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औरंगाबाद: नहाय खाय के साथ 4 दिवसीय छठ की हुई शुरुआत

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Published : Apr 16, 2021, 7:13 PM IST

महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. आज से इस चार दिवसीय पर्व की शुरुआत हो गई है. आज के दिन को नहाय-खाय के नाम से जाना जाता है. छठ का त्योहार व्रतियां 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं. छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. उत्तर भारत और खासतौर से बिहार, यूपी, झारखंड में इस त्योहार का बेहद खास महत्व है.

औरंगाबाद
4 दिवसीय छठ की हुई शुरुआत

औरंगाबाद: लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय अनुष्ठान भगवान भास्कर की पूजा आज नहाए खाए से शुरू हो गई है. सुबह से छठ व्रती अपने-अपने घरों में स्नान-ध्यान कर पूजा अर्चना के पश्चात कद्दू चावल का प्रसाद बनाने में जुट गए थे. हालांकि, कोरोना की वजह से चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत व्रतियों ने घर या फिर घर के आसपास स्थित कुओं पर स्नान कर किया.

ये भी पढ़ें....जमुई: नहाय खाय के साथ आज से चैती छठ पर्व की शुरूआत

अगले दिन बनेगा खरना का प्रसाद
नहाए खाए के दिन भोजन करने के बाद व्रती अगले शाम को खरना पूजा करती हैं. इस पूजा में महिलाएं शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं. इसी के साथ महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. इसी दिन से यानी छठी मैया का आगमन हो जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने रावण वध किया था, तब भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त किया था. और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भगवान भास्कर की आराधना की जाती है. इसमें स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है.

4 दिवसीय छठ की हुई शुरुआत

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कई जगहों पर छठ व्रतियों के स्नान करने पर रोक
इस बार करोना को लेकर कई जगह पर छठ व्रतियों को स्नान करने पर रोक है. जिस कारण से इस बार करोना को लेकर अधिकांश लोग घरों में ही पूजा कर रहे हैं. जिला प्रशासन लोगों से अपील की है अपने घरों में चार दिवसीय छठ पर्व मनाएं. साथ ही सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखें. छठपूजा को लेकर छठव्रती महिलाओं का कहना है कि भगवान भास्कर की आराधना से अद्भुत शक्ति मिलती है.

औरंगाबाद: लोक आस्था का महापर्व चार दिवसीय अनुष्ठान भगवान भास्कर की पूजा आज नहाए खाए से शुरू हो गई है. सुबह से छठ व्रती अपने-अपने घरों में स्नान-ध्यान कर पूजा अर्चना के पश्चात कद्दू चावल का प्रसाद बनाने में जुट गए थे. हालांकि, कोरोना की वजह से चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत व्रतियों ने घर या फिर घर के आसपास स्थित कुओं पर स्नान कर किया.

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अगले दिन बनेगा खरना का प्रसाद
नहाए खाए के दिन भोजन करने के बाद व्रती अगले शाम को खरना पूजा करती हैं. इस पूजा में महिलाएं शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं. इसी के साथ महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. इसी दिन से यानी छठी मैया का आगमन हो जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने रावण वध किया था, तब भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त किया था. और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भगवान भास्कर की आराधना की जाती है. इसमें स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है.

4 दिवसीय छठ की हुई शुरुआत

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कई जगहों पर छठ व्रतियों के स्नान करने पर रोक
इस बार करोना को लेकर कई जगह पर छठ व्रतियों को स्नान करने पर रोक है. जिस कारण से इस बार करोना को लेकर अधिकांश लोग घरों में ही पूजा कर रहे हैं. जिला प्रशासन लोगों से अपील की है अपने घरों में चार दिवसीय छठ पर्व मनाएं. साथ ही सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखें. छठपूजा को लेकर छठव्रती महिलाओं का कहना है कि भगवान भास्कर की आराधना से अद्भुत शक्ति मिलती है.

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