बक्सर: एड्स रोकथाम के साथ उसकी पहचान के लिए जिले में जांच शिविर का आयोजन किया गया. पहले दिन बक्सर व इटाढ़ी प्रखंड में शिविर का आयोजन किया गया. जहां पर गर्भवती महिलाओं के साथ यक्ष्मा, कालाजार और उच्च गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों की जांच की गई. बता दें कि बिहार सरकार द्वारा 2030 तक राज्य से एड्स उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है.
11 प्रखंडों में 11 कैम्प का अयोजन
प्रभारी एसीएमओ सह सीडीओ डॉ. नरेश कुमार ने बताया जिले में 11 जनवरी तक 11 शिविर का आयोजन किया जाना है. अगर जरूरत पड़ी तो इसे आगे बढ़ाते हुए शिविरों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा एड्स उन्मूलन के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. साथ ही हर स्तर पर जागरूकता फैलाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि एड्स लाइलाज बीमारी है. जानकारी और शिक्षा ही इससे बचाव का सबसे सशक्त जरिया है. डॉ नरेश कुमार ने कहा कि सभी गर्भवती माता को नियमपूर्वक एड्स की जांच करानी चाहिए.
तीन महीनों तक नहीं आती है जांच की सही रिपोर्ट
प्रभारी एसीएमओ डॉ. कुमार ने बताया अगर कोई एचआईवी महिला गर्भवती हैं. तो उनके गर्भस्थशिशु में भी इस बीमारी के पनपने की प्रबल सम्भवना होती है. जिस पर अंकुश लगाने के लिए गर्भावस्था शुरू होने से प्रसूति होने तक प्रत्येक तीन महीनों पर जांच जरूरी है. यह बीमारी पीड़ित मरीज से स्वास्थ शरीर में रक्त चढ़ाने, संक्रमित सुई का प्रयोग करने या किसी भी अन्य कारण से एचआईवी कीटाणू शरीर में प्रवेश करता है. इसके कीटाणू तीन महीने बाद सक्रीय होते हैं. जिसे विंडो पीरियड के नाम से जाना जाता है. इस दौरान एचआईवी की जांच रिपोर्ट सहीं नहीं आती है. इसके मद्देनजर प्रत्येक तीन महीने पर जांच करने का निर्णय लिया गया है.
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता हो जाती है समाप्त
सदर प्रखंड के महदह में जांच शिविर का आयोजन कर रहे प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया एड्स शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पूरी तरह समाप्त कर देता है. जिससे पीड़ित अन्य गंभीर बीमारियों जैसे टीबी, कैंसर व अन्य संक्रामक बीमारियों से प्रभावित हो जाता है.