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बिहार के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है बेलाउर छठ घाट, यहां मनोकामना सिक्का है महत्वपूर्ण

Chhath Puja 2023 : बिहार के बेलाउर सूर्य मंदिर की महिमा बड़ी है. छठ पूजा पर इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां पर छठ पूजा का व्रत करने और अर्घ्य देने से व्रती की मनोकामना पूर्ण होती है.

बेलाउर सूर्य मंदिर
बेलाउर सूर्य मंदिर
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 18, 2023, 6:33 AM IST

Updated : Nov 18, 2023, 6:39 AM IST

भोजपुर के बेलाउर छठ घाट का महत्व

भोजपुर : छठ महापर्व को बिहार के भोजपुर जिले के बेलाउर सूर्य मंदिर में लाखों की संख्या में छठ व्रती पहुंचते हैं. इसकी तैयारियां भी अब अंतिम चरण में है. प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में इसको लेकर उत्साह भी जबरदस्त है. छठ व्रती हर साल यहां आकर छठ मनातीं हैं और मनोकामना सिक्का लेकर जाते हैं. मनोकामना सिक्के की भी अनोखी मान्यता है. यहां अर्घ्य देने देश विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं.

बेलाउर सूर्य मंदिर में छठ पूजा : ज़िला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भोजपुर ज़िले के बेलाउर गांव में सूर्य मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि इस तालाब में छठ करने का खास महत्व है. यहां दूर-दूर से लोग मन्नत मांगने आते हैं. जब छठ व्रतियों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो मनोकामना सिक्के को वापस कर दिया जाता है. मंदिर के प्रवक्ता के मुताबिक हर साल 70 फीसदी सिक्के वापस आते हैं. उनका कहना है कि उसी से हम लोगों को पता चलता है कि इनकी मनोकामना पूर्ण हो गई है.

ईटीवी भारत GFX.
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व्रतियों की होती है मनोकामना पूर्ण : बेलाउर सूर्य मंदिर के इतिहास को लेकर मिंटू चौधरी ने बताया की मौनी बाबा नाम के संत ने 1949 में इस मंदिर की स्थापना की थी, तबसे यहां छठ पूजा का सिलसिला जारी है. सालों से यहां छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ रही है. मंदिर ट्रस्ट की तरफ से यहां व्यवस्थाएं की जाती हैं. सुरक्षा को लेकर पुलिसकर्मियों की तैनाती रहती है. खरना के दिन से ही दूर-दराज़ से लोग पहुंचने लगते हैं. दिर परिसर में ही खाना बनाकर खाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.

बेलाउर सूर्य मंदिर भोजपुर
बेलाउर सूर्य मंदिर भोजपुर

''बेलाउर मंदिर छठ घाट पर जो श्रद्धालु छठ करने आते हैं उनकी मनौती पूर्ण होती है. इसीलिए इसका महत्व है. आज तक जितने भी श्रद्धालु यहां आए हैं वो खाली हाथ नहीं लौटा है. हम लोग यहां पर मनोकामना सिक्का भी देते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर सिक्के को लौटाना होता है. हर साल 70 फीसदी सिक्के लौट आते हैं. उसी से हम लोगों को पता चलता है कि श्रद्धालुओं की मनौती पूर्ण हो रही है.'' - मिंटू चौधरी, प्रवक्ता, बेलाउर सूर्य मंदिर

स्थानीय लोगों की मदद से होता है आयोजन : उदवंतनगर प्रखंड के बेलाउर सूर्य मंदिर के विशाल आयोजन में स्थानीय लोगों की हिस्सेदारी अहम रहती है. स्थानीय लोग बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की मदद करते हैं. छठ व्रती को कोई समस्या न हो, इसका ख्याल रखते हैं.

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भोजपुर के बेलाउर छठ घाट का महत्व

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बेलाउर सूर्य मंदिर में छठ पूजा : ज़िला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भोजपुर ज़िले के बेलाउर गांव में सूर्य मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि इस तालाब में छठ करने का खास महत्व है. यहां दूर-दूर से लोग मन्नत मांगने आते हैं. जब छठ व्रतियों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो मनोकामना सिक्के को वापस कर दिया जाता है. मंदिर के प्रवक्ता के मुताबिक हर साल 70 फीसदी सिक्के वापस आते हैं. उनका कहना है कि उसी से हम लोगों को पता चलता है कि इनकी मनोकामना पूर्ण हो गई है.

ईटीवी भारत GFX.
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व्रतियों की होती है मनोकामना पूर्ण : बेलाउर सूर्य मंदिर के इतिहास को लेकर मिंटू चौधरी ने बताया की मौनी बाबा नाम के संत ने 1949 में इस मंदिर की स्थापना की थी, तबसे यहां छठ पूजा का सिलसिला जारी है. सालों से यहां छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ रही है. मंदिर ट्रस्ट की तरफ से यहां व्यवस्थाएं की जाती हैं. सुरक्षा को लेकर पुलिसकर्मियों की तैनाती रहती है. खरना के दिन से ही दूर-दराज़ से लोग पहुंचने लगते हैं. दिर परिसर में ही खाना बनाकर खाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.

बेलाउर सूर्य मंदिर भोजपुर
बेलाउर सूर्य मंदिर भोजपुर

''बेलाउर मंदिर छठ घाट पर जो श्रद्धालु छठ करने आते हैं उनकी मनौती पूर्ण होती है. इसीलिए इसका महत्व है. आज तक जितने भी श्रद्धालु यहां आए हैं वो खाली हाथ नहीं लौटा है. हम लोग यहां पर मनोकामना सिक्का भी देते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर सिक्के को लौटाना होता है. हर साल 70 फीसदी सिक्के लौट आते हैं. उसी से हम लोगों को पता चलता है कि श्रद्धालुओं की मनौती पूर्ण हो रही है.'' - मिंटू चौधरी, प्रवक्ता, बेलाउर सूर्य मंदिर

स्थानीय लोगों की मदद से होता है आयोजन : उदवंतनगर प्रखंड के बेलाउर सूर्य मंदिर के विशाल आयोजन में स्थानीय लोगों की हिस्सेदारी अहम रहती है. स्थानीय लोग बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की मदद करते हैं. छठ व्रती को कोई समस्या न हो, इसका ख्याल रखते हैं.

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Last Updated : Nov 18, 2023, 6:39 AM IST
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