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6 महीने पहले बना विद्युत शवदाह गृह, आज तक नहीं हुआ एक भी दाह संस्कार

नगर आयुक्त जे प्रियदर्शिनी ने कहा कि विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कार्य बुडको के पास है. शवदाह गृह में अभी कुछ और मशीन लगाने हैं. जिसके लिए उनके पास राशि उपलब्ध नहीं है. बुडको की ओर से फंड मिलने पर गृह में और मशीन लगाए जाएंगे. इसके बाद शवदाह गृह चालू हो सकेगा.

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Published : Jan 17, 2020, 11:06 PM IST

भागलपुर
भागलपुर

भागलपुरः एक तरफ जहां गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की बात कही जा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले में छह महीने पहले विद्युत शवदाह गृह का निर्माण होने के बाद भी इसे शुरू किया नहीं जा सका है. ऐसे में विभागीय लापरवाही के कारण करोड़ों की लागत से चलने वाली नमामी गंगा योजना की अंत्येष्टि की जा रही है.

कई जिलों से आते हैं लोग
दूर दराज इलाकों के साथ ही कई जिलों के लोग इस श्मशान घाट पर शव का दाह संस्कार करने के लिए आते हैं. ऐसे में विद्युत शवदाह गृह के बंद होने पर घाट किनारे ही शव का अंतिम संस्कार करना पड़ता है. इसके बाद अधजले और बचे हुए शव के टुकड़े को नदी में ही फेंक दिया जाता है. जो गंगा के प्रदूषित होने की बड़ी वजह है.

Bhagalpur
नदी किनारे जल रहा शव

15 से 20 शवों का होता है अंतिम संस्कार
घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करने वाले विजय मलिक ने बताया कि इस घाट पर हर दिन 15 से 20 शवों का दाह संस्कार होता है. उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद अधजले शव को नदी में ही फेंक दिया जाता है. वहीं, बांका से शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए आए श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि विद्यूत शव घर के बंद होने के कारण बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, यहां डोमराजा एक शव को जलाने के लिए 5 हजार रुपये की मांग करता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

शवदाह गृह में लगाने हैं और उपकरण
मामले में नगर आयुक्त जे प्रियदर्शिनी ने कहा कि विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कार्य बुडको के पास है. शवदाह गृह में अभी कुछ और मशीन लगाने हैं. जिसके लिए उनके पास राशि उपलब्ध नहीं है. बुडको की ओर से फंड मिलने पर गृह में और मशीन लगाए जाएंगे. इसके बाद शवदाह गृह चालू हो सकेगा.

भागलपुरः एक तरफ जहां गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की बात कही जा रही है. वहीं, दूसरी ओर जिले में छह महीने पहले विद्युत शवदाह गृह का निर्माण होने के बाद भी इसे शुरू किया नहीं जा सका है. ऐसे में विभागीय लापरवाही के कारण करोड़ों की लागत से चलने वाली नमामी गंगा योजना की अंत्येष्टि की जा रही है.

कई जिलों से आते हैं लोग
दूर दराज इलाकों के साथ ही कई जिलों के लोग इस श्मशान घाट पर शव का दाह संस्कार करने के लिए आते हैं. ऐसे में विद्युत शवदाह गृह के बंद होने पर घाट किनारे ही शव का अंतिम संस्कार करना पड़ता है. इसके बाद अधजले और बचे हुए शव के टुकड़े को नदी में ही फेंक दिया जाता है. जो गंगा के प्रदूषित होने की बड़ी वजह है.

Bhagalpur
नदी किनारे जल रहा शव

15 से 20 शवों का होता है अंतिम संस्कार
घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करने वाले विजय मलिक ने बताया कि इस घाट पर हर दिन 15 से 20 शवों का दाह संस्कार होता है. उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद अधजले शव को नदी में ही फेंक दिया जाता है. वहीं, बांका से शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए आए श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि विद्यूत शव घर के बंद होने के कारण बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, यहां डोमराजा एक शव को जलाने के लिए 5 हजार रुपये की मांग करता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

शवदाह गृह में लगाने हैं और उपकरण
मामले में नगर आयुक्त जे प्रियदर्शिनी ने कहा कि विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कार्य बुडको के पास है. शवदाह गृह में अभी कुछ और मशीन लगाने हैं. जिसके लिए उनके पास राशि उपलब्ध नहीं है. बुडको की ओर से फंड मिलने पर गृह में और मशीन लगाए जाएंगे. इसके बाद शवदाह गृह चालू हो सकेगा.

