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12वीं तक्षशिला स्विमिंग प्रतियोगिता में भागलपुर के गुलाम नबी ने लहराया परचम, हासिल किया दूसरा स्थान - अंतरराष्ट्रीय ओपन स्विमिंग कंपटीशन

इस जीत के बाद गुलाम नबी आजाद अब अंतरराष्ट्रीय ओपन स्विमिंग प्रतियोगिता की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. काफी विषम परिस्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोने वाले गुलाम नबी आजाद वाकई वैसे लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो थोड़े विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं.

गुलाम नबी आजाद
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Published : Nov 22, 2019, 10:30 AM IST

भागलपुर: 'जहां चाह, वहां राह' इस कहावत को सच कर दिखाया है भागलपुर के गुलाम नबी आजाद ने. 12वीं तक्षशिला राष्ट्रीय ओपन वाटर स्विमिंग प्रतियोगिता में गुलाम नबी ने दूसरा स्थान हासिल कर राज्य का नाम रोशन किया है. 13 किलोमीटर की तैराकी प्रतियोगिता में गुलाम दूसरे स्थान पर रहे.

bhagalpur
बचपन से था स्विमिंग का शौक

बचपन से था शौक
काफी मुश्किल भरे हालात से गुजरने के बाद गुलाम नबी आजाद लगातार तैराकी प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर अपना लोहा मनवा चुके हैं. तैराक गुलाम नबी आजाद ने बताया कि इस तरह के खेलों का शौक उन्हें बचपन से ही था. इसके लिए उन्होंने शुरू से ही मेहनत की है.

तैराकी करते गुलाम नबी आजाद

बच्चों को ट्रेनिंग देकर कमाते थे पैसे
आजाद ने बताया कि दिल्ली और बैंगलोर में रहकर उन्होंने इसकी ट्रेनिंग ली. साथ ही अपने खर्चे के लिए बच्चों को इसकी शिक्षा भी दी. बिहार से इकलौते नुमाइंदगी करने वाले गुलाम नबी आजाद को सरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रही है. इसके बावजूद भी उसके हौसले काफी बुलंद हैं.

गुलाम नबी आजाद, तैराक

लोगों के लिए बने प्रेरणा
इस जीत के बाद गुलाम नबी आजाद अब अंतरराष्ट्रीय ओपन स्विमिंग प्रतियोगिता की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. काफी विषम परिस्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोने वाले गुलाम नबी आजाद वाकई वैसे लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो थोड़े विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं.

भागलपुर: 'जहां चाह, वहां राह' इस कहावत को सच कर दिखाया है भागलपुर के गुलाम नबी आजाद ने. 12वीं तक्षशिला राष्ट्रीय ओपन वाटर स्विमिंग प्रतियोगिता में गुलाम नबी ने दूसरा स्थान हासिल कर राज्य का नाम रोशन किया है. 13 किलोमीटर की तैराकी प्रतियोगिता में गुलाम दूसरे स्थान पर रहे.

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बचपन से था स्विमिंग का शौक

बचपन से था शौक
काफी मुश्किल भरे हालात से गुजरने के बाद गुलाम नबी आजाद लगातार तैराकी प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर अपना लोहा मनवा चुके हैं. तैराक गुलाम नबी आजाद ने बताया कि इस तरह के खेलों का शौक उन्हें बचपन से ही था. इसके लिए उन्होंने शुरू से ही मेहनत की है.

तैराकी करते गुलाम नबी आजाद

बच्चों को ट्रेनिंग देकर कमाते थे पैसे
आजाद ने बताया कि दिल्ली और बैंगलोर में रहकर उन्होंने इसकी ट्रेनिंग ली. साथ ही अपने खर्चे के लिए बच्चों को इसकी शिक्षा भी दी. बिहार से इकलौते नुमाइंदगी करने वाले गुलाम नबी आजाद को सरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रही है. इसके बावजूद भी उसके हौसले काफी बुलंद हैं.

