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भागलपुर: स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग को लेकर बवाल, लोक चित्रगाथा मंजूषा बनाने की मांग

मंजूषा कलाकार उलपी झा ने कहा कि रेल प्रशासन की ओर से इस तरह के गैर जिम्मेदाराना कार्य की काफी निंदनिय है. अंग प्रदेश की अपनी लोक चित्र कथा मंजूषा है. इस स्टेशन पर अंग प्रदेश की मशहूर लोक चित्र गाथा मंजूषा होनी चाहिए.

स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग को लेकर बवाल
स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग को लेकर बवाल
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Published : Jan 30, 2020, 10:41 PM IST

भागलपुर: पूर्व रेलवे के अंतर्गत आने वाले भागलपुर जंक्शन पर इन दिनों लगातार निर्माण कार्य किया जा रहा है. जिसको लेकर स्टेशन परिसर को खूबसूरत बनाने के लिए मधुबनी पेंटिंग करवाया जा रहा है. लेकिन इस पेंटिंग के कारण जिले के स्थानीय मंजूषा कलाकारों में काफी नाराजगी है.

'अंग प्रदेश की अपनी संस्कृति'
इस मामले में प्रदेश की सरकार से सम्मानित मंजूषा कलाकार उलपी झा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि रेल प्रशासन की ओर से इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना कार्य निंदनीय है. उन्होंने बताया कि मधुबनी भी बिहार की लोककला है. जिसका मैं तहे दिल से सम्मान करती हूं. लेकिन जहां तक भागलपुर की बात है, तो इस अंग प्रदेश की अपनी लोक चित्र कथा मंजूषा है. जिसे किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग बनाना गलत'
उलपी झा ने बताया कि स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग का बनाना रेल प्रशासन की एक गलती है. जिसका विरोध होना चाहिए. इस स्टेशन पर अंग प्रदेश की मशहूर लोक चित्र गाथा मंजूषा होनी चाहिए.

'लोक संस्कृति को मिले सम्मान'
मंजूषा कलाकार उलपी झा ने कहा कि प्रदेश के सभी लोक संस्कृति को सम्मान मिलना चाहिए. मंजूषा कला किसी पहचान की मोहताज नहीं है. वहीं, इस मामले पर डीआरएम यतेंद्र कुमार ने कहा कि अंगिका क्षेत्र की मशहूर लोक पेंटिंग किसी पहचान की मोहताज नहीं है. इससे संबंधित लोक कलाकार आगे आकर बात करे. स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग की जगह मंजूषा आर्ट लगाया जाएगा.

भागलपुर: पूर्व रेलवे के अंतर्गत आने वाले भागलपुर जंक्शन पर इन दिनों लगातार निर्माण कार्य किया जा रहा है. जिसको लेकर स्टेशन परिसर को खूबसूरत बनाने के लिए मधुबनी पेंटिंग करवाया जा रहा है. लेकिन इस पेंटिंग के कारण जिले के स्थानीय मंजूषा कलाकारों में काफी नाराजगी है.

'अंग प्रदेश की अपनी संस्कृति'
इस मामले में प्रदेश की सरकार से सम्मानित मंजूषा कलाकार उलपी झा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि रेल प्रशासन की ओर से इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना कार्य निंदनीय है. उन्होंने बताया कि मधुबनी भी बिहार की लोककला है. जिसका मैं तहे दिल से सम्मान करती हूं. लेकिन जहां तक भागलपुर की बात है, तो इस अंग प्रदेश की अपनी लोक चित्र कथा मंजूषा है. जिसे किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग बनाना गलत'
उलपी झा ने बताया कि स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग का बनाना रेल प्रशासन की एक गलती है. जिसका विरोध होना चाहिए. इस स्टेशन पर अंग प्रदेश की मशहूर लोक चित्र गाथा मंजूषा होनी चाहिए.

'लोक संस्कृति को मिले सम्मान'
मंजूषा कलाकार उलपी झा ने कहा कि प्रदेश के सभी लोक संस्कृति को सम्मान मिलना चाहिए. मंजूषा कला किसी पहचान की मोहताज नहीं है. वहीं, इस मामले पर डीआरएम यतेंद्र कुमार ने कहा कि अंगिका क्षेत्र की मशहूर लोक पेंटिंग किसी पहचान की मोहताज नहीं है. इससे संबंधित लोक कलाकार आगे आकर बात करे. स्टेशन परिसर में मधुबनी पेंटिंग की जगह मंजूषा आर्ट लगाया जाएगा.

Intro:bh_bgp_01_manjusha_artist_annoyed_on_eastern_railway_for_madhubani_painting_in_bhagalpur_station_avb_7202641

भागलपुर स्टेशन पर मधुबनी पेंटिंग के बनने पर बवाल ,अंग प्रदेश की लोक चित्रगाथा मंजूषा कला से जुड़े लोगों ने जताई नाराजगी

भागलपुर स्टेशन पर भागलपुर अंग प्रदेश की लोक कला मंजूषा के बदले मधुबनी पेंटिंग बनाए जाने से दुखी मंजूषा कलाकारों

पूर्व रेलवे के भागलपुर स्टेशन पर इन दिनों लगातार निर्माण कार्य किया जा रहा है और स्टेशन को खूबसूरत बनाए जाने को लेकर भी रेल प्रशासन काफी ज्यादा सजग दिख रहा है इसी मद्देनजर भागलपुर स्टेशन को खूबसूरत बनाने के लिए रेल प्रशासन ने मधुबनी पेंटिंग स्टेशन के बाहर बनाया है जिसकी वजह से भागलपुर के मंजूषा कलाकारों में काफी ज्यादा नाराजगी देखने को मिल रही है मंजूषा कलाकार रेल प्रशासन के इस रवैया से काफी ज्यादा नाराज है ।


Body:सरकार के द्वारा सम्मानित और अंग प्रदेश के लोक चित्र गाथा मंजूषा कला से जुड़ी उलपी झा ने रेल प्रशासन के द्वारा किए जा रहे इस तरह के गैर जिम्मेदाराना कार्य की काफी निंदा की उलपी झा ने कहा कि मधुबनी भी बिहार की लोक कला है जिसका मैं काफी सम्मान करती हूं लेकिन जहां भागलपुर की बात है तो भागलपुर रंग प्रदेश की अपनी लोक चित्र कथा मंजूषा है इसे किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है भागलपुर स्टेशन पर मधुबनी पेंटिंग का बनाना रेल प्रशासन की तरफ से किया जाने वाला एक गलत कार्य है जिसका विरोध होना चाहिए और भागलपुर स्टेशन पर अंग प्रदेश की अपनी मशहूर लोक चित्र गाथा मंजूषा ही रहनी चाहिए।


Conclusion:हर एक लोक संस्कृति को सम्मान मिलना चाहिए खास हमारी मंजूषा जो अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है उसे मधुबनी की जगह लगाना चाहिए । रेल प्रशासन के डीआरएम यतेंद्र कुमार से इस मामले पर बात की गई तो उन्होंने अंगिका क्षेत्र की मशहूर लोक पेंटिंग को भी स्टेशन पर लगाए जाने की बात कही है उन्होंने कहा कि लोग आगे आकर अगर हमें बताते हैं तो मुझे कोईबआपत्ति नहीं है मधुबनी की जगह मंजूषा आर्ट भी हम स्टेशन में बनाएंगे ।

बाइट उलपी झा मंजूषा कलाकार भागलपुर

ऑडियो क्लिप यतेंद्र कुमार डीआरएम ईस्टर्न रेलवे
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