औरंगाबाद: जिले के योजना भवन में जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण बैठक का आयोजन किया गया. मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी, नगर परिषद, नगर पंचायत के कई अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के कर्मी समेत सीडीपीओ मौजूद रहें.
इस मौके पर जिला सांख्यिकी अधिकारी अरविन्द कुमार ने बताया कि जीवनांक सांख्यिकी के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया था. उन्होंने बताया कि जिले में लक्ष्य के अनुरूप कम रजिस्ट्रेशन हो रहा है.
'रजिस्ट्रेशन में लापरवाही पर कठोर कार्रवाई'
बैठक में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जिला सांख्यिकी अधिकारी ने बताया कि पूरे जिले में जन्म-मृत्यु का 78% रजिस्ट्रेशन हुआ है. जिसको महीने के अंत तक 80% से ज्यादा करने का लक्ष्य है. उन्होंने बताया कि किसी भी स्तर पर रजिस्ट्रेशन कार्य में कोताही बरतने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
क्या है जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन?
देश के कानून के मुताबिक जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन रजिस्ट्रेशन के लिए रिपोर्टिंग फार्म और सर्टिफिकेट पूरे देश में एक समान होते हैं. देश के 19 राज्यों में मुख्य रजिस्ट्रार स्वास्थ्य विभाग और 12 राज्यों में सांख्यिकी विभाग जन्म-मृत्यु का रजिस्ट्रेशन दर्ज करता है. बर्थ सर्टिफिकेट बनाने के सबसे पहले जन्म को रजिस्टर कराना होता है. जन्म के 21 दिन के भीतर स्थानीय अधिकारियों के समक्ष फार्म भरकर जन्म रजिस्टर कराया जा सकता है. जिसके बाद अधिकारी संबंधित अस्पताल का रिकॉर्ड को देखकर बर्थ सर्टिफिकेट जारी करता है.शहरों में नगर निगम या नगर परिषद, तहसील स्तर पर तहसीलदार और गांवों में ग्राम पंचायत कार्यालय यह सर्टिफिकेट जारी करता है.