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जिस गांव के अपराधियों ने कभी किया था जेल ब्रेक, आज उसी गांव का सरकारी स्कूल बना हाईटेक

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Published : Dec 19, 2019, 12:52 PM IST

ग्रामीणों की सोच और विद्यालय प्रबंधन की देखरेख मध्य विद्यालय मोहनपुर को नई पहचान देने में कामयाब रहा है. अब इस विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था ना सिर्फ जिले के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक आइकॉन बन गया है.

begusarai
सरकारी स्कूल बना हाईटेक

बेगूसराय: एक वक्त था जब जिले का मोहनपुर गांव अपने अपराधिक इतिहास से चर्चाओं में था. हालात ऐसे थे की बेटियों के शादी नहीं हो पा रही थी. अन्य गांव के लोग अपनी बेटी का रिश्ता इस गांव के लड़कों से करने को तैयार नहीं थे. लेकिन बदलते वक्त के साथ-साथ गांव के ही कुछ प्रबुद्ध लोगों द्वारा सामाजिक बदलाव की जो रूपरेखा तैयार की गई उसका परिणाम अब आकर सार्थक दिखने लगा है.

जिले का मोहनपुर गांव बिहार सरकार के लिए रोल मॉडल हो गया है. यह गांव तब सुर्खियों में आया था जब यहां अपराधियों ने भारतवर्ष में पहले जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दिया था. वहीं, अब ये गांव इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि यहां के लोगों के आर्थिक और शारीरिक सहयोग से शिक्षा की अलख जगी है.

begusarai
लाइब्रेरी की भी है व्यवस्था

ग्रामीणों के सहयोग से सरकारी विद्यालय बना हाईटेक
मोहनपुर गांव के रहने वाले रिटार्यड इंजीनियर राजकिशोर सिंह ने इस गांव की तस्वीर को बदलने के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार किया और युवाओं को मोटिवेट कर शिक्षा की ओर प्रेरित किया. इसकी शुरुआत मध्य विद्यालय मोहनपुर से हुई. वर्ष 2006 में यह विद्यालय खंडहर सा प्रतीत होता था. लेकिन अब ग्रामीणों के सहयोग से यह विद्यालय हाईटेक हो गया है.

अत्याधुनिक सुविधाओं से है लैस
निजी विद्यालयों की तरह इस सरकारी विद्यालय में स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, स्मार्ट टीवी, कंप्यूटर लैब, मीटिंग हॉल, टॉयलेट इलेक्ट्रॉनिक बेल, सीसीटीवी कैमरा समेत तमाम तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. योग्य शिक्षकों और योग्य प्रधानाचार्य होने के कारण यह विद्यालय दिन दूगनी रात चौगुनी प्रगति करता रहा है. अब स्थिति यह है कि निजी विद्यालयों से अपने बच्चों का नाम हटाकर अभिभावक इस सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाना ज्यादा मुनासिब और सुरक्षित समझते हैं.

begusarai
स्कूल में पढ़ाई करते छात्र

बदलते वक्त के साथ विद्यालय की बदली तस्वीर
रिटायर्ड इंजीनियर राज किशोर सिंह बताते हैं कि जब यहां अपराध का बोलबाला था तो शिक्षा का स्तर बहुत ही निम्न था. लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदलते गया लोगों की सोच बदली. ग्रामीणों की सहयोग से इस विद्यालय की तस्वीर बदली. आज यहां सैकड़ों छात्र पढ़ने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि यहां से पढ़ाई पूरी कर निकलने वाले बच्चे अब देश के विभिन्न बड़े-बड़े संस्थानों की शोभा बढ़ा रहे हैं.

