ETV Bharat / state

कुपोषण की जंग में नाकाफी साबित हो रहा बक्सर का पोषण पुनर्वास केंद्र - केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री

बक्सर सदर अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से बने पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में महीनों से ताला बंद है. वर्ष 2011 में यह केंद्र बना था. वर्ष 2012 में अपने विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पोषण पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण भी किया था. जबकि केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का यह संसदीय क्षेत्र है.

buxar
बक्सर पोषण पुनर्वास केंद्र की हालत
author img

By

Published : Dec 28, 2020, 7:49 PM IST

बक्सरः देश एवं प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार जनकल्याण की कई योजनाएं चला रही है. वहीं बक्सर में कभी लापरवाही के कारण तो कभी दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण ऐसे जन सरोकार की योजनाएं विफल हो रही हैं. इससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आए दिनों जब सरकार, जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करना शुरू करती है तो अधिकारी कागजी कोरम पूरा कर सरकार के सामने दस्तावेज उपस्थित कर देते हैं. और जमीनी हकीकत कुछ और ही रहती है.

20 वर्षों से एक ही जगह पर जमे हैं कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी

लंबे समय से जिले के सदर अस्पताल में कई डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी जमे हुए हैं. पदस्थापना के बाद आज तक तबादला नहीं हो पाया. यहां बिना लाइसेंस के 3 हजार 1 सौ 22 छोटे-बड़े निजी नर्सिंग होम चल रहे हैं. आलम यह है कि इस जिला में कम पढ़े-लिखे लोग भी निजी नर्सिंग होम खोलकर इंसानों का ऑपरेशन करते हैं. जब ऑपरेशन थियेटर में मरीज की मौत हो जाती है तो नर्सिंग होम को दूसरे इलाके में शिफ्ट कर लेते हैं.

childrens
बच्चे

15-20 बच्चे आते थे प्रत्येक दिन

वर्ष 2011 में कुपोषित बच्चों के देखभाल और इलाज के लिए जिला के सदर अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गयी थी. जहां प्रत्येक दिन 15-20 कुपोषित बच्चे आते थे. उनका देखभाल कर उन्हें सामान्य बच्चों की श्रेणी में लाने के लिए पौष्टिक आहार के साथ ही कई तरह की सुविधाएं दी जाती थी. उन बच्चों को 20 दिनों तक इस एनआरसी में रखकर उनकी पूरी देखभाल की जाती थी. अंतिम दिन जब बच्चे घर जाते थे तो उनके परिजन को विभाग की ओर से प्रतिदिन 150 रुपये के हिसाब से सहयोग राशि भी दी जाती थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

मंत्री को भी दी गई सूचना

जिले के लोगों ने वर्ष 2014 एवं वर्ष 2019 में भारत सरकार में 2 बार केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री दिया. इस जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खत्म होने की स्थिति में पहुंच गई है. कई बार स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय सांसद सह भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को दी है. उसके बाद भी हालात में कोई बदलाव नहीं हुए. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी राज्य सरकार के आदेश को भी दरकिनार कर रहे हैं.

childrens
बच्चे

2012 में नीतीश कुमार ने किया था निरीक्षण

वर्ष 2012 में अपने विकास यात्रा के दौरान बक्सर पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीपीपी मोड में चलने वाले इस एनआरसी पहुंचे थे. निरीक्षण के दौरान यहां काम करने वाले कर्मियों की सेवा भावना को देख उनकी खूब तारीफ की थी. लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे इस एनआरसी में भी ताला बंद हो गया. कुपोषण मुक्त समाज बनाने का जो अभियान राज्य एवं केंद्र सरकार की पहल पर शुरू की गयी थी. वह अभियान भी इस ताले की तरह बंद हो गयी.

RAW
RAW

हैंडओवर की प्रक्रिया नहीं हुई पूरी

पोषण पुनर्वास केंद्र पर बंद पड़े ताले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम संतोष कुमार ने बताया कि पहले यह पोषण पुनर्वास केंद्र पीपीपी मोड में चल रहा था. लेकिन राज्य सरकार ने इस पोषण पुनर्वास केंद्र को जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से चलवाने का निर्णय लिया है. अभी तक हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. जिसके कारण महीनों से इसमें ताला बंद है. वर्ष 2021 के प्रथम सप्ताह में इस पोषण पुनर्वास केंद्र को चालू कर दिया जाएगा.

