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भैया दूज पर बहनें निभाती हैं गोधन कूटने की अनोखी परंपरा, करती हैं भाइयों के लिए मंगल कामना

भैया दूज पर्व के दिन बहनें अपनी जीभ में कांटों वाले पौधे को चुभाती हैं. जिसे शापना कहते हैं. माना जाता है कि कार्तिक मास के द्वितीया के दिन भाई को शाप देने से उन्हें यम का भय नहीं होता है.

भैया दूज पर्व
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Published : Oct 28, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 5:14 PM IST

बक्सर: जिले में भैया दूज के त्योहार को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. बहनों की ओर से मनाए जाने वाला यह त्योहार बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी प्रचलित है. इस त्योहार को गोधन के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष के द्वितीया तिथि को मनाया जाता है.

महिलाएं कूटती हैं गोधन
भैया दूज के दिन महिलाएं एकत्रित होकर एक स्थान पर गोधन कूटती हैं. जिसमें गोबर से यम और यमी की प्रतिमा बनाई जाती है. साथ ही सांप और बिच्छू की भी आकृतियां बनाई जाती हैं. फिर पूजा के बाद इन्हें डंडे से कूटा जाता है. इसके बाद उसमें चना सुपारी चढ़ाया जाता है. जिसको बड़ी आस्था के साथ भाई को खिलाया जाता है. भैया दूज के दिन भाई बदले में बहन को उपहार देते हैं.

भैया दूज पर बहनें निभाती हैं गोधन कूटने की अनोखी रस्म

बहनें करती हैं मंगल कामना
स्थानीय बनारसी देवी ने बताया कि भैया दूज पर्व की ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों को शाप देकर मंगल की कामना करती हैं. जिसमें बहनों की ओर से भाइयों को खूब कोसा जाता है. इसके अलावा बहनें अपनी जीभ में कांटो वाले पौधे को चुभाती हैं. जिसे शापना कहते हैं. माना जाता है कि कार्तिक मास के द्वितीया के दिन भाई को शाप देने से उन्हें यम का भय नहीं होता है.

बक्सर: जिले में भैया दूज के त्योहार को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. बहनों की ओर से मनाए जाने वाला यह त्योहार बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी प्रचलित है. इस त्योहार को गोधन के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष के द्वितीया तिथि को मनाया जाता है.

महिलाएं कूटती हैं गोधन
भैया दूज के दिन महिलाएं एकत्रित होकर एक स्थान पर गोधन कूटती हैं. जिसमें गोबर से यम और यमी की प्रतिमा बनाई जाती है. साथ ही सांप और बिच्छू की भी आकृतियां बनाई जाती हैं. फिर पूजा के बाद इन्हें डंडे से कूटा जाता है. इसके बाद उसमें चना सुपारी चढ़ाया जाता है. जिसको बड़ी आस्था के साथ भाई को खिलाया जाता है. भैया दूज के दिन भाई बदले में बहन को उपहार देते हैं.

भैया दूज पर बहनें निभाती हैं गोधन कूटने की अनोखी रस्म

बहनें करती हैं मंगल कामना
स्थानीय बनारसी देवी ने बताया कि भैया दूज पर्व की ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहनें अपने भाइयों को शाप देकर मंगल की कामना करती हैं. जिसमें बहनों की ओर से भाइयों को खूब कोसा जाता है. इसके अलावा बहनें अपनी जीभ में कांटो वाले पौधे को चुभाती हैं. जिसे शापना कहते हैं. माना जाता है कि कार्तिक मास के द्वितीया के दिन भाई को शाप देने से उन्हें यम का भय नहीं होता है.

Intro:हमारा देश भारत पर्वों का देश है ,त्योहारों का देश है ।यहाँ देश के अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग परम्परा के साथ त्योहारों को मनाने के तरीके हैं ।कुछ ऐसी ही अनोखी परंपरा बिहार और झारखंड तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं जहाँ कार्तिक मास के शुक्लपक्ष के द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला भैया दूज का दिन इन क्षेत्रों में गोधन के नाम से जाना जाता है।खास बात यह होती है कि इस दिन बहने अपने भाइयों को शाप श्राप देकर मंगल की कामना करती हैं ।Body:बिहार और झारखंड सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोधन के अवसर पर बहनों द्वारा भाइयों को खूब कोसा जाता है,शाप दिया जाता है और गालियां दी जाती है ।यहाँ तक कि मृत्यु का शाप भी दिया जाता है ।इस दौरान बहनें अपनी जीभ में रेंगनी एक प्रकार का कांटो वाला पौधा के कांट को चुभाती हैं ,जिसे शापना कहा जाता है ।
इस दिन महिलाएं एकत्रित होकर एक स्थान पर गोधन कूटती हैं ।इसमें गोबर से यम और यमी की प्रतिमा बनाई जाती है ।साथ ही सांप एवं बिच्छू आदि की भी आकृतियां बनाई जाती हैं।फिर पूजा के बाद इन्हें डंडे से कूटा जाता है ।इसमें चना सुपारी चढ़ाया जाता है ।
यहीं चना निकालकर भाई बड़ी आस्था के साथ खिलाया जाता है जिसके बदले में भाई बहन को उपहार देतें हैं ।माना जाता है कि इस परम्परा के पीछेमान्यता है कि कार्तिक मास के द्वितीया के दिन भाई को शाप देने से उन्हें यम का भय नहीं होता है ।इसीलिए गोधन को यम द्वितीया भी कहा जाता है ।
बाइट बनारसी देवी महिला श्रद्धालु ।Conclusion:
Last Updated : Oct 28, 2019, 5:14 PM IST
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