अन्य राज्य के लिये बना प्रेरणा का श्रोत
विद्यालय के प्रधानाचार्य बताते हैं कि अमूनन बिहार के सरकारी विद्यालय प्रबंधन और ग्रामीणों में समन्वय स्थापित नहीं होने के कारण स्कूल राजनीति का अखाड़ा बन जाता है. लेकिन आज ये विद्यालय इस गांव के लिये प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. साथ ही जिले और अन्य राज्य के लिये भी प्रेरणा का श्रोत बना हुआ है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- LIVE: CAA और NRC के खिलाफ वामदलों का बिहार बंद, दरभंगा में रोकी ट्रेन

मोहनपुर गांव को मिली नई पहचान
निश्चित रूप से ग्रामीणों की सोच और विद्यालय प्रबंधन की देखरेख मध्य विद्यालय मोहनपुर को नई पहचान देने में कामयाब रहा है. अब इस विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था ना सिर्फ जिले के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक आइकॉन बन गया है. जरूरत इस बात की है की इस विद्यालय की भांति हर सरकारी विद्यालय को सक्षम बनाने के लिये व्यापक अभियान शुरू किया जाए.

बेगूसराय: एक वक्त था जब जिले का मोहनपुर गांव अपने अपराधिक इतिहास से चर्चाओं में था. हालात ऐसे थे की बेटियों के शादी नहीं हो पा रही थी. अन्य गांव के लोग अपनी बेटी का रिश्ता इस गांव के लड़कों से करने को तैयार नहीं थे. लेकिन बदलते वक्त के साथ-साथ गांव के ही कुछ प्रबुद्ध लोगों द्वारा सामाजिक बदलाव की जो रूपरेखा तैयार की गई उसका परिणाम अब आकर सार्थक दिखने लगा है.

जिले का मोहनपुर गांव बिहार सरकार के लिए रोल मॉडल हो गया है. यह गांव तब सुर्खियों में आया था जब यहां अपराधियों ने भारतवर्ष में पहले जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दिया था. वहीं, अब ये गांव इसलिए सुर्खियों में है क्योंकि यहां के लोगों के आर्थिक और शारीरिक सहयोग से शिक्षा की अलख जगी है.

begusarai
लाइब्रेरी की भी है व्यवस्था

ग्रामीणों के सहयोग से सरकारी विद्यालय बना हाईटेक
मोहनपुर गांव के रहने वाले रिटार्यड इंजीनियर राजकिशोर सिंह ने इस गांव की तस्वीर को बदलने के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार किया और युवाओं को मोटिवेट कर शिक्षा की ओर प्रेरित किया. इसकी शुरुआत मध्य विद्यालय मोहनपुर से हुई. वर्ष 2006 में यह विद्यालय खंडहर सा प्रतीत होता था. लेकिन अब ग्रामीणों के सहयोग से यह विद्यालय हाईटेक हो गया है.

अत्याधुनिक सुविधाओं से है लैस
निजी विद्यालयों की तरह इस सरकारी विद्यालय में स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, स्मार्ट टीवी, कंप्यूटर लैब, मीटिंग हॉल, टॉयलेट इलेक्ट्रॉनिक बेल, सीसीटीवी कैमरा समेत तमाम तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. योग्य शिक्षकों और योग्य प्रधानाचार्य होने के कारण यह विद्यालय दिन दूगनी रात चौगुनी प्रगति करता रहा है. अब स्थिति यह है कि निजी विद्यालयों से अपने बच्चों का नाम हटाकर अभिभावक इस सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाना ज्यादा मुनासिब और सुरक्षित समझते हैं.

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स्कूल में पढ़ाई करते छात्र

बदलते वक्त के साथ विद्यालय की बदली तस्वीर
रिटायर्ड इंजीनियर राज किशोर सिंह बताते हैं कि जब यहां अपराध का बोलबाला था तो शिक्षा का स्तर बहुत ही निम्न था. लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदलते गया लोगों की सोच बदली. ग्रामीणों की सहयोग से इस विद्यालय की तस्वीर बदली. आज यहां सैकड़ों छात्र पढ़ने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि यहां से पढ़ाई पूरी कर निकलने वाले बच्चे अब देश के विभिन्न बड़े-बड़े संस्थानों की शोभा बढ़ा रहे हैं.

