बक्सरः कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए करीब 50 दिनों से देश में लगे लॉकडाउन ने अब जीवन को बेपटरी कर दिया है. अपने हुनर और परिश्रम के बदौलत जीवन की गाड़ी को रफ्तार देने वाले भी आज पेट की भूख मिटाने के लिए भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं. कई लोग इनके मजबूरियों का फायदा भी उठा रहे हैं.
दूसरों के रहमों-करम पर भर रहा पेट
ऐसे ही एक उदाहरण आरिफ का है. उसने बताया कि लॉकडाउन से पहले गुजरात और महाराष्ट्र में कपड़ा डिजाइनिंग का काम करता था. लेकिन इस लॉकडाउन में काम बंद होने के बाद आज इसके पास ना तो अन्न का एक दाना है और ना ही तन ढकने के लिए कपड़ा. यह हालात सिर्फ आरिफ की नहीं, सैकड़ों लोगों की है. सहायता के नाम पर पहले कुछ लोगों ने थोड़े-बहुत पैसा दिए. फिर मौका मिलते ही उसके घर-जमीन पर कब्जा कर लिया. फिलहाल लोगों के रहमों-करम पर ही उसका पेट भर रहा है.
मदद के नाम पर घर पर कब्जा
कुछ ऐसा हो कहानी सदर प्रखंड के अहिरौली गांव के मंतोष पासवान की है. रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाला मंतोष ने बताया कि गांव के ही रहने वाले चौकीदार ने मदद के नाम पर पहले कुछ पैसा और अनाज दिया. फिर उसके घर पर कब्जा कर उसे वहां से भगा दिया. आज वह फुटपाथ पर आ गया है. रिक्शा पर ही खाता है, रिक्शा पर ही सोता है.