ETV Bharat / state

जहरीली शराब से मौत के लिए सीएम नीतीश जिम्मेदार, कानून की हो समीक्षा -कांग्रेस विधायक - liquor ban in bihar

बिहार में शराबबंदी (liquor ban in bihar) को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार राज्य सरकार पर हमलावर हैं. यहां तक कि एनडीए की सहयोगी पार्टियां भाजपा और हम भी सीएम नीतीश कुमार पर इसे लेकर निशाना साध रही हैं. इस शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग की जा रही है. कांग्रेस ने भी बिहार सरकार से इस कानून की समीक्षा कराने की मांग की है. प्रस्तुत है इस मुद्दे पर कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

संजय कुमार तिवारी
संजय कुमार तिवारी
author img

By

Published : Jan 23, 2022, 7:16 AM IST

बक्सर: बिहार की राजनीति में शराबबंदी (Liquor ban in Bihar politics) का मुद्दा फिलहाल छाया हुआ है. पक्ष हो या विपक्ष, दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर जारी है. विपक्ष के साथ ही सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के नेता भी शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर हमलावर हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी नीतीश कुमार को निशाना बना रहे हैं. शराबबंदी की समीक्षा की मांग की जा रही है. इसे लेकर कांग्रेस क्या सोचती है, इसे समझने के लिए ETV भारत बक्सर सदर सीट से कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से बात की.

ETV भारत- शराबबंदी को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है. सीएम नीतीश कुमार पर हमले हो रहे हैं. इसको आप किस रूप से देखते हैं?
संजय कुमार तिवारी- देखिए, शराबबंदी का फैसला 2016 में जो लिया गया था, वो नीतिगत फैसला सराहनीय था लेकिन जिस तरह से आज शराब की डोर डिलीवरी, होम डिलीवरी तक की जा रही है, ये शर्मनाक है. बार-बार उनके घटक दलों द्वारा सुझाव दिया जा रहा है कि शराबबंदी कानून की समीक्षा (liquor prohibition law review) हो. कांग्रेस ने भी स्पष्ट सदन में मांग की थी कि शराबबंदी ठीक है लेकिन उससे जो आय होता है, उससे बेरोजगारों को रोजगार देने में सहायता मिलेगी.

हमारा राजस्व का नुकसान जा रहा है. शराबबंदी के नाम पर होम डिलीवरी हो रही है. तमाम पुलिसकर्मियों और अधिकारियों शराबबंदी के काम में लगा दिया गया है. अपराध की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं. इस पर कोई टीका टिप्पणी नहीं हो रही है. कोई उद्भेदन नहीं हो रहा है. सिर्फ और सिर्फ शराबबंदी. शराबबंदी की समीक्षा होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: प्रियंका गांधी हैं मुख्यमंत्री का चेहरा, UP में कांग्रेस बनाएगी त्रिकोणीय लड़ाई- कांग्रेस विधायक

विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी का विशेष साक्षात्कार

ETV भारत- जेडीयू का कहना है कि हमारा राजस्व नुकसान हो रहा है लेकिन पहले शराब पीने से लोग बीमार होते थे, वह कम हो गई हैं. इससे प्रदेश वासियों को लाभ हो रहा है.

संजय कुमार तिवारी- ये हास्यास्पद है. ये निरंतर सुनने और देखने को मिल रहा है कि जहरीली शराब को पीने से मौतें हो रही है. यह घटनाएं निरंतर हो रही हैं. मेरे यह कहने का मतलब है कि जो शराबबंदी आपने किया, इससे तो अधिक लोग परेशान हैं, तबाह हैं. लोग मर रहे हैं. इससे बढ़िया है कि शराबबंदी की समीक्षा हो.

ETV भारत- पिछले दिनों गोपालगंज में, नालंदा में जहरीली शराब से मौत होने की बात सामने आयी. अब छपरा में हुई है. इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मान रहे हैं?

संजय कुमार तिवारी- इसके लिए तो सीधे मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं. जिला प्रशासन जिम्मेवार है. शराब की होम डिलीवरी होने लगी है. सारे कामों को दरकिनार कर शराबबंदी को मुद्दा बनाकर हम सबों को झोंका जा रहा है. पुलिस और पब्लिक में झड़प की खबर आती रहती है. पथराव की घटना में कई कई पुलिसकर्मियों की जान चली गई. शराब माफियाओं से पुलिसकर्मी भी डरे-सहमे हैं. मैं पुनः मुख्यमंत्री से आग्रह करूंगा कि शराबबंदी की समीक्षा करें. हम शराबबंदी के पक्ष में हैं, हम सभी लोग चाहते हैं कि बिहार में शराबबंदी हो लेकिन इसकी समीक्षा करके एक नए निर्णय की जरूरत है. तभी शराबबंदी सफल हो सकती है.