गुलाम नबी आजाद, तैराक

लोगों के लिए बने प्रेरणा
इस जीत के बाद गुलाम नबी आजाद अब अंतरराष्ट्रीय ओपन स्विमिंग प्रतियोगिता की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं. काफी विषम परिस्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोने वाले गुलाम नबी आजाद वाकई वैसे लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो थोड़े विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं.

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12वीं तक्षशिला राष्ट्रीय ओपन वाटर स्विमिंग कंपटीशन में भागलपुर के गुलाम नबी आजाद ने दूसरे स्थान पर रहकर भागलपुर का नाम किया रोशन

जहां चाह वहां राह इस कहावत को सच करने वाले भागलपुर घुंघट के गुलाम नबी आजाद ने बिहार तैराकी संघ के द्वारा आयोजित करवाई गई तैराकी प्रतियोगिता 12वीं तक्षशिला राष्ट्रीय ओपन वाटर सेविंग कंपटीशन में 13 किलोमीटर की तैराकी कर बिहार एवं भागलपुर का नाम रोशन किया है काफी सामान्य घर से आने वाले गुलाम नबी आजाद का सपना इंटरनेशनल खिताब जीतने का है और जिस तरह का आत्मविश्वास उनके अंदर भरा है कोई बड़ी बात नहीं है कि वह भारत का प्रतिनिधित्व करें गुलाम नबी आजाद से मिलने के बाद एक बड़ी बात जो देखने को मिली है किस सामान में घर के बच्चों के लिए स्विमिंग जैसा शौक काफी मुश्किल भरा होता है घोरघाट नदी से अपना स्विमिंग का अभ्यास करने वाले गुलाम नबी आजाद एक बहुत ही समान नहीं घर से आते हैं जबकि स्विमिंग में ज्यादातर देखा गया है कि बड़े घरों के बच्चे स्विमिंग जैसे गेम का शौक रखते हैं ।


Body:काफी मुश्किल भरे हालात से गुजरने के बाद गुलाम नबी आजाद लगातार तैराकी प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर अपना लोहा मनवा चुके हैं लेकिन एक चीज यह देखने को मिली कि जिस तरह से तैराक को काफी पौष्टिक खाना चाहिए होता है वैसे वक्त में गुलाम नबी आजाद काफी मुश्किल परिस्थिति में पड़ जाते थे अपने दोस्तों का झूठा खाना खाकर तैराकी के लिए एनर्जी जुटा लेते थे जब ईटीवी भारत से तैराक गुलाम नबी आजाद बात कर रहे थे तो इस दौरान काफी भावुक हो गए और आंखों में भी आंसू आ गए लेकिन कहते हैं ना जहां चाह वहां राह जब लोग दिल से किसी चीज की चाहत करते हैं तो उसे हासिल करने के लिए उन्हें काफी त्याग और मेहनत करनी पड़ती है ।


Conclusion:तैराक गुलाम नबी आजाद बताते हैं इस तरह का गेम का शौक उनके लिए काफी बड़ी बात थी क्योंकि स्विमिंग कॉस्टयूम वगैरह भी काफी महंगे आते हैं जिसे काफी मुश्किल से वो खरीदते हैं उन्होंने बतौर ट्रेनर पैसा कमाने की शुरुआत की और धीरे-धीरे पैसा जमा कर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगे आज इकलौते बिहार की नुमाइंदगी करने वाले गुलाम नबी आजाद को सरकार का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है फिर भी उसके हौसले काफी बुलंद है और अपने लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय ओपन स्विमिंग कंपटीशन की तरह कदम दर कदम बढ़ रहे हैं काशी काफी विषम परिस्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोने वाले गुलाम नबी आजाद वाकई वैसे लोगों के लिए प्रेरणा है जोकि विषम परिस्थितियों में अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं ।

बाइट गुलाम नबी आजाद तैराक भागलपुर

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