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अंग्रेजों के जमाने में बने कोईलवर रजवाहा नहर के अस्तित्व पर मंडराया खतरा

रजवाहा नहर जिले के किसानों की सिंचाई का एकमात्र साधन रहा है. पिछले कई वर्षों से इस नहर से मात्र 15 से 20 किलोमीटर तक ही पटवन हो पा रहा है. जिससे क्षेत्रीय किसानों के भुखमरी की नौबत आ गई है. सोन नदी का तटीय इलाका होने के कारण इस क्षेत्र के जलस्तर में गिरावट आने के कारण सिंचाई का कोई दूसरा वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.

भोजपुर
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Published : May 30, 2020, 8:07 PM IST

भोजपुर: जिले का कोईलवर रजवाहा नहर पिछले 10 वर्षों से शासन के भ्रष्ट सिस्टम का दंश झेल रहा है. अंग्रेजों के जमाने में बने इस नहर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. आरा लाइन सोन नहर हरपुर लॉक से निकलकर लगभग 46 किलोमीटर दूर कोईलवर रेलवे लाइन तक फैले इस नहर की स्थिति बदहाल हो गई है.

गौरतलब है कि रजवाहा नहर जिले के किसानों की सिंचाई का एकमात्र साधन रहा है. पिछले कई वर्षों से इस नहर से मात्र 15 से 20 किलोमीटर तक ही पटवन हो पा रहा है. जिससे क्षेत्रीय किसानों के भुखमरी की नौबत आ गई है. सोन नदी का तटीय इलाका होने के कारण इस क्षेत्र के जलस्तर में गिरावट आने के कारण सिंचाई का कोई दूसरा वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.

भोजपुर
कोईलवर रजवाहा नहर

'बोरिंग कराने को मजबूर किसान'
कोईलवर रजवाहा नहर में सिंचाई के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण निचले छोर तक सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है. स्थानीय किसानोंने कहा कि एक समय था. जब इसी राजवाहा नहर से सिंचाई करके किसान खुशहाल थे. वर्तमान में स्थिति यह है कि रजवाहा नहर बंद हो गया है. पिछले 8 सालों से इस इलाके में सूखा पड़ रहा है. धान के सीजन में धान की पर्याप्त उपज नहीं होती है. थक हारकर कुछ किसान अपने पैसों से बोरिंग कराने को मजबूर हो गए हैं. नहर में पानी नहीं आने के कारण किसान काफी परेशान हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जल्द दूर की जाएगी किसानों की समस्या'
वहीं, अधिकारियों की मानें तो कोईलवर राजवाहा नहर की देखरेख के लिए वर्ष 2005 में एक कृषक समिति का गठन किया गया था. जिसके चेयरमैन अवध बिहारी सिंह हैं. पटवन की वसूली सहित कुछ काम कृषक समिति को दिया गया है. किसानों द्वारा रजवाहा की उगाही सहित पक्कीकरण जैसे प्रस्ताव सरकार को दिए गए हैं. वहीं, जब इस संबंध में अधीक्षण अभियंता सोन नहर आरा के अवध कुमार सिंह ने कहा कि मैं अभी नया आया हूं. मुझे विस्तृत जानकारी अभी नहीं है. लेकिन मेरे संज्ञान में कोईलवर और रजवाहा को लेकर कुछ सुझाव आए हैं. हम इस पर कार्रवाई करेंगे और किसानों की समस्या को जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करेंगे.

भोजपुर: जिले का कोईलवर रजवाहा नहर पिछले 10 वर्षों से शासन के भ्रष्ट सिस्टम का दंश झेल रहा है. अंग्रेजों के जमाने में बने इस नहर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. आरा लाइन सोन नहर हरपुर लॉक से निकलकर लगभग 46 किलोमीटर दूर कोईलवर रेलवे लाइन तक फैले इस नहर की स्थिति बदहाल हो गई है.

गौरतलब है कि रजवाहा नहर जिले के किसानों की सिंचाई का एकमात्र साधन रहा है. पिछले कई वर्षों से इस नहर से मात्र 15 से 20 किलोमीटर तक ही पटवन हो पा रहा है. जिससे क्षेत्रीय किसानों के भुखमरी की नौबत आ गई है. सोन नदी का तटीय इलाका होने के कारण इस क्षेत्र के जलस्तर में गिरावट आने के कारण सिंचाई का कोई दूसरा वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है.

भोजपुर
कोईलवर रजवाहा नहर

'बोरिंग कराने को मजबूर किसान'
कोईलवर रजवाहा नहर में सिंचाई के लिए समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण निचले छोर तक सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है. स्थानीय किसानोंने कहा कि एक समय था. जब इसी राजवाहा नहर से सिंचाई करके किसान खुशहाल थे. वर्तमान में स्थिति यह है कि रजवाहा नहर बंद हो गया है. पिछले 8 सालों से इस इलाके में सूखा पड़ रहा है. धान के सीजन में धान की पर्याप्त उपज नहीं होती है. थक हारकर कुछ किसान अपने पैसों से बोरिंग कराने को मजबूर हो गए हैं. नहर में पानी नहीं आने के कारण किसान काफी परेशान हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जल्द दूर की जाएगी किसानों की समस्या'
वहीं, अधिकारियों की मानें तो कोईलवर राजवाहा नहर की देखरेख के लिए वर्ष 2005 में एक कृषक समिति का गठन किया गया था. जिसके चेयरमैन अवध बिहारी सिंह हैं. पटवन की वसूली सहित कुछ काम कृषक समिति को दिया गया है. किसानों द्वारा रजवाहा की उगाही सहित पक्कीकरण जैसे प्रस्ताव सरकार को दिए गए हैं. वहीं, जब इस संबंध में अधीक्षण अभियंता सोन नहर आरा के अवध कुमार सिंह ने कहा कि मैं अभी नया आया हूं. मुझे विस्तृत जानकारी अभी नहीं है. लेकिन मेरे संज्ञान में कोईलवर और रजवाहा को लेकर कुछ सुझाव आए हैं. हम इस पर कार्रवाई करेंगे और किसानों की समस्या को जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करेंगे.

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