ETV भारत- बिहार पुलिस आम आदमी की सुरक्षा और सेवा के बजाय शराबबंदी के नियमों में उलझकर रह गई है?

संजय कुमार तिवारी -बिल्कुल. बिहार पुलिस शराबबंदी के नियम और कानून में बंधकर रह गई है. उसको सिर्फ और सिर्फ एक ही काम है शराबबंदी को कैसे सफल बनाएं?

ये भी पढ़ें: शराब के नशे में धुत बक्सर का कृषि अधिकारी अरवल में गिरफ्तार

ETV भारत - सुनने में आ रहा है कि शराबबंदी कानून 2016 में संशोधन होगा. इसको और कठिन बनाया जाएगा. सिंडिकेट और तस्करों पर कार्रवाई होगी. इसको आप किस रूप में देखेंगे?

संजय कुमार तिवारी- कार्रवाई बहुत अच्छी बात है. हम तो कह रहे हैं कि शराबबंदी का जो 2016 में नीतिगत फैसला किया गया था. उसमें आज के आलोक में एक अच्छा निर्णय लिया जाए ताकि सख्ती भी हो और राजस्व का भी नुकसान न हो. हम तो एक तरफ देखते हैं कि औरतें खुशहाल हैं , दूसरी ओर पुरुष और नौजवानों मुख्यमंत्री के खिलाफ बातें करते हैं. खुलेआम सोशल मीडिया पर ऐसे कितने वीडियो वायरल हो रहें हैं. इससे शर्मनाक स्थिति कभी भी बिहार की नहीं हो सकती है. इसकी समीक्षा करके शराबबंदबी के निर्णय को 2022 में शख्त बनाएं. राजस्व बढ़ाने पर विचार करें.

ETV भारत- क्या आप मानेंगे कि शराबबंदी के बाद 14 से लेकर 21 साल के बच्चे इसमें इंवॉल्व हो गए हैं. डिलीवरी ब्वाय के रूप में काम कर रहे हैं ?
संजय कुमार तिवारी- बिल्कुल, स्कूल-कॉलेजों के बच्चों के पिट्ठू बैग में शराब मिलने की घटनाएं आम हो चुकी हैं. वह शराब तस्कर के रूप में काम करने लगे हैं. जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित हो रही है. वे गलत संगत में जाकर गलत काम करने को तैयार और मजबूर हैं.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

बक्सर: बिहार की राजनीति में शराबबंदी (Liquor ban in Bihar politics) का मुद्दा फिलहाल छाया हुआ है. पक्ष हो या विपक्ष, दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर जारी है. विपक्ष के साथ ही सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के नेता भी शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर हमलावर हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी नीतीश कुमार को निशाना बना रहे हैं. शराबबंदी की समीक्षा की मांग की जा रही है. इसे लेकर कांग्रेस क्या सोचती है, इसे समझने के लिए ETV भारत बक्सर सदर सीट से कांग्रेस विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से बात की.

ETV भारत- शराबबंदी को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है. सीएम नीतीश कुमार पर हमले हो रहे हैं. इसको आप किस रूप से देखते हैं?
संजय कुमार तिवारी- देखिए, शराबबंदी का फैसला 2016 में जो लिया गया था, वो नीतिगत फैसला सराहनीय था लेकिन जिस तरह से आज शराब की डोर डिलीवरी, होम डिलीवरी तक की जा रही है, ये शर्मनाक है. बार-बार उनके घटक दलों द्वारा सुझाव दिया जा रहा है कि शराबबंदी कानून की समीक्षा (liquor prohibition law review) हो. कांग्रेस ने भी स्पष्ट सदन में मांग की थी कि शराबबंदी ठीक है लेकिन उससे जो आय होता है, उससे बेरोजगारों को रोजगार देने में सहायता मिलेगी.

