बक्सर: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही सीट बंटवारे को लेकर एनडीए गठबंधन के अंदर विरोध की चिंगारी सुलगने लगी है. लोक जनशक्ति पार्टी के नेताओ ने गठबंधन के सहयोगी भाजपा और जदयू के नेताओं को अपनी ताकत का एहसास कराने का प्रयास करते हुए कहा कि हमारी पार्टी के बिना एनडीए की दही जमने वाला नहीं है.
जदयू नेताओं को दी जा रही ज्यादा तरजीह
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ चुनाव लड़कर एनडीए को परास्त करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से लोजपा के नेता असहज हो गए है. उनका कहना है की गठबंधन धर्म का बीजेपी उलंघन कर जदयू नेताओं को ज्यादा तरजीह दे रही है. वहीं लोजपा के नेताओं को दरकिनार करने की कोशिश की जा रही है.
लोजपा एनडीए का है जोरन
बीजेपी और जदयू के नेताओं द्वारा लोजपा के जनाधार पर सवाल उठाए जाने के बाद लोजपा के नेता खासा नाराज नजर आ रहे हैं. लोजपा के जिलाध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह ने सहयोगी दोनों पार्टियों पर पलटवार करते हुए कहा कि लोजपा एनडीए का जोरन है. जिसके बिना एनडीए का दही जमना संभव नहीं है. वहीं उन्होंने कहा कि, बिहार के किसी भी विधानसभा क्षेत्र से लोजपा के नेता अपने कार्यकर्ताओं के बल पर अकेले भी चुनाव लड़कर जीत सकते हैं. इसके बाद भी हमेशा हमारे पार्टी के नेताओं ने गठबंधन धर्म का पालन किया है. लेकिन जिस तरह से गठबंधन में भेदभाव किया जा रहा है, उससे स्पष्ट हो गया है कि किसी को ज्यादा तो किसी को कम तरजीह दी जा रही है.
हम अपने बयान पर हैं कायम
अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही कह चुके हैं कि बिहार के जिस विधानसभा सीट पर जदयू और भाजपा का कब्जा होगा, वहां हमारी पार्टी सीट के लिए दावा नहीं करेगी. लेकिन जिस विधानसभा सीट पर कांग्रेस और राजद का कब्जा है, वहां हम हर हाल में चुनाव लड़ेंगे. हम इस बयान पर आज भी कायम हैं. बता दें कि एनडीए के अंदर सुलग रही विरोध की चिंगारी पर, महागठबंधन के नेता भी नजरें बनाए हुए हैं. अब देखना होगा कि शीर्ष नेतृत्व इसे कैसे संभालती है.