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30 दिन के अंदर नियोजित शिक्षक दायर कर सकते हैं पुनर्विचार याचिका, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

शिक्षक संघ ने कहा कि 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने बिहार सरकार को मनमानी करने, शिक्षकों का शोषण, उत्पीड़न, अपमान, बदस्तूर जारी रखने और करोड़ों छात्र-छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी है.

शिक्षक संघ
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Published : May 11, 2019, 10:16 PM IST

Updated : May 11, 2019, 11:57 PM IST

पटनाः सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए पटना हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके बाद शनिवार को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने राजधानी में बैठक का आयोजन कर आगे की रणनीति बनाते हुए पुनर्विचार याचिका पर मंथन किया. इस दौरान संघ ने चुनाव बाद बिहार सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.

आयोजित बैठक में फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर 30 दिनों के अंदर पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी. शिक्षक संघ ने कहा कि 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने बिहार सरकार को मनमानी करने, शिक्षकों का शोषण, उत्पीड़न, अपमान, बदस्तूर जारी रखने और करोड़ों छात्र छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी है.

नियोजित शिक्षक संघ का आक्रोेश

करेंगे आंदोलन...
शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के साथ बिहार सरकार ने गलत किया है. इसके लिए हम सरकार का विरोध करेंगे. आगे प्रदर्शन उग्र होगा. सरकार को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. सरकार को हमारे साथ खड़ा होना चाहिए हमारे हित की बात सोचनी चाहिए थी.

क्या है मामला?
दरअसल, 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था. इसके बाद बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. यहां नियोजित शिक्षकों ने भी अर्जी दाखिल कर कोर्ट से यह मांग की थी कि समान काम के लिए समान वेतन उनका अधिकार है. नियोजित शिक्षकों को उनका ये हक मिलना ही चाहिए.

एक साल तक चली सुनवाई
करीब एक साल तक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चली. इसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.

रुकी हुई है शिक्षकों की नियुक्ति
बता दें कि इस फैसले के इंतजार में बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति भी रूकी हुई थी. बिहार में बड़ी संख्या में स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. समान काम समान वेतन पर फैसला नहीं आने कारण सरकार इन शिक्षकों की बहाली पर रोक लगा रखी है.

पटनाः सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए पटना हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके बाद शनिवार को बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने राजधानी में बैठक का आयोजन कर आगे की रणनीति बनाते हुए पुनर्विचार याचिका पर मंथन किया. इस दौरान संघ ने चुनाव बाद बिहार सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.

आयोजित बैठक में फैसला लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर 30 दिनों के अंदर पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी. शिक्षक संघ ने कहा कि 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने बिहार सरकार को मनमानी करने, शिक्षकों का शोषण, उत्पीड़न, अपमान, बदस्तूर जारी रखने और करोड़ों छात्र छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी है.

नियोजित शिक्षक संघ का आक्रोेश

करेंगे आंदोलन...
शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि नियोजित शिक्षकों के साथ बिहार सरकार ने गलत किया है. इसके लिए हम सरकार का विरोध करेंगे. आगे प्रदर्शन उग्र होगा. सरकार को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. सरकार को हमारे साथ खड़ा होना चाहिए हमारे हित की बात सोचनी चाहिए थी.

क्या है मामला?
दरअसल, 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था. इसके बाद बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. यहां नियोजित शिक्षकों ने भी अर्जी दाखिल कर कोर्ट से यह मांग की थी कि समान काम के लिए समान वेतन उनका अधिकार है. नियोजित शिक्षकों को उनका ये हक मिलना ही चाहिए.

एक साल तक चली सुनवाई
करीब एक साल तक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चली. इसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.

रुकी हुई है शिक्षकों की नियुक्ति
बता दें कि इस फैसले के इंतजार में बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति भी रूकी हुई थी. बिहार में बड़ी संख्या में स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. समान काम समान वेतन पर फैसला नहीं आने कारण सरकार इन शिक्षकों की बहाली पर रोक लगा रखी है.

Intro:बिहार में नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुप्रीम झटका मिलने के बाद आज बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा राजधानी पटना में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया और आगे की रणनीति पर विचार मंथन किया गया, कहा गया कि चुनाव बाद आगे की रणनीति और उग्र आंदोलन का स्वरूप तैयार किया जाएगा तब तक चुनाव में बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताया जाएगा और चुनाव में सबक सिखाने का संकल्प लिया गया


Body: बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ अधिवक्ताओं के द्वारा 10 मई के सर्वोच्च न्यायालय के समान कार्य के लिए समान वेतन के मामले में निर्णय के अध्ययन के बाद सलाह के आधार पर पुनर्विचार याचिका 30 दिनों के अंदर दायर करेगा, आज कि विशेष बैठक परिचर्चा मे कहा गया कि 10 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को मनमानी करने, शिक्षकों का शोषण, उत्पीड़न, अपमान, बदस्तूर जारी रखने एवं सबसे बढ़कर राज्य के करोड़ों छात्र छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी है, न्यायमूर्ति अभय मनोहर एवं उदय उमेश ललित ने कंडिका 78 में एवं 80 में वेतन की विषमता को एक और स्वीकार किया है और कहा है कि नियोजित शिक्षकों का वेतनमान चपरासी से भी कम है, उन्होंने यह भी बात कही है कि अन्याय पूर्वक लागू वेतनमान तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 शोषण के विरुद्ध अधिकार, अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समता के अधिकार, शिक्षक विरोधी नीतियां, बदस्तूर जारी रखने वाली सरकार की नीतियों के बदलने में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने में अपनी लाचारी व्यक्त कर संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को भी स्वयं नकार दिया है, देश की लोकतांत्रिक संविधान एक संस्था पर खतरे के संकेत हैं, शिक्षकों के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय में शायद ही कोई वरीय अधिवक्ता बचे हो जिन्होंने तमाम शिक्षक संगठन की ओर से पटना उच्च न्यायालय के समान काम के बदले समान वेतन के निर्णय को जारी रखने में अहम योगदान दिया ।


Conclusion: बहरहाल बताया जाता है कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा 2009 में ही दायर याचिका की तिथि से समान कार्य के लिए समान वेतनमान लागू करने के संबंध में निर्णय दिया था, उच्च न्यायालय में शिक्षा का अधिकार अधिनियम पर चर्चा भी नहीं हुई थी लेकिन इस पर कई दिनों तक बस भी उक्त अधिनियम वर्ग 9 से 12 तक में लागू नहीं हो सकता है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने केवल प्राथमिक शिक्षा पर ही विचार किया और निर्णय में मौन साध लिया बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 एवं थे स्लोगन करने के लिए राज्य सरकार को और तोहफा दे दिया है जिसको लेकर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने एवं सड़क से लेकर सदन तक विरोध करने का निर्णय लिया है बाईट-शत्रुधन प्रसाद सिंह पूर्व सांसद, सह महासचिव, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
Last Updated : May 11, 2019, 11:57 PM IST
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