पटनाः सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए पटना हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके बाद शनिवार को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने राजधानी में बैठक का आयोजन कर आगे की रणनीति बनाते हुए पुनर्विचार याचिका पर मंथन किया. इस दौरान संघ ने चुनाव बाद बिहार सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.
आयोजित बैठक में फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर 30 दिनों के अंदर पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी. शिक्षक संघ ने कहा कि 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने बिहार सरकार को मनमानी करने, शिक्षकों का शोषण, उत्पीड़न, अपमान, बदस्तूर जारी रखने और करोड़ों छात्र छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी है.
करेंगे आंदोलन...
शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के साथ बिहार सरकार ने गलत किया है. इसके लिए हम सरकार का विरोध करेंगे. आगे प्रदर्शन उग्र होगा. सरकार को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. सरकार को हमारे साथ खड़ा होना चाहिए हमारे हित की बात सोचनी चाहिए थी.
क्या है मामला?
दरअसल, 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था. इसके बाद बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. यहां नियोजित शिक्षकों ने भी अर्जी दाखिल कर कोर्ट से यह मांग की थी कि समान काम के लिए समान वेतन उनका अधिकार है. नियोजित शिक्षकों को उनका ये हक मिलना ही चाहिए.
एक साल तक चली सुनवाई
करीब एक साल तक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चली. इसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
रुकी हुई है शिक्षकों की नियुक्ति
बता दें कि इस फैसले के इंतजार में बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति भी रूकी हुई थी. बिहार में बड़ी संख्या में स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. समान काम समान वेतन पर फैसला नहीं आने कारण सरकार इन शिक्षकों की बहाली पर रोक लगा रखी है.