औरंगाबाद: जिला मुख्यालय के सत्येन्द्रनगर मोहल्ले की रहने वाली मोनिका श्रीवास्तव ने बीपीएससी टॉप टेन में जगह बनाई है. वे टॉप टेन में आने वाली एकमात्र लड़की हैं. इस तरह से देखा जाए तो वे महिला वर्ग की टॉपर (BPSC Sixth Rank Holder Monika Singh) हैं. अपनी इस उपलब्धी को लेकर मोनिका सिंह ने कहा कि IIT की परीक्षा पास करने के बाद ऑफक्रेक हो गई थी. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना है. इसी बीच पहला लॉकडाउन लगा तो वापस घर आई. मेरे भाई-बहन डॉक्टर्स होने के नाते लोगों की मदद कर पा रहे थे. लेकिन मैं लोगों की मदद नहीं कर पाई. तब पापा के प्रोत्साहित करने पर बीपीएसपी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.
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पहले प्रयास में BPSC परीक्षा पास: मोनिका श्रीवास्तव बीपीएससी की 66वीं परीक्षा में पूरे बिहार में छठा रैंक हासिल करके न सिर्फ अपने मां-बाप का बल्कि पूरे औरंगाबाद का नाम रौशन किया है. यह उनका बीपीएसपी परीक्षा में पहला प्रयास था. मोनिका के पिता ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव एक इंजीनियर हैं और वर्तमान में औरंगाबाद में ही पदस्थापित हैं. जबकि माता भारती श्रीवास्तव एक शिक्षिका हैं. जिनकी पदस्थापना भी फिलहाल औरंगाबाद में ही है. मोनिका इससे पहले चेन्नई में किसी निजी कंपनी में बड़े ओहदे पर कार्यरत थी.
मोनिका ने IIT गुवाहाटी से की पढ़ाई: मोनिका आईआईटी गुवाहाटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद चेन्नई में कार्यरत थी. कोरोना के पहले लॉकडाउन में जब वे अपने घर पहुंची तो लोगों को काफी परेशानी का सामना करते हुए देखा. वो अपने डॉक्टर्स भाई और बहनों की तरह लोगों की मदद करना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं कर सकी. जिसको लेकर उन्हें काफी पछतावा हुआ. वे कहती है कि एक बात मेरे समझ में आ गई थी कि अभी भी देश में पब्लिक सर्विस करने की जरूरत है. ऐसे में कैरियर को लेकर ऑफक्रेक हो गई.
पिता के प्रोत्साहन पर दी BPSC परीक्षा: मोनिका बताती हैं कि समाज के लिए कुछ करना चाहित थी. ऐसे में कैरियर वाइज काफी परेशान थी. तब पिता की सलाह पर बीपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. इस दौरान मेरे पापा ने काफी प्रोत्साहित किया. जब रिजल्ट आया तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैंने परीक्षा पास कर ली है. वेबसाइट पर रिजल्ट आया, तब जाकर भरोसा हुआ. वे कहती हैं कि बहुत अच्छा फील कर रही हूं. मेरे लिए यह रिजल्ट काफी सरप्राइजिंग था. उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य समाज सेवा करना है.
"बहुत अच्छा फील कर रहे हैं. एक्सपेंटेड नहीं था, जब रिजल्ट देंखे तो लगा कि शायद सच में ऐसा में हुआ है या नहीं. जब तक वेबसाइट पर नहीं आया तब तक चेक करते रहे. तो बहुत ही सरप्राइजिंग था मेरे लिए. सिविल सर्विस में जाने का जो डिजायर था वो बचपन से ही था. बीच में आईआईटी की तैयारी की तो आईआईटी में हो गया. वो थोड़ा सा ऑफक्रेक हो गई कि जैसा लगा कि करना चाहिए या नहीं. जब पहला लॉक डाउन हुआ तो घर आई तो देखा कि आसपास कितने लोग परेशान है. लेकिन मैं किसी की मदद नहीं कर पाई. मेरे भाई-बहन सब डॉक्टर हैं, जो लोगों की हेल्प कर पा रहे थे. तो एक चीज समझ में आया कि पब्लिक सर्विस करने की जरूरत है. मेरे पाप का इसमें बहुत बड़ा रोल रहा. उन्होंने कहा कि एक बार ट्राइ करके देखो तो मैंने फॉर्म भरा और परीक्षा में शामिल हुई" - मोनिका सिंह, टॉपर, बीपीएसपी महिला वर्ग
घर पर बधाई देने वाला का लगा तांता: बीपीएसपी परीक्षा के परिणाम सामने आते ही मोनिका के घर पर बधाई देनेवालों का तांता लग गया. इधर, मोनिका की इस सफलता से उसके माता-पिता समेत पूरा परिवार काफी खुश हैं. परिजनों का कहना है कि इससे उम्मीद थी कि कुछ अच्छा जरूर करेगी और इसने कर भी दिखाया. वैसे मोनिका ने बताया कि उनका लक्ष्य यूपीएससी क्रैक कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने की है. जिसके लिये वह मेहनत भी कर रही है. उन्होंने कहा कि वे शुरू से ही सिविल सर्विसेस में जाना चाहती थी.
"अपने बेटी को बहुत पढ़ाना चाहिए, आगे बढ़ाना चाहिए. बेटा-बेटी को सभी एक समान समझना चाहिए. बेटा को ज्यादा लोग स्थान देते है और बेटी को कम. लेकिन नही, दोंनो को सामान अवसर देना चाहिए. बेटी को ज्यादा आगे बढ़ाना चाहिए" -भारती श्रीवास्तव, मोनिका की मां
"मेरी सोच ये है कि बेटियों को देश सेवा में आगे लाना चाहिए. बीपीएसपी और यूपीएसपी के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है" -ब्रजेश श्रीवास्तव, मोनिका के पिता