीय पुरस्कार

राजधानी पटना स्थित अंतरज्योति नेत्रहीन बालिका विद्यालय की छात्राएं अपने हुनर से लोगों को सतब्ध कर रही हैं. ये छात्राएं विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपना परचम लहरा रही हैं.

पढ़ाई करती स्कूल की छात्राएं
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Published : Feb 28, 2019, 5:07 PM IST

पटना: यहां के अंतरज्योति नेत्रहीन बालिका विद्यालय की छात्राएं अपनी प्रतिभाओं से सब को स्तब्ध कर रही हैं. यहां की लड़कियां अपने हौसले के दम पर नेशनल लेवल प्रतियोगिता तक पहुंच गई हैं. साथ ही कई राजकीय पुरस्कार पर भी अपना कब्जा जमा चुकी हैं.

यहां तकरीबन 100 छात्राएं पढ़ाई करती हैं. सभी छात्राएं राज्य भर के कोने-कोने से आकर यहां अपना जीवन संवारने में जुटी हैं. इस नेत्रहीन विद्यालय में कई ऐसे छात्राएं हैं जिसके पास कई तरह की प्रतिभाएं हैं. कोई खेल में, कोई योग में तो कोई पढ़ने-लिखने में महारत हासिल कर रही हैं.

राजकीय पुरस्कार से सम्मानित

यहां पढ़ने वाली वर्षा नाम की छात्रा को कविताएं लिखने में महारत हासिल है. उस कविताओं की वजह से कई बार उन्हें राजकीय पुरस्कार भी मिल चुका है. कई छात्राएं ऐसे भी हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर खेल में कई पदक भी प्राप्त किए हैं. इस स्कूल की चार नेत्रहीन छात्राएं दिल्ली में हुए बाल श्री सम्मान से सम्मानित भी हुईं हैं. इन छात्राओं ने उन लोगों को पछाड़ा है जो देख सकते हैं.

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कविता सुनाती छात्रा

हर छात्रा में है हुनर

बिहार नेत्रहीन परिषद की ओर से संचालित इस स्कूल की 9वीं क्लास की छात्रा लाडो और कविता जहां क्राफ्ट वर्क और सिंगिंग के लिए सेलेक्ट हुई हैं. वहीं, 8वीं क्लास की नसरीन और 10वीं की छात्रा वर्षा कविता ने प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखा कर लोगों को सतब्ध कर दिया.

मन की आखों से देखती हैं दुनिया

यहां की शिक्षिकाओं का कहना है कि कभी ऐसा नहीं लगता है ये छात्राएं देख नहीं सकती हैं. ये अपनी हुनर से समय-समय पर साबित करती रही हैं कि सिर्फ आंखों से नहीं देखा जाता है, मन की आंखों से देखने पर चीजें और भी बेहतर दिखती हैं. शिक्षिका आशा बताती हैं कि ये छात्राएं कई बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि यहां कि छात्रा काजल को 2016 में सिंगिंग के लिए बाल श्री पुरस्कार मिल चुका है.

नेशनल लेवल प्रतियोगिता के लिए चयन

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स्कूल के प्रधानाचार्य बताते हैं कि यहां कि छात्राएं आर्ट क्राप्ट में अपना ज्यादा हुनर दिखाती हैं. अपने हाथों की कलाकारी से वो राखी और कई तरह के हैंडबैग बनाती हैं. फिलहाल ये छात्राएं अपने टैंलेंट के बल पर नेशनल लेवल के प्रतियोगिता के लिए सिलेक्ट हुईं हैं. इस प्रतियोगिता में अलग-अलग क्षेत्र में बच्चों का चयन होता है.

पटना: यहां के अंतरज्योति नेत्रहीन बालिका विद्यालय की छात्राएं अपनी प्रतिभाओं से सब को स्तब्ध कर रही हैं. यहां की लड़कियां अपने हौसले के दम पर नेशनल लेवल प्रतियोगिता तक पहुंच गई हैं. साथ ही कई राजकीय पुरस्कार पर भी अपना कब्जा जमा चुकी हैं.

यहां तकरीबन 100 छात्राएं पढ़ाई करती हैं. सभी छात्राएं राज्य भर के कोने-कोने से आकर यहां अपना जीवन संवारने में जुटी हैं. इस नेत्रहीन विद्यालय में कई ऐसे छात्राएं हैं जिसके पास कई तरह की प्रतिभाएं हैं. कोई खेल में, कोई योग में तो कोई पढ़ने-लिखने में महारत हासिल कर रही हैं.