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भागलपुर के श्मशान में नमामि गंगे योजना की अन्त्येष्टि, छह माह पुर्व बना विद्युत शवदाह गृह नही हुआ शुरू

पूरे देश में जहां एक तरफ गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की बात कही जाती है वहीं दूसरी तरफ आप देख सकते हैं कि किस तरह से भागलपुर में विद्युत शवदाह गृह के निर्माण के बावजूद भी इसे शुरू किया नहीं जा सका है इस पूरे मामले में सरकार की विभागीय लापरवाही साफ तौर पर देखी जा सकती है कि किस तरह से सरकार की करोड़ों रुपए की चलने वाली नमामि गंगे योजना की अंत्येष्टि सरकार की एक व्यवस्था की वजह से हो रही है ।


Body:अंत्येष्टि करने आए लोगों को करनी पड़ती है काफी महंगी लकड़ियां

भागलपुर के श्मशान घाट में लगभग भागलपुर के दूरदराज इलाकों के साथ-साथ हैं कई और भी जिलों के लोग मृत शरीर का शव लेकर दाह संस्कार के लिए पहुंचते हैं लेकिन विद्युत शवदाह गृह निर्मित होकर भी शुरू नहीं होने की वजह से उन्हें काफी उदासी होती है कि आखिर किसको व्यवस्था का शिकार होने की वजह से नवनिर्मित विद्युत शवदाह गृह शुरू नहीं हो पा रहा है
श्मशान घाट पर शव लेकर आने के बाद सबसे पहले 3 क्विंटल से 4 क्विंटल तक लकड़िया खरीदनी पड़ती है लकड़ी का भाव करीबन ₹800 क्विंटल के आसपास का होता है ।

कई बार अधजले शरीर को ऐसे ही गंगा में फेंक देते हैं और गंगा को दूषित करते हैं

साथ ही साथ टायर और अरहर का सूखा पेड़ भी लाश जलाने में इस्तेमाल किया जाता है ताकि जल्दी से जल्दी मृत शरीर को जलाया जा सके लेकिन कई बार बारिश के मौसम में लाश पूरी तरह से नहीं जल पाता और अधजले स्थिति में लाश को गंगा में फेंकना पड़ता है जिसकी वजह से गंगा पूरी तरह से प्रदूषित हो जाती है सारी चीजों को देखकर यही स्पष्ट होता है की केंद्र सरकार जिस तरह से अरबों रुपया गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने में पानी की तरह बहा रही है वहीं दूसरी तरफ सरकारी कुव्यवस्था ही गंगा को प्रदूषित होने की बड़ी वजह बन रही है ।




Conclusion:नगर आयुक्त जे प्रियदर्शिनी ने कहा की बुडको के पास बाकी मशीनरी खरीदने के लिए नही है राशि

भागलपुर के नगर आयुक्त जे प्रियदर्शिनी का कहना है कि विद्युत शवदाह गृह का कार्य बुडको के पास होने की वजह से नगर निगम को बुडको से पत्राचार कर पता करना पड़ा कि आखिर निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद विद्युत शवदाह गृह को क्यों नहीं शुरू किया जा रहा है बुडको ने नगर आयुक्त को जवाब देते हुए कहा है कि कुछ मशीनरी और विद्युत शवदाह गिरी में लगानी है जिसके लिए उनके पास अभी राशि उपलब्ध नहीं है तभी कार्य शुरू हो पाएगा ।

मजबूरी का फायदा उठा कर श्मशान घाट पर शव लेकर आए हुए लोगों का किया जाता है दोहन

कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है श्मशान घाट पर लोग घाट पर काम कर रहे लोगों के बीच लड़ाई की स्थिति उत्पन्न हो जाती है मसान घाट पर काम करने वाले डोम राज लाश को जलाने के लिए काफी ज्यादा रकम की मांग करते हैं जिससे सब लेकर का दाह संस्कार करने आए लोगों को काफीL मुश्किल का सामना करना पड़ता है पीड़ित परिवार उसे कई बार घाट पर काम कर रहे डोम राज के पूरे गिरोह की लड़ाई हो जाती है इसमें कई बार पुलिस को भी बुलाना पड़ जाता है ।

पी टू सी संतोष श्रीवास्तव संवाददाता भागलपुर
बाइट विजय मलिक डोमराजा श्मशान लाल कपड़े में
बाइट श्रीनिवास शर्मा शव लेकर आए लोग ब्लैक टीशर्ट में
बाइट जे प्रियदर्शनी नगर आयुक्त भागलपुर
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