भागलपुरः एक तरफ जहां गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की बात कही जा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले में छह महीने पहले विद्युत शवदाह गृह का निर्माण होने के बाद भी इसे शुरू किया नहीं जा सका है. ऐसे में विभागीय लापरवाही के कारण करोड़ों की लागत से चलने वाली नमामी गंगा योजना की अंत्येष्टि की जा रही है.
कई जिलों से आते हैं लोग
दूर दराज इलाकों के साथ ही कई जिलों के लोग इस श्मशान घाट पर शव का दाह संस्कार करने के लिए आते हैं. ऐसे में विद्युत शवदाह गृह के बंद होने पर घाट किनारे ही शव का अंतिम संस्कार करना पड़ता है. इसके बाद अधजले और बचे हुए शव के टुकड़े को नदी में ही फेंक दिया जाता है. जो गंगा के प्रदूषित होने की बड़ी वजह है.
![Bhagalpur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/5744238_bhagalpur1.jpg)
15 से 20 शवों का होता है अंतिम संस्कार
घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करने वाले विजय मलिक ने बताया कि इस घाट पर हर दिन 15 से 20 शवों का दाह संस्कार होता है. उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद अधजले शव को नदी में ही फेंक दिया जाता है. वहीं, बांका से शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए आए श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि विद्यूत शव घर के बंद होने के कारण बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, यहां डोमराजा एक शव को जलाने के लिए 5 हजार रुपये की मांग करता है.
शवदाह गृह में लगाने हैं और उपकरण
मामले में नगर आयुक्त जे प्रियदर्शिनी ने कहा कि विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कार्य बुडको के पास है. शवदाह गृह में अभी कुछ और मशीन लगाने हैं. जिसके लिए उनके पास राशि उपलब्ध नहीं है. बुडको की ओर से फंड मिलने पर गृह में और मशीन लगाए जाएंगे. इसके बाद शवदाह गृह चालू हो सकेगा.