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'यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चराग जलता है'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार के लिए नैशनल सिक्योरिटी सबसे बड़ा मुद्दा है. इस बजट में इसके लिए खास प्रावधान किया गया है.

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Published : Jul 5, 2019, 11:32 AM IST

निर्मला सीतारमण

पटना/नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश कर रही हैं. बजट में सरकार का जोर राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को गति देने पर है. बजट पेश करने के दौरान निर्मला सीतारमण ने शायरी के जरिए अपनी सरकार के इरादे जताए.

सीतारमण ने बजट शुरू करने से पहले चाणक्य नीति का जिक्र किया. साथ ही उर्दू में शायरी के साथ बजट की शुरुआत की.

वित्त मंत्री ने मशहूर शायर मंजूर हाशमी का शेर पढ़ते हुए कहा कि 'यकीन हो तो कई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चराग जलता है'. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के लिए नैशनल सिक्योरिटी सबसे बड़ा मुद्दा है. इस बजट में इसके लिए खास प्रावधान किया गया है.

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मजबूत देश के लिए मजबूत नागरिक का होना जरूरी है. इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. उन्होंने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर की होगी. इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की जरूरत है.

बजट से क्या है उम्मीदें:

राजकोषीय स्थिति मजबूत करने के लिये कर दायरा बढ़ाने और अनुपालन बेहतर करने के इरादे से 10 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वालों पर 40 प्रतिशत की एक नई दर से कर लगाया जा सकता है. नौकरीपेशा लोगों के लिये महत्वपूर्ण आयकर के मोर्चे पर कर स्लैब में बदलाव की उम्मीद की जा रही है. 2019-20 के अंतरिम बजट में 5 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट देने की घोषणा की गयी थी.

फिलहाल 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत, 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से ऊपर आय पर कर की दर 30 प्रतिशत है.

यह बजट वैश्विक आर्थिक नरमी और मौसम विभाग के देश के कुछ भागों में बारिश सामान्य से कम रहने की आशंकाओं के बीच आ रहा है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 तक गिर गई. चालू वित्त वर्ष के दौरान इसे फिर से सात प्रतिशत से ऊपर पहुंचाने का दारोमदार बजट पर होगा.

संसद में बृहस्पतिवार को पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2024-25 तक 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनने के लिये सतत रूप से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की जरूरत होगी. इसमें निजी क्षेत्र का निवेश, मांग और निर्यात बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है.

पटना/नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश कर रही हैं. बजट में सरकार का जोर राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को गति देने पर है. बजट पेश करने के दौरान निर्मला सीतारमण ने शायरी के जरिए अपनी सरकार के इरादे जताए.

सीतारमण ने बजट शुरू करने से पहले चाणक्य नीति का जिक्र किया. साथ ही उर्दू में शायरी के साथ बजट की शुरुआत की.

वित्त मंत्री ने मशहूर शायर मंजूर हाशमी का शेर पढ़ते हुए कहा कि 'यकीन हो तो कई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चराग जलता है'. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार के लिए नैशनल सिक्योरिटी सबसे बड़ा मुद्दा है. इस बजट में इसके लिए खास प्रावधान किया गया है.

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मजबूत देश के लिए मजबूत नागरिक का होना जरूरी है. इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. उन्होंने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर की होगी. इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की जरूरत है.

बजट से क्या है उम्मीदें:

राजकोषीय स्थिति मजबूत करने के लिये कर दायरा बढ़ाने और अनुपालन बेहतर करने के इरादे से 10 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वालों पर 40 प्रतिशत की एक नई दर से कर लगाया जा सकता है. नौकरीपेशा लोगों के लिये महत्वपूर्ण आयकर के मोर्चे पर कर स्लैब में बदलाव की उम्मीद की जा रही है. 2019-20 के अंतरिम बजट में 5 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट देने की घोषणा की गयी थी.

फिलहाल 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत, 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से ऊपर आय पर कर की दर 30 प्रतिशत है.

यह बजट वैश्विक आर्थिक नरमी और मौसम विभाग के देश के कुछ भागों में बारिश सामान्य से कम रहने की आशंकाओं के बीच आ रहा है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 तक गिर गई. चालू वित्त वर्ष के दौरान इसे फिर से सात प्रतिशत से ऊपर पहुंचाने का दारोमदार बजट पर होगा.

संसद में बृहस्पतिवार को पेश 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2024-25 तक 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनने के लिये सतत रूप से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की जरूरत होगी. इसमें निजी क्षेत्र का निवेश, मांग और निर्यात बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है.

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 Nirmala


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