भोजपुरः पूरे प्रदेश में सोमवार को बहनों ने कर्मा-धर्मा पर्व मनाया. जिले में भी इसकी धूम देखी गई. इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं. बहनें अपने भाईयों की सलामती के लिए उपवास रखकर पूजा करती हैं. इसमें घर के आंगन में करम का पौधा रखते हैं, साथ ही शंकर-पार्वती की प्रतिमा को प्रकृति के उपहारों से सजाते हैं और पूजा करते हैं.
भादो महीने की शुक्ल पक्ष को मनाते हैं पर्व
करम पर्व भादो महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, किंतु इसके विधि-विधान सात दिन पहले से ही शुरू हो जाते हैं. कर्मा पर्व को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं हैं. बताया जाता है कि कर्मा और धर्मा नामक दो भाई बहन बहुत ही प्रेम से बचपन गुजार रहे थे. फिर कर्मा की शादी हो गई. उसकी पत्नी दूसरे को दुख देने वाली थी. एक दिन उसकी पत्नी घर के बाहर खाना पकाते वक्त मार को धरती पर गिरा रही थी, तब कर्मा ने अपनी पत्नी को कहा कि धरती मां के सीने पर गर्म मार मत गिराओ, लेकिन वह नहीं मानी. इससे आहत होकर कर्मा घर छोड़कर चला गया. गांव से उसके जाने के बाद वहां लोगों को तरह-तरह की बीमारी होने लगी थी.
भाई-बहन का पर्व है कर्मा
धर्मा जब घर आई तो उसने अपने भाई को नहीं पाकर उसे ढूंढने निकल गई. रास्ते में पेड़ मिला, उससे कर्मा के बारे में पूछा तो वह सूख गया. पेड़ ने कहा जल्दी कर्मा को ढूंढ लाओ. फिर नदी से पूछा नदी भी सुख गई. नदी ने कहा जल्दी कर्मा को बुलाओ. इसी तरह वह ढूंढते-ढूढ़ते रेगिस्तान में चली गई. वहां कर्मा गर्मी से जल रहा था. धर्मा ने उसे कहा चलो मेरे भाई सब तुम्हारे बिना मर जायेंगे फिर कर्मा घर वापस आया और गांव में खुशहाली लौट आई. तभी इसे भाई बहन के त्योहार के रूप में मनाया जा रहा है.