बक्सरः बिहार के बक्सर जिले के लाल और थल सेना में हवलदार के पद पर तैनात संजय कुमार चौबे का पार्थिव शरीर आज शनिवार को तिरंगे में लिपटा हुआ उनके गांव पहुंचा, सेना की गाड़ी को ग्रामीण इलाके में देख लोगो की भिंड उमड़ पड़ी, लोग गलियों से लेकर घरों की छतों पर चढ़कर जवान के शव की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे. सेना के जवानों ने सम्मान के साथ कंधे पर उठाकर उनके शव को घर के दरवाजे तक ले गए. इस दौरान भारत माता की जयकारे से पूरा इलाका गूंज रहा रहा था.
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शव देख कर परिजनों में शोक की लहरः जवान संजय कुमार की तैनाती जम्मू में थी और पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी. उनका इलाज कोलकाता में चल रहा था. जंहा उन्होंने अंतिम सांस ली, उनकी मृत्यु की खबर मिलते ही परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई. गांव में सन्नाटा छा गया. संजय मूल रूप से सदर प्रखंड के करहंसी पंचायत के जरीगांवा निवासी मैनेजर चौबे की इकलौती संतान थे, वो काफी मिलनसार प्रवृति के थे. वह अपने पीछे माता-पिता, पत्नी, दो पुत्र और एक पुत्री समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
ग्रामीणों ने कहा सभी को अतिप्रिय था संजयः जवान के शव पहुचने के बाद ग्रामीणों ने बताया कि संजय बहुत ही व्यवहारिक और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे, तथा जब भी छुट्टियों में गाँव आते थे सभी से मिलजुलकर रहते थे. गांव के प्रत्येक दरवाजे पर जरूर जाते थे। उनके अचानक चले जाने से गांव-समाज को अपूरणीय क्षति हुई है. पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है.
राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कारः आर्मी जवान के साथी सैनिकों ने सम्मान के साथ पार्थिक शरीर को उनके पैतृक गांव जरीगवा गांव लाया गया. जंहा से श्मशान घाट शव यात्रा के दौरान भारत माता की जय, शहीद जवान अमर रहे के नारे लगते रहे. श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ सैनिकों ने उन्हें अंतिम सलामी दी. जिसके बाद मृतक की पत्नी 10 वर्षीय पुत्री, 8 वर्षीय पुत्र और 6 वर्षीय पुत्र भी श्मशान घाट पर पहुंचे. संजय के पुत्र ने उन्हें मुखाग्नि दी. मौके पर मौजूद हर एक व्यक्ति की आंखे नम थी.