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दही की हांडी में छुपाकर पहुंचे थे हथियार, यहां जानें भारत के पहले जेलब्रेक कांड की कहानी - Begusarai jailbreak incident

बेगूसराय जेल ब्रेक कांड का जिक्र करके लोग सहम जाते हैं, बल्कि जेलब्रेक कांड के बाद जो जिले में हत्याओं का दौर चला था वह सोचने से भी लोग परहेज करते हैं.

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मंडल कारा, बेगूसराय
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Published : Dec 24, 2019, 11:34 AM IST

Updated : Dec 24, 2019, 12:19 PM IST

बेगूसरायः इस जिला को लोग यूं ही बड़े अपराध की प्रयोगशाला नहीं कहते. चाहे आजाद भारत के पहले जेल ब्रेक कांड का मामला हो, या पूरे भारत में चुनाव के दौरान पहली बूथ लूट की घटना, बेगूसराय हमेशा सुर्खियों में रहा है. 32 साल पहले बेगूसराय जेल ब्रेक की घटना आज भी जिले के लिए काला अध्याय माना जाता है. पेश है बेगूसराय जेल ब्रेक पर एक खास रिपोर्ट.

बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की थी साजिश
बेगूसराय जिला बिहार के सर्वाधिक अपराध प्रभावित जिलों में शुमार है. भारत के पहले जेलब्रेक कांड का गवाह बना यह जिला आज तक जेल ब्रेक कांड के दाग को धो नहीं हो पाया है. 11 मार्च 1987 को जेल में बंद बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की साजिश के साथ-साथ जेल ब्रेक करने का दिन जेल में बंद अपराधियों के जरिए तय किया गया था.

स्पेशल रिपोर्ट

ऐसे रची गई थी जेल ब्रेक की साजिश
दरअसल 11 मार्च 1987 को जैसे ही मुलाकातों का दौर शुरू हुआ और बाहुबली किशोर सिंह मुलाकातियों से मिलने पहुंचे, जेल के अंदर पहले से मौजूद हथियारबंद अपराधियों ने उनपर और ड्यूटी पर तैनात सिपाही पर फायरिंग शुरू कर दी, वहीं जेल के बाहर भी दर्जनों अपराधी मुलाकाती के रूप में मौजूद थे. जिन्होंने किशोर सिंह की हत्या के बाद जेल के अंदर से कैदियों को भागने में मदद की.

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बेगूसराय मंडल कारा

100 से ज्यादा अपराधी भागने में रहे सफल
इस जेलब्रेक के दौरान षड्यंत्रकारी अपराधी तो भागने में सफल रहे, उनके साथ 100 से ज्यादा कुख्यात अपराधी जेलब्रेक होते देख फरार हो गए. बाद में पुलिस दबिश के कारण कई अपराधी जेल में वापस लौटे. लेकिन 50 से ज्यादा अपराधी फरार ही रह गए.

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जेल का वार्ड

टुनटुन सिंह था घटना का मुख्य आरोपी
जेल में बंद बीहट के रहने वाले अपराधी अनिल सिंह के बयान पर इस मामले में नगर थाना कांड संख्या 65/1987 दर्ज करवाया गया. जिसमें कई कुख्यात अपराधियों समेत तात्कालीन विधायक और जेलर को भी नामजद आरोपी बनाया गया. जिसमें मोहनपुर निवासी बुद्धन सिंह, टुनटुन सिंह सहित मटिहानी और शाहपुर गांव के कई अपराधियों को इसका प्रमुख जिम्मेदार ठहराया गया.

