भोजपुर(जगदीशपुर): लद्दाख के गलवान घाटी में भारत- चीनी सैनिकों की झड़प में शहीद हुए भोजपुर के जवान चंदन कुमार का पार्थिव शरीर उनके गांव ज्ञानपुरा पहुंचा. सैनिकों के कंधे पर अपने लाल का शव देखते ही जवान के पिता का सब्र टूट गया और घंटों तक फूट-फूटकर रोते रहे.
देश पर अपने लाल को न्योछावर कर देने वाले बूढ़े पिता ह्रदयानंद सिंह कुछ बोलने की हालत में नहीं हैं. हाथ में लाठी का सहारा लिए ये पिता अपने बूढ़ापे के सहारे को खोकर इस कदर गम में डूबे कि आंखों के आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे. पास खड़े रिशतेदार चंदन के पिता को संत्वना दे रहें हैं. देश की खातिर आप का बेटा शहीद हुआ है. पूरे देश को उस पर गर्व है. चंदन कुमार की मां धर्मा देवी का भी रो- रोकर बुरा हाल है.
नहीं बंध सका बेटे के सिर पर शादी का सेहरा
अपने चार बेटों को सेना में भेजने वाले मजबूत इरादे वाले चंदन कुमार के पिता शायद इसलिए ज्यादा गमगीन हैं कि वह अपने जवान बेटे के सिर पर शादी का सेहरा भी नहीं देख पाए. दरअसल शहीद चंदन कुमार की शादी की तारीख इसी साल 1 मई को तय हो गई थी. लेकिन कोरोना में लॉकडाउन के चलते शादी की तारीख आगे बढ़ा दी गई थी.
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ह्रदयानंद के सबसे छोटे बेटे थे चंदन
चंदन कुमार भोजपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड के कौरा पंचायत के ज्ञानपुरा गांव निवासी ह्रदयानंद सिंह के सबसे छोटे बेटे थे. चंदन कुमार जुलाई 2017 में बिहार रेजिमेंट के- 16 वी कंपनी में भर्ती हुए थे. फिलहाल वो लद्दाख के गलवन घाटी में भारत चीन बार्डर पर तैनात थे. चंदन कुमार बहुत मिलनसार स्वभाव के थे और जब भी अपने गांव आते सबसे मिलजुल कर ही जाते थे. चंदन कुमार आखिरी बार नवंबर 2019 को एक महीने की छुट्टी पर अपने गांव ज्ञानपुरा आए थे.
पूरा परिवार देश की सेवा में
बता दें कि गदीशपुर के ज्ञानपुरा गांव निवासी ह्रदयानंद सिंह का पूरा परिवार देश की सेवा से जुड़ा है. खुद ह्रदयानंद सिंह भी होमगार्ड में जवान थे. रिटायर्ड होने के बाद गांव में ही खेती करते थे. जवान के बड़े भाई देवकुमार आर्मी के ईएमई में है. चंदन कुमार चार भाई थे. इनके दूसरे भाई संजीत कुमार तोपखाना कोर में कार्यरत हैं. तीसरे भाई गोपाल कुमार बिहार रेजिमेंट की 9 वीं कंपनी में हैं. सबसे छोटे चंदन कुमार बिहार रेजिमेंट के 16वीं बटालियन कार्यरत थे. चंदन जुलाई 2017 में बहाल हुए थे. आज चंदन की याद में पूरा गांव गमगीन है और अपने शहीद लाल पर गर्व महसूस कर रहा है.