राजकीय पुरस्कार से सम्मानित

यहां पढ़ने वाली वर्षा नाम की छात्रा को कविताएं लिखने में महारत हासिल है. उस कविताओं की वजह से कई बार उन्हें राजकीय पुरस्कार भी मिल चुका है. कई छात्राएं ऐसे भी हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर खेल में कई पदक भी प्राप्त किए हैं. इस स्कूल की चार नेत्रहीन छात्राएं दिल्ली में हुए बाल श्री सम्मान से सम्मानित भी हुईं हैं. इन छात्राओं ने उन लोगों को पछाड़ा है जो देख सकते हैं.

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कविता सुनाती छात्रा

हर छात्रा में है हुनर

बिहार नेत्रहीन परिषद की ओर से संचालित इस स्कूल की 9वीं क्लास की छात्रा लाडो और कविता जहां क्राफ्ट वर्क और सिंगिंग के लिए सेलेक्ट हुई हैं. वहीं, 8वीं क्लास की नसरीन और 10वीं की छात्रा वर्षा कविता ने प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखा कर लोगों को सतब्ध कर दिया.

मन की आखों से देखती हैं दुनिया

यहां की शिक्षिकाओं का कहना है कि कभी ऐसा नहीं लगता है ये छात्राएं देख नहीं सकती हैं. ये अपनी हुनर से समय-समय पर साबित करती रही हैं कि सिर्फ आंखों से नहीं देखा जाता है, मन की आंखों से देखने पर चीजें और भी बेहतर दिखती हैं. शिक्षिका आशा बताती हैं कि ये छात्राएं कई बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल आ चुकी हैं. उन्होंने बताया कि यहां कि छात्रा काजल को 2016 में सिंगिंग के लिए बाल श्री पुरस्कार मिल चुका है.

नेशनल लेवल प्रतियोगिता के लिए चयन

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स्कूल के प्रधानाचार्य बताते हैं कि यहां कि छात्राएं आर्ट क्राप्ट में अपना ज्यादा हुनर दिखाती हैं. अपने हाथों की कलाकारी से वो राखी और कई तरह के हैंडबैग बनाती हैं. फिलहाल ये छात्राएं अपने टैंलेंट के बल पर नेशनल लेवल के प्रतियोगिता के लिए सिलेक्ट हुईं हैं. इस प्रतियोगिता में अलग-अलग क्षेत्र में बच्चों का चयन होता है.

Intro:आपने कई नेत्रहीन विद्यालय देखे और सुने होंगे लेकिन हम आपको जिस नेत्रहीन विद्यालय के बारे में बता रहे हैं उसके छात्र राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं उस पहचान की वजह है योग और खेल और कविताएं इस आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले और रहने वाले हैं छात्राओं में कई तरह की प्रतिभाएं हैं जिसे देखकर आप भी इन की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकते हैं, खास रिपोर्ट