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जेल के इसी वार्ड में रहते थे बाहुबली किशोर सिंह

ये भी पढ़ेंः लालू ने सोरेन को दी बधाई, जश्न में डूबे कार्यकर्ता बोले- 'जेल का फाटक टूटेगा, लालू यादव छूटेगा'

ऐसे शुरू हुआ जिले में गैंगवार का सिलसिला
वहीं, जेल ब्रेक के दौरान बाहुबली किशोर सिंह की हत्या के बाद कांग्रेस और सीपीआई समर्थित अपराधियों के बीच पूरे जिले में गैंगवार शुरू हो गई. और लंबे समय तक हत्याओं का दौर चलता रहा. इसी कड़ी में सीजीएम आवास के समक्ष एक वकील की भी हत्या हुई थी. जिनके परिजन आज भी इस घटना से आहत हैं.

जेलब्रेक में शामिल कई आरोपियों की मौत
जेलब्रेक मामले के वकील संजीत सिंह बताते हैं कि इस मामले में ज्यादातर आरोपियों की मौत हो चुकी है. जो जीवित बचे थे उसमें अधिकांश बरी कर दिए गए हैं. वहीं, वर्तमान समय मैं होमगार्ड कार्यालय में पदस्थापित श्याम किशोर बताते हैं की बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की साजिश जेल में बंद मोहनपुर गांव निवासी टुनटुन सिंह ने रची थी. उन्होंने दही के बर्तन में हथियार मंगवाया और बाहर से भी हथियारों से लैस अपराधी को बुलाकर किशोर सिंह की हत्या की. इसके साथ ही जेलब्रेक कांड को अंजाम दिया गया.

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अमरेंद्र अमर, वकील

जिले के लिए बन गया काला अध्याय
बेगूसराय जेल ब्रेक कांड का जिक्र करके लोग सहम जाते हैं, बल्कि जेल ब्रेक कांड के बाद जो जिले में हत्याओं का दौर चला था वह सोचने से भी लोग परहेज करते हैं. कहीं ना कहीं बेगूसराय जेल ब्रेक कांड को बेगूसराय के लिए काला अध्याय ही माना जाएगा.

बेगूसरायः इस जिला को लोग यूं ही बड़े अपराध की प्रयोगशाला नहीं कहते. चाहे आजाद भारत के पहले जेल ब्रेक कांड का मामला हो, या पूरे भारत में चुनाव के दौरान पहली बूथ लूट की घटना, बेगूसराय हमेशा सुर्खियों में रहा है. 32 साल पहले बेगूसराय जेल ब्रेक की घटना आज भी जिले के लिए काला अध्याय माना जाता है. पेश है बेगूसराय जेल ब्रेक पर एक खास रिपोर्ट.

बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की थी साजिश
बेगूसराय जिला बिहार के सर्वाधिक अपराध प्रभावित जिलों में शुमार है. भारत के पहले जेलब्रेक कांड का गवाह बना यह जिला आज तक जेल ब्रेक कांड के दाग को धो नहीं हो पाया है. 11 मार्च 1987 को जेल में बंद बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की साजिश के साथ-साथ जेल ब्रेक करने का दिन जेल में बंद अपराधियों के जरिए तय किया गया था.

स्पेशल रिपोर्ट

ऐसे रची गई थी जेल ब्रेक की साजिश
दरअसल 11 मार्च 1987 को जैसे ही मुलाकातों का दौर शुरू हुआ और बाहुबली किशोर सिंह मुलाकातियों से मिलने पहुंचे, जेल के अंदर पहले से मौजूद हथियारबंद अपराधियों ने उनपर और ड्यूटी पर तैनात सिपाही पर फायरिंग शुरू कर दी, वहीं जेल के बाहर भी दर्जनों अपराधी मुलाकाती के रूप में मौजूद थे. जिन्होंने किशोर सिंह की हत्या के बाद जेल के अंदर से कैदियों को भागने में मदद की.

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बेगूसराय मंडल कारा

100 से ज्यादा अपराधी भागने में रहे सफल
इस जेलब्रेक के दौरान षड्यंत्रकारी अपराधी तो भागने में सफल रहे, उनके साथ 100 से ज्यादा कुख्यात अपराधी जेलब्रेक होते देख फरार हो गए. बाद में पुलिस दबिश के कारण कई अपराधी जेल में वापस लौटे. लेकिन 50 से ज्यादा अपराधी फरार ही रह गए.

