भागलपुर: जिले में एक थाना ऐसा भी है जहां पर विगत 8 वर्षों में एक भी एफआईआर दर्ज नहीं किया गया. दरअसल, भागलपुर में ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जुलाई 2011 में यातायात थाना की शुरुआत की गई, ताकि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुदृढ़ हो सके. लोगों का आवागमन सुगम हो सके. लेकिन सरकार की यह नीति पूरी तरह से फेल दिख रही है. क्योंकि विगत 8 वर्षों में ट्रैफिक थाना की तरफ से कानूनी कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति ही की गई है. अभी तक ऐसा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त हो सके.
अतिक्रमण है ट्रैफिक की वजह
भागलपुर के स्थानीय लोग ट्रैफिक की वजह सड़कों पर हो रहा अतिक्रमण को मानते हैं. सरकार को इस ओर अति शीघ्र पहल करने की जरूरत है. शहर स्मार्ट सिटी के सूची में शुमार हो गया है, लेकिन शहर में स्मार्ट सिटी वाली बात नहीं दिखती है. उसकी सबसे बड़ी वजह मुख्य-मुख्य सड़कों पर अतिक्रमण की वजह से ट्रैफिक जाम का लगना, सड़क के बीचो बीच बिजली के खंभे का होना, मुख्य सड़क पर लोगों का गाड़ी पार्क करना, सड़क पर विज्ञापन के लिए होर्डिंग का लगाना, सड़क के दोनों किनारों में गाड़ियों का पार्किंग वह चाहे टू व्हीलर हो या फोर व्हीलर ट्रैफिक जाम का बहुत बड़ा कारण है.
60 पुलिसकर्मियों को किया गया तैनात
हालांकि ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से लगभग 60 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. जिसमें एक यातायात उपाधीक्षक, एक इंस्पेक्टर, 5 सब इंस्पेक्टर, 6 एएसआई और 48 जमादार एवं सिपाही को तैनात किया गया है. लेकिन भागलपुर का ट्रैफिक सिस्टम में इनकी भागीदारी नगण्य दिखती है. लापरवाह ट्रैफिक सिस्टम की वजह से शहर के लोग काफी परेशान हैं. साथ ही साथ स्कूली बच्चों को भी घंटों जाम में फंसे रहना पड़ता है और स्कूल की बसें सड़कों पर धीरे-धीरे रेंगते हुए चलती है.
पुलिस का प्रयास विफल
अतिक्रमण हटाने को लेकर पुलिस कई बार चौक चौराहों पर प्रयास कर चुकी है, लेकिन प्रयास विफल रहा. 8 वर्ष पूर्व ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जो ट्रैफिक थाना खोला गया था, वह फेल साबित हो रहा है. सरकार के उद्देश्य पर खरा उतरने में ट्रैफिक थाना के सभी पुलिसकर्मी पूरी तरह से निष्क्रिय साबित हो रहे हैं.