बक्सर: भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र का स्वास्थ्य महकमा खुद ही भेंटीलेटर पर अपना अंतिम सांस ले रहा है. जिले के सबसे बड़े अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (SNCU) में लापरवाही देखने को मिला . यहां गम्भीर अवस्था में इलाजरत 8 बच्चे को देखने वाला एक भी स्टाफ अस्पताल में मौजूद नहीं था.
'अस्पताल में नहीं है एक भी स्टाफ'
अपने बच्चों का इलाज कराने पहुंचे मरीज के परिजनों ने बताया कि कल से ना तो एक स्टाफ आया है और ना ही राउंड पर कोई डॉक्टर आए हैं. जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों ने बताया यहां के लोग इस अस्पताल की समस्या को लेकर कई बार अधिकारी से शिकायत कर चुके हैं. वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
ईटीवी भारत के संवाददाता ने दिया प्रभारी को सूचना
वहीं, मरीज के परिजनों के शिकायत के बाद जब जिले के सिविल सर्जन से फोन पर सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो उनका फोन स्विचऑफ था. जिसके बाद ईटीवी भारत के संवाददाता ने एसएनसीयू प्रभारी डॉक्टर आरके गुप्ता को इसकी सूचना दी और उनसे इलाजरत बच्चों का देखभाल करने के लिए आग्रह किया. इसके बाद इलाज शुरू हुआ और लोगो ने राहत की सांस ली.
बच्चों को ऑक्सीजन लगाने वाला भी कोई नहीं
वहीं, एसएनसीयू के प्रभारी डॉक्टर आर के गुप्ता से जब इस संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार नही हुआ है. दीपावली के दिन भी सारे स्टाफ गम्भीर अवस्था मे इलाजरत बच्चों को छोड़कर गायब हो गए थे, और वहां एक ऐसे व्यक्ति का वहां डियूटी लगा दी गई थी ,जिसे मेडिकल का कोई नॉलेज नहीं था. आज भी मरीज के परिजन ने यह शिकायत किया था कि एक भी स्टाफ नहीं है, जिसके बाद जब हम पहुंचे तो सारे लोग गायब मिले, बच्चों को ऑक्सीजन लगाने वाला भी कोई नहीं था. इसके बाद जब हमने इसकी सूचना डिप्युटी सुपरिटेंडेंट को दी, तो उन्होंने कहा कि हम इसमे कोई मदद नहीं कर सकते है.
बता दें कि यह तस्वीर जिला मुख्यालय के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की है, जहां के जनता ने दो बार केंद्र में स्वास्थ्य राज्य मंत्री दिया, उसके बाद भी हालात बेहतर होने की बजाय और बदतर होते चला गया. जिसपर सरकार और विभाग को गम्भीरता से सोचने की जरूरत है.