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जेल का वार्ड

टुनटुन सिंह था घटना का मुख्य आरोपी
जेल में बंद बीहट के रहने वाले अपराधी अनिल सिंह के बयान पर इस मामले में नगर थाना कांड संख्या 65/1987 दर्ज करवाया गया. जिसमें कई कुख्यात अपराधियों समेत तात्कालीन विधायक और जेलर को भी नामजद आरोपी बनाया गया. जिसमें मोहनपुर निवासी बुद्धन सिंह, टुनटुन सिंह सहित मटिहानी और शाहपुर गांव के कई अपराधियों को इसका प्रमुख जिम्मेदार ठहराया गया.

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जेल के इसी वार्ड में रहते थे बाहुबली किशोर सिंह

ये भी पढ़ेंः लालू ने सोरेन को दी बधाई, जश्न में डूबे कार्यकर्ता बोले- 'जेल का फाटक टूटेगा, लालू यादव छूटेगा'

ऐसे शुरू हुआ जिले में गैंगवार का सिलसिला
वहीं, जेल ब्रेक के दौरान बाहुबली किशोर सिंह की हत्या के बाद कांग्रेस और सीपीआई समर्थित अपराधियों के बीच पूरे जिले में गैंगवार शुरू हो गई. और लंबे समय तक हत्याओं का दौर चलता रहा. इसी कड़ी में सीजीएम आवास के समक्ष एक वकील की भी हत्या हुई थी. जिनके परिजन आज भी इस घटना से आहत हैं.

जेलब्रेक में शामिल कई आरोपियों की मौत
जेलब्रेक मामले के वकील संजीत सिंह बताते हैं कि इस मामले में ज्यादातर आरोपियों की मौत हो चुकी है. जो जीवित बचे थे उसमें अधिकांश बरी कर दिए गए हैं. वहीं, वर्तमान समय मैं होमगार्ड कार्यालय में पदस्थापित श्याम किशोर बताते हैं की बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की साजिश जेल में बंद मोहनपुर गांव निवासी टुनटुन सिंह ने रची थी. उन्होंने दही के बर्तन में हथियार मंगवाया और बाहर से भी हथियारों से लैस अपराधी को बुलाकर किशोर सिंह की हत्या की. इसके साथ ही जेलब्रेक कांड को अंजाम दिया गया.

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अमरेंद्र अमर, वकील

जिले के लिए बन गया काला अध्याय
बेगूसराय जेल ब्रेक कांड का जिक्र करके लोग सहम जाते हैं, बल्कि जेल ब्रेक कांड के बाद जो जिले में हत्याओं का दौर चला था वह सोचने से भी लोग परहेज करते हैं. कहीं ना कहीं बेगूसराय जेल ब्रेक कांड को बेगूसराय के लिए काला अध्याय ही माना जाएगा.

Intro:एंकर- बेगूसराय जिला यानी हर बड़े अपराध की प्रयोगशाला लोग यूं ही नहीं कहते, चाहे आजाद भारत के पहले जेल ब्रेक कांड का मामला हो या पूरे भारत में चुनाव के दौरान पहली बूथ लूट का, बेगूसराय हमेशा सुर्खियों में रहा है। 32 साल पहले बेगूसराय जेल ब्रेक की घटना आज भी जिले के लिए काला अध्याय माना जाता है ।
क्या है पूरा मामला ।
एक रिपोर्ट


Body:vo- बेगूसराय जिला बिहार के सर्वाधिक अपराध प्रभावित जिलों में शुमार है भारत के पहले जेलब्रेक कांड का गवाह बना यह जिला आज तक जेल ब्रेक कांड के दाग को धो नहीं हो पाया है।