बक्सरः देश एवं प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार जनकल्याण की कई योजनाएं चला रही है. वहीं बक्सर में कभी लापरवाही के कारण तो कभी दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण ऐसे जन सरोकार की योजनाएं विफल हो रही हैं. इससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आए दिनों जब सरकार, जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा करना शुरू करती है तो अधिकारी कागजी कोरम पूरा कर सरकार के सामने दस्तावेज उपस्थित कर देते हैं. और जमीनी हकीकत कुछ और ही रहती है.

20 वर्षों से एक ही जगह पर जमे हैं कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी

लंबे समय से जिले के सदर अस्पताल में कई डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी जमे हुए हैं. पदस्थापना के बाद आज तक तबादला नहीं हो पाया. यहां बिना लाइसेंस के 3 हजार 1 सौ 22 छोटे-बड़े निजी नर्सिंग होम चल रहे हैं. आलम यह है कि इस जिला में कम पढ़े-लिखे लोग भी निजी नर्सिंग होम खोलकर इंसानों का ऑपरेशन करते हैं. जब ऑपरेशन थियेटर में मरीज की मौत हो जाती है तो नर्सिंग होम को दूसरे इलाके में शिफ्ट कर लेते हैं.

childrens
बच्चे

15-20 बच्चे आते थे प्रत्येक दिन

वर्ष 2011 में कुपोषित बच्चों के देखभाल और इलाज के लिए जिला के सदर अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गयी थी. जहां प्रत्येक दिन 15-20 कुपोषित बच्चे आते थे. उनका देखभाल कर उन्हें सामान्य बच्चों की श्रेणी में लाने के लिए पौष्टिक आहार के साथ ही कई तरह की सुविधाएं दी जाती थी. उन बच्चों को 20 दिनों तक इस एनआरसी में रखकर उनकी पूरी देखभाल की जाती थी. अंतिम दिन जब बच्चे घर जाते थे तो उनके परिजन को विभाग की ओर से प्रतिदिन 150 रुपये के हिसाब से सहयोग राशि भी दी जाती थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

मंत्री को भी दी गई सूचना

जिले के लोगों ने वर्ष 2014 एवं वर्ष 2019 में भारत सरकार में 2 बार केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री दिया. इस जिला में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खत्म होने की स्थिति में पहुंच गई है. कई बार स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय सांसद सह भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को दी है. उसके बाद भी हालात में कोई बदलाव नहीं हुए. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी राज्य सरकार के आदेश को भी दरकिनार कर रहे हैं.

childrens
बच्चे

2012 में नीतीश कुमार ने किया था निरीक्षण

वर्ष 2012 में अपने विकास यात्रा के दौरान बक्सर पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीपीपी मोड में चलने वाले इस एनआरसी पहुंचे थे. निरीक्षण के दौरान यहां काम करने वाले कर्मियों की सेवा भावना को देख उनकी खूब तारीफ की थी. लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे इस एनआरसी में भी ताला बंद हो गया. कुपोषण मुक्त समाज बनाने का जो अभियान राज्य एवं केंद्र सरकार की पहल पर शुरू की गयी थी. वह अभियान भी इस ताले की तरह बंद हो गयी.

RAW
RAW

हैंडओवर की प्रक्रिया नहीं हुई पूरी

पोषण पुनर्वास केंद्र पर बंद पड़े ताले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम संतोष कुमार ने बताया कि पहले यह पोषण पुनर्वास केंद्र पीपीपी मोड में चल रहा था. लेकिन राज्य सरकार ने इस पोषण पुनर्वास केंद्र को जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से चलवाने का निर्णय लिया है. अभी तक हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. जिसके कारण महीनों से इसमें ताला बंद है. वर्ष 2021 के प्रथम सप्ताह में इस पोषण पुनर्वास केंद्र को चालू कर दिया जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.