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सबसे ज्यादा शराब का कारोबार भाजपा के नेता ही कराते हैं: पप्पू यादव

बिहार के बक्सर में जहरीली शराब से 6 लोगो की मौत (Buxar Poisonous Liquor Case) के बाद पूर्व सांसद पप्पू यादव पीडित परिवारों से मिले उनके गांव पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से जनमत कराकर कानून पर निर्णय लेना चाहिए.

Pappu YadaV
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Published : Jan 30, 2022, 7:47 AM IST

बक्सरः बिहार के बक्सर जिले के डुमराव अनुमंडल अंतर्गत मुरार थाना क्षेत्र के आमसारी गांव में 27 जनवरी को जहरीली शराब से 6 लोगों की मौत के बाद पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. घटना के 3 दिन बाद शनिवार को जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद पप्पू यादव पीड़ित परिवारों से मिलकर (JAP Leader Pappu Yadav Statement Regarding Buxar Poisonous Liquor Case) उन्हें सांत्वना दी. मौके पर पूर्व सांसद ने पीड़ित परिवारों को 10-10 हजार रुपये की आर्थिक मदद की. इस दौरान ने सीएम नीतीश कुमार से शराबबंदी के फैसले पर नये सिरे से रायशुमारी कर नीतियों में बदलाव की मांग की. वहीं शराब से होने वाले मौतों में भी उन्होंने पीड़ित परिवारों को आपदा के तहत 4-4 लाख का मुआवजा देने की मांग की.

ये भी पढ़ें- शिक्षकों के शराब ढूंढने के टास्क पर शिक्षा विभाग की दो टूक- 'सरकार वापस नहीं लेगी आदेश'

पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा कि बिहार में अधिकारी, नेता सहित अन्य पेशेवर लोग शराब पीते हैं, उसके बाद भी आज तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई. ज्यादतर जेल गरीब, दलित मजदूर जैसे निचले स्तर के लोग जाते हैं. इस बात से स्पष्ट है कि शराबबंदी का कानून केवल गरीबों पर ही लागू होता है. इस प्रदेश में सबसे ज्यादा शराब का कारोबार भारतीय जनता पार्टी के नेता ही करते हैं. उसके बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. चाहे वह संजय जायसवाल हों या फिर रामसूरत राय.

ये भी पढ़ें- बक्सर जहरीली शराब कांडः थानेदार और चौकीदार पर गिरी गाज, एसपी ने किया सस्पेंड

पूर्व सांसद पप्पू यादव ने आगे कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने मुख्यमंत्री काल में छपरा और सिवान को कभी आजाद नहीं होने दिया. ठीक उसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा और नवादा को आजाद नहीं होने देना चाहते हैं. शराब के कारोबार में सबसे अधिक नेताओं ने पैसा लगाया है. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून को जमीन पर उतारना सबसे आसान है. वार्ड पार्षद से लेकर सांसद तक, जो भी लोग शराब सेवन करते हैं. उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दें. जो लोग शराब तस्करी कर रहे हैं, राज्य सरकार उनका आधार कार्ड छीन ले, जिससे वह बिजली, पानी, बैंक आदि की सुविधाओं का लाभ नहीं ले सकें. इससे वैसे लोग इस धंधा को त्याग देंगे. लेकिन राज्य सरकार की मानसिकता ही साफ नहीं है, जिस आमसारी गांव में जहरीली शराब से 6 लोगों की मौत हुई है.

पूर्व सांसद पप्पू यादव ने आगे कहा कि उस पंचायत का मुखिया 50 लाख की फॉर्च्यूनर गाड़ी पर चढ़ता है. ये सभी लोग शराब के कारोबार से जुड़े हुए हैं. वार्ड पार्षद से लेकर मुखिया, चौकीदार से लेकर एसपी तक को पता है कि जिले में शराब कहां बनता है और कौन बेचता है. उसके बाद भी सब लोग आर्थिक लाभ लेने में लगे हुए हैं और जब घटनाएं घट जाती है तो कोरम पूरा करने के लिए चौकीदार या फिर थानेदार पर कार्रवाई की जाती है.