बात बेगूसराय जेल ब्रेक की करें तो 11 मार्च 1987 को जेल में बंद बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की साजिश के साथ-साथ जेल ब्रेक करने का दिन, जेल में बंद अपराधियों के द्वारा मुकर्रर किया गया।
जैसे ही मुलाकातों का दौर शुरू हुआ और बाहुबली किशोर सिंह मुलाकातियों से मिलने पहुंचे जेल के अंदर से हथियारबंद अपराधियों ने उनके ऊपर और संतरी ड्यूटी पर तैनात सिपाही पर फायरिंग शुरू कर दी, वहीं जेल के बाहर भी दर्जनों अपराधी मौजूद थे जिन्होंने किशोर सिंह की हत्या के बाद जेल के अंदर से कैदियों को भागने में मदद की।
इस जेलब्रेक के दौरान षड्यंत्र कारी अपराधी तो भागने में सफल रहे हीं, जेलब्रेक होते देख 100 से ज्यादा कुख्यात अपराधी जेल से फरार हो गए। बाद में पुलिस दबिश के कारण कई अपराधी जेल में वापस लौटे लेकिन 50 से ज्यादा अंततः फरार ही रह गए।

इस मामले में जेल में बंद अपराधी अनिल सिंह जो बीहट के रहने वाले थे के बयान पर नगर थाना कांड संख्या65/ 1987 दर्ज करवाया गया,जिसमे कई कुख्यात अपराधियों समेत तात्कालीन विधायक और जेलर को भी नामजद आरोपी बनाया गया। जिसमें मोहनपुर निवासी बुद्धन सिंह टुनटुन सिंह समेत मटिहानी और शाहपुर गांव के कई अपराधियों को इसका प्रमुख जिम्मेदार ठहराया गया ।

वही जेल ब्रेक के दौरान बाहुबली किशोर सिंह की हत्या के बाद कांग्रेस और सीपीआई समर्थित अपराधियों के बीच पूरे जिले में गैंगवार शुरू हो गई और लंबे समय तक हत्याओं का दौर चलता रहा ।
इसी कड़ी में सीजीएम आवास के समक्ष एक वकील की भी हत्या हुई थी उनके परिजन आज भी इस घटना से आहत हैं।
बाइट -अमरेंद्र अमर,पीड़ित भाई सह वकील
vo- वही जेलब्रेक मामले के वकील संजीत सिंह बताते हैं कि इस मामले में ज्यादातर आरोपियों की मौत हो चुकी है और जो जीवित बचे थे उसमें अधिकांश बरी कर दिए गए हैं।

बाइट-संजीत सिंह,जेल ब्रेक कांड के वकील

vo-वही वर्तमान समय मैं होमगार्ड कार्यालय में पदस्थापित श्याम किशोर बताते हैं की बाहुबली किशोर सिंह की हत्या की साजिश जेल में बंद मोहनपुर गांव निवासी टुनटुन सिंह ने रची थी और दही के बर्तन में हथियार मंगवा कर तथा बाहर से हथियारों से लैस अपराधी बुलाकर किशोर सिंह की हत्या के साथ-साथ जेलब्रेक कांड को अंजाम दिया गया था।
वन टू वन विथ श्याम किशोर,होमगार्ड जवान


Conclusion:fvo- इतना तय है की बेगूसराय जेल ब्रेक कांड बेगूसराय के इतिहास के लिए नासूर बन गया है ना सिर्फ जेल ब्रेक कांड का जिक्र कर लोग सहम जाते हैं ,बल्कि जेल ब्रेक कांड के बाद जो जिले में हत्याओं का दौर चला था वह सोचने से भी लोग परहेज करते हैं ।कहीं ना कहीं बेगूसराय जेल ब्रेक कांड को बेगूसराय के लिए काला अध्याय ही माना जाएगा।
Last Updated : Dec 24, 2019, 12:19 PM IST
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