गया : बिहार के बोधगया में इस बार बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा नहीं आए हैं, जिसका असर पर्यटन कारोबार पर पड़ा है. पिछले कुछ सालों से बोधगया में उनके आगमन से पर्यटन सीजन की धूम मच जाती थी, लेकिन इस बार यह सीजन फीका पड़ा है. बौद्ध धर्म गुरु के न आने से यहां के पर्यटन कारोबार को तकरीबन 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. होटल एसोसिएशन और टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्षों के मुताबिक, दलाई लामा के न आने से स्थानीय व्यापारियों का चेहरा मायूस हो गया है और व्यापार की स्थिति काफी खराब हो गई है.
व्यापारी वर्ग में उदासी और मायूसी : दलाई लामा के बोधगया न आने से इस बार पर्यटन सीजन में कारोबार की स्थिति बहुत खराब हो गई है. यहां के होटल, ट्रैवल एजेंट, ई-रिक्शा चालक, गेस्ट हाउस, और अन्य पर्यटन से जुड़े व्यवसायों में बड़ी मंदी देखने को मिल रही है. होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष जय सिंह के अनुसार, इस बार 100 करोड़ से अधिक का नुकसान हो रहा है. पिछले साल की तुलना में इस बार विदेशी और घरेलू पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है, जिससे व्यवसायी वर्ग निराश है. खासकर मध्यम वर्ग के लोग जो होम स्टे और छोटे-छोटे व्यवसायों से जुड़े हैं, वे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
100 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार प्रभावित : राकेश कुमार, टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष, बताते हैं कि बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के आगमन से प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक बोधगया आते थे और वे 5000 से लेकर 50,000 रुपये तक खर्च करते थे. लेकिन इस बार पर्यटकों की संख्या में कमी आई है, जिससे पर्यटन कारोबार पर बुरा असर पड़ा है. बोधगया में 200 करोड़ रुपये का कारोबार होता था, लेकिन इस बार अनुमान है कि यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से भी कम रहेगा.
सरकारी व्यवस्था में कमी का भी असर : होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष जय सिंह ने सरकार से अपील की है कि पर्यटकों के आवागमन के लिए बेहतर व्यवस्थाएं बनाई जाएं, ताकि एक दिन के लिए भी पर्यटक यहां रुक सकें.
''यहां के धार्मिक स्थलों जैसे ढुंगेश्वरी और जहानाबाद जाने के लिए सुविधाएं नहीं हैं, जिससे पर्यटक जल्दी लौट जाते हैं. साथ ही, यहां ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम की भी कमी है, जो पर्यटकों को असुविधा में डालता है.''- जय सिंह, अध्यक्ष, होटल एसोसिएशन, गया
नुकसान का व्यापक असर : बोधगया में इस बार दलाई लामा के न आने से केवल पर्यटन उद्योग ही नहीं, बल्कि अन्य छोटे-छोटे व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं. पिछले साल तक जहां व्यापारी बड़ी मात्रा में मूर्तियां बेचते थे, इस बार उनकी बिक्री भी काफी घट गई है. जो लोग इस सीजन पर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने की उम्मीद लगाकर काम करते थे, वे इस बार घाटे में जा रहे हैं.
बोधगया में निराशा : दलाई लामा के न आने से बोधगया में पर्यटन कारोबार पर गहरा असर पड़ा है और वहां के व्यापारी वर्ग में उदासी और मायूसी का माहौल है. सरकार को चाहिए कि वह इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि भविष्य में बोधगया में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो सके और यहां के व्यवसायी वर्ग को राहत मिल सके.
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