ये भी पढ़ें- बक्सर जहरीली शराब कांड: 5 लोगों की मौत से मचा हड़कंप, अधिकारी बोले- पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

पूर्व सांसद पप्पू यादव ने आगे कहा कि शराबबंदी कानून पर फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनमत संग्रह कराए, यदि बिहार की जनता चाहती है कि राज्य में शराबबंदी लागू रहे, नहीं तो हटाया जाए. यदि यह कानून जनता की परेशानी का कारण बन गया है तो इस कानून को हटा देना चाहिए. क्योंकि जो भी नियम कायदे कानून बनाए जाते हैं वह जनता को देखते हुए बनाया जाता है.

आज बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से औसत इस प्रदेश के हर घर का एक नौजवान नशा की चपेट में आ गया है. कोई सुलेशन पी रहा है तो कोई ड्रग्स ले रहा है तो कोई गांजा पी रहा है. आज पूरे बिहार के नौजवान नशे की चपेट में हैं. और मुख्यमंत्री अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.

यदि शराबबंदी कानून का उल्लंघन होता है तो सबसे पहले जिले के एसपी को निलंबित करना चाहिए. उसके बाद वहां के जिलाधिकारी. जब तक प्रभारी मंत्री पर निलंबन का गाज नहीं गिरेगी, तब तक शराबबंदी का कानून सफल नहीं होगा क्योंकि शराब निर्माण में अधिकारी, नेता और तस्कर तीनों की भूमिका है. जब उनके अधिकारी शराबबंदी में फेल कर गए तो शिक्षकों को शराब खोजने की ड्यूटी लगा दिए हैं ताकि शराब कारोबारी शिक्षकों पर गोली बरसाए.


गौरतलब है कि बक्सर के आमसारी गांव में जहरीली शराब से छह लोगों की मौत होने के बाद अब पुलिस की नींद टूटी है. मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में आस-पास के गांव में शराब तस्करों के विरुद्ध निरंतर छापेमारी जारी है. पुलिस इस मामले में कुल 10 लोगों को गिरफ्तार कर इस मामले की खुलासा करने में लगी हुई है. हैरानी की बात है कि पोस्टमार्टम के 24 घंटे के अंदर ही डॉक्टरों के द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट सुपुर्द कर दिया गया है. उसके बाद भी प्रशासन की ओर से उसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है जिससे की लोगों को मौत की वजह पता चल सके.


ये भी पढ़ें- गुरुजी के शराब ढूंढने के फरमान पर शिक्षक संगठनों ने दी आंदोलन की चेतावनी, कहा- 'सरकार वापस ले आदेश'

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बक्सरः बिहार के बक्सर जिले के डुमराव अनुमंडल अंतर्गत मुरार थाना क्षेत्र के आमसारी गांव में 27 जनवरी को जहरीली शराब से 6 लोगों की मौत के बाद पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है. घटना के 3 दिन बाद शनिवार को जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद पप्पू यादव पीड़ित परिवारों से मिलकर (JAP Leader Pappu Yadav Statement Regarding Buxar Poisonous Liquor Case) उन्हें सांत्वना दी. मौके पर पूर्व सांसद ने पीड़ित परिवारों को 10-10 हजार रुपये की आर्थिक मदद की. इस दौरान ने सीएम नीतीश कुमार से शराबबंदी के फैसले पर नये सिरे से रायशुमारी कर नीतियों में बदलाव की मांग की. वहीं शराब से होने वाले मौतों में भी उन्होंने पीड़ित परिवारों को आपदा के तहत 4-4 लाख का मुआवजा देने की मांग की.

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पूर्व सांसद पप्पू यादव ने कहा कि बिहार में अधिकारी, नेता सहित अन्य पेशेवर लोग शराब पीते हैं, उसके बाद भी आज तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई. ज्यादतर जेल गरीब, दलित मजदूर जैसे निचले स्तर के लोग जाते हैं. इस बात से स्पष्ट है कि शराबबंदी का कानून केवल गरीबों पर ही लागू होता है. इस प्रदेश में सबसे ज्यादा शराब का कारोबार भारतीय जनता पार्टी के नेता ही करते हैं. उसके बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. चाहे वह संजय जायसवाल हों या फिर रामसूरत राय.

