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भोजपुर: फूल की खेती करने वाले किसान परेशान, लॉकडाउन के कारण नहीं हो रही बिक्री

खरीदार नहीं होने से खेती बर्बाद होने के कागार पर पहुंच गई है. फूल खेतों में ही झड़कर बर्बाद हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में किसानों के सामने भरण-पोषण की समस्या हो गई है.

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Published : May 3, 2020, 9:56 PM IST

भोजपुर: जिले के पीरो प्रखंड के अमई काजी टोला में एक बीघे में लगी गेंदे के फूल खेत में ही झड़ने लगे हैं. फूल की खेती करने वाला किसान हर रोज खरीदार की आस में बैठा रहता है. अपनी खेती को बर्बाद होते देख किसान रामबालक सिंह परेशान हैं.

किसान ने बताया कि हसन बाजार, पीरो, तरारी क्षेत्र में पचास से अधिक मंदिरों में भगवान को अर्पित करने के लिए फूलों की माला के साथ फूल की जरूरत होती थी. मंदिरों के बंद होने से अब फूलों की मांग बिल्कुल घट गई है. बाजार में भी लोगों के नहीं पहुंचने से फूल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं. विवाह के आयोजन भी नहीं हो रहे हैं.

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किसान

परिवार के सामने भरण-पोषण की समस्या
फूल का कारोबार कच्चा कारोबार कहा जाता है, अगर इसे समय पर नहीं तोड़ा गया तो ये खराब हो जाते हैं. किसान शिरज कुमार मौर्य ने बताया कि उनके खेत के फूलों की मांग हसन बाजार क्षेत्र के अलावा पीरो, बिक्रमगंज, तरारी के इलाकों में होती थी. तीन साल से खेती के माध्यम से परिवार का भरण-पोषण होता था. लेकिन इस समय खरीदार नहीं होने से खेती बर्बाद होने के कागार पर पहुंच गई है. फूल खेतों में ही झड़कर बर्बाद हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में किसानों के सामने भरण-पोषण की समस्या हो गई है.

भोजपुर: जिले के पीरो प्रखंड के अमई काजी टोला में एक बीघे में लगी गेंदे के फूल खेत में ही झड़ने लगे हैं. फूल की खेती करने वाला किसान हर रोज खरीदार की आस में बैठा रहता है. अपनी खेती को बर्बाद होते देख किसान रामबालक सिंह परेशान हैं.

किसान ने बताया कि हसन बाजार, पीरो, तरारी क्षेत्र में पचास से अधिक मंदिरों में भगवान को अर्पित करने के लिए फूलों की माला के साथ फूल की जरूरत होती थी. मंदिरों के बंद होने से अब फूलों की मांग बिल्कुल घट गई है. बाजार में भी लोगों के नहीं पहुंचने से फूल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं. विवाह के आयोजन भी नहीं हो रहे हैं.

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परिवार के सामने भरण-पोषण की समस्या
फूल का कारोबार कच्चा कारोबार कहा जाता है, अगर इसे समय पर नहीं तोड़ा गया तो ये खराब हो जाते हैं. किसान शिरज कुमार मौर्य ने बताया कि उनके खेत के फूलों की मांग हसन बाजार क्षेत्र के अलावा पीरो, बिक्रमगंज, तरारी के इलाकों में होती थी. तीन साल से खेती के माध्यम से परिवार का भरण-पोषण होता था. लेकिन इस समय खरीदार नहीं होने से खेती बर्बाद होने के कागार पर पहुंच गई है. फूल खेतों में ही झड़कर बर्बाद हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में किसानों के सामने भरण-पोषण की समस्या हो गई है.

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