Body:भले ही कुदरत ने इनकी आंखों में रोशनी नहीं दी हो उन्हें किसी को सहारा नहीं मिला,लेकिन अब वो खुद पैरों से चलते हैं और अपनी पढ़ाई कर अपनी जिंदगी संवार रहे हैं,इनकी आंखों में कई उम्मीदें हैं कुछ कर दिखाने की ,हम बात कर रहे हैं राजधानी पटना के नेत्रहीन विद्यालय की जहां पर तकरीबन 100 छात्राएं अपना पठन-पाठन कर रही हैं सभी छात्राएं बिहार के कोने कोने से आकर यहां अपने जीवन सवारने में जुटी हैं इस नेत्रहीन विद्यालय में कई ऐसे छात्राएं हैं जिसके पास कई तरह के प्रतिभाएं हैं कोई खेल में तो कोई योग में तो कोई लिखने पढ़ने में महारत हासिल कर रही हैं ऐसे में एक वर्षा नाम कि छात्रा है जिन्होंने अपनी खुद की सैकड़ों कविताएं लिखी हैं और उस कविताएं की वजह से कई बार इन्हें राजकीय पुरस्कार भी मिल चुका है कई छात्राएं ऐसे हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर खेल में कई पदक भी प्राप्त किए हैं, नेत्रहीन छात्राओं को रोशनी दिखा रहा है,हम बात कर रहे है राजधानी पटना के अंतरज्योति नेत्रहीन बालिका विद्यालय की, जहां कि बच्चों ने अपने हौसलों से अब तक कई कमाल दिखाया है, यहां की लड़कियाां अपने हौसले के दम पर नेशनल लेवल के प्रतियोगिता तक पहुंच गई है। आपको बता दें कि इस स्कूल की 4 नेत्रहीन छात्राएं दिल्ली में हुए बाल श्री सम्मान से सम्मानित हुए हैं। सुनने में आपको तो यह बात समान्य लगी हुई हो लेकिन ये छात्राएं कैसे यहां तक पहुंची उसे जान कर आप भी आश्चर्य चकित रह जाएंगे। इन छात्राओं ने उन लोगों को पछाड़ा जो देख सकते हैं यानि की जिनकी आंखों में रौशनी है वो इन नेत्रहीन छात्राओं के हुनर और हौसले से पस्त हो गई। बिहार नेत्रहीन परिषद की ओर से संचालित इस स्कूल की 9वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्राएं लाडो और कविता जहां क्राफ्ट वर्क और सिंगिंग के लिए सेलेक्ट हुई हैं। वहीं 8वीं क्लास में पढ़ने वाली नासरीन और 10वीं की छात्रा वर्षा कविता प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखा कर लोगों को सतब्ध किया है। यहां की शिक्षिकाओं का कहना है कि कभी ऐसा नहीं लगता है ये छात्राएं देख नहीं सकती हैं। ये अपनी हुनर से समय-समय पर साबित करती रही हैं कि सिर्फ आंखों से नहीं देखा जाता है, मन की आंखों से देखने पर चीजें और भी बेहतर दिखती हैं। शिक्षिका आशा बताती हैं कि ये छात्राएं कभी बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अव्वल आ चुकी हैं। उन्होंने बताया कि यहां कि छात्रा काजल को 2016 में सिंगिंग के लिए बाल श्री पुरुस्कार मिल चुका है। स्कूल के प्रधानाचार्य बताते हैं कि यहां कि छात्राएं आर्ट क्राप्ट में अपना ज्यादा हुनर दिखाती हैं। अपने हाथों की कलाकारी से वो राखी और कई तरह के हैंडबैग बनाती हैं। फिलहाल ये छात्राएं अपने टैंलेंट के बल पर नेशनल लेवल प्रतियोगिता के लिए सेलेक्ट हुई हैंष इस प्रतियोगिता में अलग-अलग क्षेत्र में बच्चों का चयन होता है।


Conclusion:कहते हैं कि हौसलों में अगर जान हो तो आसमां हकीकत भी छोटा पड़ जाता है बिहार वैसे भी हो नारों और विद्वानों की धरती रह चुकी हैं यहां कर्मठता पहले होती है यही कमाल दिख रहा है राजधानी पटना के अंतर ज्योति नेत्रहीन बालिका विद्यालय में जहां भले ही उन्हें कुदरत ने आंखों में रोशनी नहीं दी हो लेकिन अपने आप को कभी भी मायूस नहीं होने दी है सरकार की ओर से नेत्रहीन दिव्यांग छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालय नहीं है लेकिन पटना में एक स्वयंसेवी संस्था बिहार नितिन परिषद की ओर से नेत्र इन लड़कियों का आवासीय विद्यालय कुमरार पटना में चला रहा है कुंवर रूप नारायण सिंह ट्रस्ट की लीज की जमीन पर यह चल रहा है क्या आवासीय विद्यालय अंतर ज्योति बालिका विद्यालय वर्ष 2008 तक इस विद्यालय को सरकार से अनुदान मिला लेकिन अब नहीं मिल रहा है प्रभारी प्रचार की माने तो यह सरकार की उदासीनता है 7 से 8 साल की बेटियों का एडमिशन यहां लिया जाता है पिछले वर्ष 19 नवंबर को शिक्षा मंत्री यहां आए थे इस स्कूल को देखकर काफी प्रभावित हुए उन्होंने एफीलिएशन दिलवा दिया वही अपने वेतन से 1 साल तक ₹10000 महीना देने की बात कही लेकिन सरकारी राशि के तौर पर जो मिली चाहिए वह सुविधा नहीं मिल रही हैं जरूरत है सरकार को नेत्रहीनों के लिए आवासीय विद्यालय बनाने की बाईट-लाडो,छात्रा बाईट-कविता,छात्रा, बाईट-वर्षा,छात्रा बाईट-स्कूल शिक्षका,
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