बक्सर: बिहार बक्सर जिला मुख्यालय में स्थित बाल गृह में दिव्यांग किशोरों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है. जिसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियो में हड़कम्प मच गया है. बाल गृह में रह रहे किशोरों ने बाल गृह की अधीक्षिका पर गुप्तांग में मिर्च पाउडर डालकर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. जिसके बाद आनन फानन में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर जिलाधिकारी ने जल्द से जल्द पूरे मामले की जांच करने का आदेश जारी किया है. बच्चों का आरोप है कि अधीक्षिका रेवती कुमारी ऐसा कई बार कर चुकी हैं.
4 अक्टूबर को संज्ञान में आया था मामलाः सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 4 अक्टूबर 2023 को ही जिलाधिकारी के संज्ञान में यह मामला आया था. बाल गृह के बच्चों ने बाल कल्याण समिति के तत्कालीन अध्यक्ष मदन सिंह से इसकी शिकायत की थी. आरोप के अनुसार मैडम दो बच्चों से हाथ पकड़वाती फिर गुप्तांग पर मिर्च पाउडर रगड़वाती. तीन-चार महीनों से ऐसा करने की बात बच्चों ने कही थी. बच्चों का यह भी कहना था कि इस बात की जानकारी बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक को नहीं दी जाए, क्योंकि इसमें वह भी उनका सहयोग करते हैं. बच्चों के अनुरोध पर अध्यक्ष ने जिला पदाधिकारी को इस बात से अवगत कराया था.
डीडीसी ने कहा कल ही पत्र मिला हैः मामले की जानकारी देते हुए उप विकास आयुक्त डॉक्टर महेंद्र पाल ने बताया कि, "कल ही मामले कि जांच करने के लिए उनको पत्र मिला है. इस जांच कमेटी में मैं अध्यक्ष हूं. डीएसओ रश्मि कुमारी, एवं सदर एसडीओ धीरेंद्र कुमार मिश्रा भी इस जांच कमेटी में शामिल हैं. पूरे मामले की त्वरित जांच कर रिपोर्ट देने के लिए पत्र के माध्यम से आदेश मिला है. मामला काफी गम्भीर है. इसके प्रत्येक बिंदु की जांच की जाएगी." सभी काम बंद कर पहले इसे किया जाएगा. जांच के बाद जो तथ्य सामने आएगा उससे मीडिया को अवगत कराया जाएगा.
बाल गृह में 50 बच्चों को रखने की है व्यवस्थाः गौरतलब है कि, बाल गृह में भूले-भटके हुए अनाथ और बेसहारा बच्चों को रखा जाता है. सरकार के द्वारा उनके रहने, खाने और पढ़ाई की व्यवस्था की जाती है. लेकिन ऐसे बच्चों के साथ एक जिम्मेवार अधिकारी क्यों अमानवीय व्यवहार कर रही, इसका पता नहीं चल सका है. इसके बारे में जानकारी के लिए अधीक्षिका के मोबाइल नंबर पर फोन किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. बता दे कि समाज कल्याण विभाग की तरफ से संचालित बाल गृह में 50 बच्चों को रखने की व्यवस्था है. यहां 18 साल से कम उम्र के 24 बच्चे रह रहे हैं. इनमें 11 बच्चे दिव्यांग हैं.
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