भोजपुर: श्रीनगर में आर्मी जवान ज्ञान प्रकाश सिंह की मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव बिहिया के इंग्लिशपुर लाया गया. ज्ञान प्रकाश का शव गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया. पत्नी रो-रोकर बदहवास हो गई. वहीं, आसपास के कई गांवों से लोग फौजी को अंतिम विदाई देने उमड़ पड़े.
फौजी ज्ञान प्रकाश सिंह का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपट कर शुक्रवार को गांव पहुंचा. आर्मी जवानों ने परिजनों से मिलकर कागजी कार्रवाई पूरी करते हुए शव को उन्हें सौंप दिया. इसके बाद अंतिम यात्रा की तैयारी की गई. वहीं, साथ आये जवानों ने सलामी देते हुए ज्ञान प्रकाश सिंह को विदाई दिलायी.
रोया पूरा गांव
मृत जवान के महज एक वर्ष के पुत्र ने अपने पिता को फूल चढ़ाकर अंतिम विदाई दी. हर किसी ने फौजी की मौत पर दुख जाहिर किया. वहीं, सभी ने शहीद ज्ञान प्रकाश अमर रहें, वंदे मातरम, भारत माता की जय के नारे लगाते हुए अंतिम विदाई दी. ज्ञान प्रकाश का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया.
नहीं पता चल सका मौत का कारण
फौजी ज्ञान प्रकाश की मौत की खबर मंगलवार की सुबह परिजनों को मिली. वहीं, उनकी मौत कैसे हुई इस बाबत साथ आए अधिकारियों ने कोई जानकारी नहीं दी. दूसरी ओर बड़े भाई सुदामा सिंह ने राज्य सरकार से अपने मृत फौजी की पत्नी और बेटे के लिए अनुदान राशि की मांग की है. सुदामा सिंह ने सरकार से गांव में ज्ञान प्रकाश सिंह के नाम पर एक स्मृति द्वार बनवाने की मांग की है.
तीन वर्ष पहले हुई थी फौजी की शादी
दो भाईयों और चार बहनों में सबसे छोटे लगभग 27 वर्षीय ज्ञान प्रकाश की शादी वर्ष 2017 में रोहतास जिला के काराकाट थाना अंतर्गत जयश्री गांव निवासी राजकिशोर सिंह की पुत्री गोल्डी कुमारी के साथ हुई थी. फौजी का महज 11 माह का एकमात्र बेटा ऋषभ है, जिसके सिर से पिता का साया उठ गया है. मृतक फौजी के पिता रिटायर्ड रेलकर्मी शिवजी सिंह और मां का पहले ही देहांत हो चुका है. घर पर उसके बड़े भाई ही परिवार की देखभाल करते हैं.
18 दिन पहले हुई श्रीनगर में पोस्टिंग
- ज्ञान प्रकाश सिंह की 2012 में आर्मी ग्रिप में बहाली हुई.
- उनकी पहली पोस्टिंग असम के सिलचर में हुई थी.
- वहां से इस वर्ष एक जनवरी को घर आए थे.
- एक महीना घर पर रहने के बाद ज्ञान प्रकाश की पोस्टिंग श्रीनगर के मोहरा जगह पर हुई.
- उन्होंने 1 फरवरी को श्रीनगर में तैनाती ली.