भोजपुर: बिहार में एक तरफ जहां दिवाली और छठ जैसे महापर्व की तैयारी (Preparation For Chhath Mahaparv In Bihar) चल रही है. सूबे की जनता पर्व को मनाने की तैयारी में जुटी है, तो वहीं, भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के किसानों की कमर टूट रही है.अचानक आई बाढ़ ने हजारों एकड़ में लगी फसल को बर्बाद कर (Crops Destroy Due To Flood In Bhojpur) दिया है. जिले के बड़हरा प्रखंड क्षेत्र भोजपुर के अन्य प्रखंडों में बड़ा प्रखंड माना जाता है. इस प्रखंड में लगभग 22 पंचायत एक साल में दोबारा बाढ़ से ग्रसित हुआ है. इस प्रखंड में ज्यादतर लोग खेती पर आधारित हैं और बड़ी संख्या में किसान रहते हैं.
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भोजपुर में किसानों का हाल बुरा : यहां हर साल बाढ़ से किसान एक बार प्रभावित होते थे. लेकिन इस बार दोबारा बाढ़ ने पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया है. किसानों की सारी फसल डूब चुकी है. हजारों एकड़ में लगी सब्जी, मटर, सरसों, आलू और धान की फसल अब बाढ़ के पानी मे डूबने से बेकार हो चुकी है. बड़हरा प्रखंड के 22 पंचायत के किसान बेहाल हैं. सभी पीड़ित किसानों के आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं. किसान सरकार की मदद को टकटकी लगाए बैठे हैं, लेकिन अब तक कोई भी मदद या आश्वासन उन तक नहीं पहुंची है.
खेतों में लगी हजारों एकड़ की फसल बर्बाद : बाढ़ की कहर हमलोग टीवी, मोबाइल और अखबार के माध्यम से देखते और सुनते होंगे, लेकिन जब बाढ़ आती है तो क्या-क्या प्रभावित होता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. बाढ़ में होने वाली दिक्कत और हर एक जमीनी हकीकत को किसानों ने बताया. दअरसल गंगा के जलस्तर में अचानक अत्यधिक बढ़ोतरी से नदी की क्षमता से ज्यादा पानी होने से ओवरफ्लो होने लगा. जिससे उस पानी में बहाव तेज हुआ और हर नाला, पोखर, कुंआ सारे जगह में पानी भर गया. इसके बाद पानी ऊपर होकर आसपास के खेतों में रातों-रात फैल गया. जिससे हजारों एकड़ में लगी फसल डूब गई.
रातों-रात खेतों में भरा पानी : एक महीना पूर्व भी बड़हरा के किसानों की हजारों एकड़ में लगी मकई और अन्य फसल डूब चुकी थी. किसान अभी उस कहर से बाहर निकल भी नहीं पाए थे कि दोबारा आई, अभिशाप बन कर बाढ़ ने किसानों के उम्मीदों को रौंद दिया. बाढ़ से प्रभावित किसानों से उनके तकलीफ की जानकारी ली गई तो मानों किसानों के आंख से खून के आंसू बाहर आ गए. किसानों ने अपनी तकलीफ को साझा करते हुए बताया कि अभी कुछ दिन पहले ही हमारे खेत पूरी तरह बाढ़ के पानी से सूखे थे और हमने खेत जोत कर पटवन किया और उसमें मटर, हरि सब्जियां, तेलहन और आलू के बीज डाले थे. अभी बीज खेत के मिट्टी से बाहर आ ही रहा था कि अचानक रातों-रात गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हुई और बाढ़ का पानी चारों तरफ से खेतों को अपने कब्जे में ले लिया.
बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ी : किसानों का कहना है कि बाढ़ के पानी से सारी फसल सड़ जायंगी और दोबारा खेती करने के योग्य होने में तकरीबन एक माह का समय लग जाएगा. तब तक खेती करने का समय जा चुका होगा. और हमारे एक साल के अनाज पर ग्रहण लग जाएगा. किसानों के इस विपदा में बिहार सरकार क्या तैयारी कर रही है, इसकी जानकारी बड़हरा प्रखंड के कृषि अधिकारी उमेश कुमार सुमन ने दी.
'अचानक बाढ़ से सारा फसल डूब गया. हजारों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है. पहले भी बाढ़ से सारी हरी सब्जी बर्बाद हो गई थी, अब फिर बाढ़ आने से फिर हजारों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई, घर में खाने के लिए कुछ नहीं बचा है. हमारी सरकार से मांगी है कि सरकार हमारी मदद करे.' - अमावस यादव, पीड़ित किसान
'गंगा के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी की वजह से यहां के किसानों की फसल बर्बाद हुई है. लगभग 540 हेक्टेयर में लगे मटर, सब्जी और सरसों का फसल बर्बाद हुआ है. जिला कृषि पदाधिकारी के साथ हाल ही में बैठक हुई है. जहां से निर्देश दिया गया है कि सभी किसानों की फसलों का सर्वे किया जाय. पंचायत प्रतिनिधियों से सम्पर्क स्थापित कर फसल बर्बाद की जानकारी ली जाय. और रिपोर्ट जिला कृषि विभाग को सौंपा जाय. जैसा निर्देश प्राप्त हुआ है, वैसा रिपोर्ट हमलोगों के द्वारा तैयार किया जा रहा है और वह जिला कृषि पदाधिकारी को दिया जायेगा. हालांकि अभी तक मुआवजे की बात नहीं कही गई है.' - उमेश कुमार सुमन, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, बड़हरा