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पूर्व सांसद पप्पू यादव ने आगे कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने मुख्यमंत्री काल में छपरा और सिवान को कभी आजाद नहीं होने दिया. ठीक उसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा और नवादा को आजाद नहीं होने देना चाहते हैं. शराब के कारोबार में सबसे अधिक नेताओं ने पैसा लगाया है. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून को जमीन पर उतारना सबसे आसान है. वार्ड पार्षद से लेकर सांसद तक, जो भी लोग शराब सेवन करते हैं. उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दें. जो लोग शराब तस्करी कर रहे हैं, राज्य सरकार उनका आधार कार्ड छीन ले, जिससे वह बिजली, पानी, बैंक आदि की सुविधाओं का लाभ नहीं ले सकें. इससे वैसे लोग इस धंधा को त्याग देंगे. लेकिन राज्य सरकार की मानसिकता ही साफ नहीं है, जिस आमसारी गांव में जहरीली शराब से 6 लोगों की मौत हुई है.

पूर्व सांसद पप्पू यादव ने आगे कहा कि उस पंचायत का मुखिया 50 लाख की फॉर्च्यूनर गाड़ी पर चढ़ता है. ये सभी लोग शराब के कारोबार से जुड़े हुए हैं. वार्ड पार्षद से लेकर मुखिया, चौकीदार से लेकर एसपी तक को पता है कि जिले में शराब कहां बनता है और कौन बेचता है. उसके बाद भी सब लोग आर्थिक लाभ लेने में लगे हुए हैं और जब घटनाएं घट जाती है तो कोरम पूरा करने के लिए चौकीदार या फिर थानेदार पर कार्रवाई की जाती है.

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पूर्व सांसद पप्पू यादव ने आगे कहा कि शराबबंदी कानून पर फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनमत संग्रह कराए, यदि बिहार की जनता चाहती है कि राज्य में शराबबंदी लागू रहे, नहीं तो हटाया जाए. यदि यह कानून जनता की परेशानी का कारण बन गया है तो इस कानून को हटा देना चाहिए. क्योंकि जो भी नियम कायदे कानून बनाए जाते हैं वह जनता को देखते हुए बनाया जाता है.

आज बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से औसत इस प्रदेश के हर घर का एक नौजवान नशा की चपेट में आ गया है. कोई सुलेशन पी रहा है तो कोई ड्रग्स ले रहा है तो कोई गांजा पी रहा है. आज पूरे बिहार के नौजवान नशे की चपेट में हैं. और मुख्यमंत्री अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.

यदि शराबबंदी कानून का उल्लंघन होता है तो सबसे पहले जिले के एसपी को निलंबित करना चाहिए. उसके बाद वहां के जिलाधिकारी. जब तक प्रभारी मंत्री पर निलंबन का गाज नहीं गिरेगी, तब तक शराबबंदी का कानून सफल नहीं होगा क्योंकि शराब निर्माण में अधिकारी, नेता और तस्कर तीनों की भूमिका है. जब उनके अधिकारी शराबबंदी में फेल कर गए तो शिक्षकों को शराब खोजने की ड्यूटी लगा दिए हैं ताकि शराब कारोबारी शिक्षकों पर गोली बरसाए.


गौरतलब है कि बक्सर के आमसारी गांव में जहरीली शराब से छह लोगों की मौत होने के बाद अब पुलिस की नींद टूटी है. मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में आस-पास के गांव में शराब तस्करों के विरुद्ध निरंतर छापेमारी जारी है. पुलिस इस मामले में कुल 10 लोगों को गिरफ्तार कर इस मामले की खुलासा करने में लगी हुई है. हैरानी की बात है कि पोस्टमार्टम के 24 घंटे के अंदर ही डॉक्टरों के द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट सुपुर्द कर दिया गया है. उसके बाद भी प्रशासन की ओर से उसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है जिससे की लोगों को मौत की वजह पता चल सके.


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