हमारा राजस्व का नुकसान जा रहा है. शराबबंदी के नाम पर होम डिलीवरी हो रही है. तमाम पुलिसकर्मियों और अधिकारियों शराबबंदी के काम में लगा दिया गया है. अपराध की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं. इस पर कोई टीका टिप्पणी नहीं हो रही है. कोई उद्भेदन नहीं हो रहा है. सिर्फ और सिर्फ शराबबंदी. शराबबंदी की समीक्षा होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: प्रियंका गांधी हैं मुख्यमंत्री का चेहरा, UP में कांग्रेस बनाएगी त्रिकोणीय लड़ाई- कांग्रेस विधायक

विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी का विशेष साक्षात्कार

ETV भारत- जेडीयू का कहना है कि हमारा राजस्व नुकसान हो रहा है लेकिन पहले शराब पीने से लोग बीमार होते थे, वह कम हो गई हैं. इससे प्रदेश वासियों को लाभ हो रहा है.

संजय कुमार तिवारी- ये हास्यास्पद है. ये निरंतर सुनने और देखने को मिल रहा है कि जहरीली शराब को पीने से मौतें हो रही है. यह घटनाएं निरंतर हो रही हैं. मेरे यह कहने का मतलब है कि जो शराबबंदी आपने किया, इससे तो अधिक लोग परेशान हैं, तबाह हैं. लोग मर रहे हैं. इससे बढ़िया है कि शराबबंदी की समीक्षा हो.

ETV भारत- पिछले दिनों गोपालगंज में, नालंदा में जहरीली शराब से मौत होने की बात सामने आयी. अब छपरा में हुई है. इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मान रहे हैं?

संजय कुमार तिवारी- इसके लिए तो सीधे मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं. जिला प्रशासन जिम्मेवार है. शराब की होम डिलीवरी होने लगी है. सारे कामों को दरकिनार कर शराबबंदी को मुद्दा बनाकर हम सबों को झोंका जा रहा है. पुलिस और पब्लिक में झड़प की खबर आती रहती है. पथराव की घटना में कई कई पुलिसकर्मियों की जान चली गई. शराब माफियाओं से पुलिसकर्मी भी डरे-सहमे हैं. मैं पुनः मुख्यमंत्री से आग्रह करूंगा कि शराबबंदी की समीक्षा करें. हम शराबबंदी के पक्ष में हैं, हम सभी लोग चाहते हैं कि बिहार में शराबबंदी हो लेकिन इसकी समीक्षा करके एक नए निर्णय की जरूरत है. तभी शराबबंदी सफल हो सकती है.

ETV भारत- बिहार पुलिस आम आदमी की सुरक्षा और सेवा के बजाय शराबबंदी के नियमों में उलझकर रह गई है?

संजय कुमार तिवारी -बिल्कुल. बिहार पुलिस शराबबंदी के नियम और कानून में बंधकर रह गई है. उसको सिर्फ और सिर्फ एक ही काम है शराबबंदी को कैसे सफल बनाएं?

ये भी पढ़ें: शराब के नशे में धुत बक्सर का कृषि अधिकारी अरवल में गिरफ्तार

ETV भारत - सुनने में आ रहा है कि शराबबंदी कानून 2016 में संशोधन होगा. इसको और कठिन बनाया जाएगा. सिंडिकेट और तस्करों पर कार्रवाई होगी. इसको आप किस रूप में देखेंगे?

संजय कुमार तिवारी- कार्रवाई बहुत अच्छी बात है. हम तो कह रहे हैं कि शराबबंदी का जो 2016 में नीतिगत फैसला किया गया था. उसमें आज के आलोक में एक अच्छा निर्णय लिया जाए ताकि सख्ती भी हो और राजस्व का भी नुकसान न हो. हम तो एक तरफ देखते हैं कि औरतें खुशहाल हैं , दूसरी ओर पुरुष और नौजवानों मुख्यमंत्री के खिलाफ बातें करते हैं. खुलेआम सोशल मीडिया पर ऐसे कितने वीडियो वायरल हो रहें हैं. इससे शर्मनाक स्थिति कभी भी बिहार की नहीं हो सकती है. इसकी समीक्षा करके शराबबंदबी के निर्णय को 2022 में शख्त बनाएं. राजस्व बढ़ाने पर विचार करें.

ETV भारत- क्या आप मानेंगे कि शराबबंदी के बाद 14 से लेकर 21 साल के बच्चे इसमें इंवॉल्व हो गए हैं. डिलीवरी ब्वाय के रूप में काम कर रहे हैं ?
संजय कुमार तिवारी- बिल्कुल, स्कूल-कॉलेजों के बच्चों के पिट्ठू बैग में शराब मिलने की घटनाएं आम हो चुकी हैं. वह शराब तस्कर के रूप में काम करने लगे हैं. जिससे उनकी पढ़ाई भी बाधित हो रही है. वे गलत संगत में जाकर गलत काम करने को तैयार और मजबूर हैं.

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.