अन्य राज्य के लिये बना प्रेरणा का श्रोत
विद्यालय के प्रधानाचार्य बताते हैं कि अमूनन बिहार के सरकारी विद्यालय प्रबंधन और ग्रामीणों में समन्वय स्थापित नहीं होने के कारण स्कूल राजनीति का अखाड़ा बन जाता है. लेकिन आज ये विद्यालय इस गांव के लिये प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. साथ ही जिले और अन्य राज्य के लिये भी प्रेरणा का श्रोत बना हुआ है.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- LIVE: CAA और NRC के खिलाफ वामदलों का बिहार बंद, दरभंगा में रोकी ट्रेन

मोहनपुर गांव को मिली नई पहचान
निश्चित रूप से ग्रामीणों की सोच और विद्यालय प्रबंधन की देखरेख मध्य विद्यालय मोहनपुर को नई पहचान देने में कामयाब रहा है. अब इस विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था ना सिर्फ जिले के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक आइकॉन बन गया है. जरूरत इस बात की है की इस विद्यालय की भांति हर सरकारी विद्यालय को सक्षम बनाने के लिये व्यापक अभियान शुरू किया जाए.

Intro:एंकर- बेगूसराय जिले का मोहनपुर गांव यह गांव तब सुर्खियों में आया था जब इस गांव के अपराधियों के द्वारा भारतवर्ष में पहले जेल ब्रेक कांड की घटना को अंजाम दिया गया था ,अब यही गांव इसलिए सुर्खी में है क्योंकि इसी गांव के लोगों के आर्थिक और शारीरिक सहयोग से निर्मित मध्य विद्यालय अब शिक्षा विभाग और बिहार सरकार के लिए रोल मॉडल हो गया है क्या है पूरा मामला।
एक रिपोर्ट
ओपनिंग पीटीसी


Body:vo- वैसे तो बेगूसराय जिला यानी अपराध के लिए विख्यात और बदनाम समझा जाता है लेकिन क्या कोई ऐसा भी गांव हो सकता है जहां वर्षों पूर्व अपराध की तूती बोलती थी, उस गांव के लोगों के द्वारा जेलब्रेक जैसे बड़े अपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया गया हो ।गांव के हालात ऐसे की बेटियों के शादी ब्याह नहीं हो पा रहे हो। अन्य गांव के लोग अपनी बेटी का रिश्ता इस गांव के लड़कों से करने को तैयार ना हो ,वैसे में गांव के ही कुछ प्रबुद्ध लोगों के द्वारा सामाजिक बदलाव की जो रूपरेखा तैयार की गई उसका परिणाम अब आकर सार्थक दिखने लगा है ।
दरअसल मोहनपुर गांव का इतिहास आपराधिक पृष्ठभूमि का रहा है और गांव के ही एक अपराधी के द्वारा बेगूसराय जेल ब्रेक कांड की घटना ने गांव को बदनाम कर दिया था, वैसे में रिटार्यड इंजीनियर राजकिशोर सिंह ने इस गांव की इमेज को बदलने के लिए व्यापक रूपरेखा तैयार की तथा युवाओं को मोटिवेट कर शिक्षा की ओर प्रेरित किया। धीरे-धीरे तस्वीरें बदलने लगी और इसकी शुरुआत मध्य विद्यालय मोहनपुर से हुई ।वर्ष 2006 के आसपास यह विद्यालय खंडहर सा प्रतीत होता था लेकिन अब ग्रामीणों के सहयोग से यह विद्यालय हाईटेक हो गया है ।निजी विद्यालयों की तरह इस सरकारी विद्यालय में स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, स्मार्ट टीवी, कंप्यूटर लैब, मीटिंग हॉल ,टॉयलेट इलेक्ट्रॉनिक बेल, सीसीटीवी कैमरा समेत तमाम तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं । योग्य शिक्षकों और योग्य प्रधानाचार्य होने के कारण यह विद्यालय दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति करता रहा ।अब स्थिति यह है कि निजी विद्यालयों से अपने बच्चों का नाम हटाकर अभिभावक इस सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाना ज्यादा मुनासिब और सुरक्षित समझते हैं ।यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं बताते हैं की ऐसी पढ़ाई निजी विद्यालयों में नहीं हो पाती थी और ना सिर्फ यहां पर पढ़ाई होती है बल्कि समाज और परिवार में कैसे आचरण करना है यह तमाम चीजें सिखाई जाती हैं। स्कूली शिक्षा से बच्चे अभिभूत नजर आए।
बाइट -हिमांशु कुमार छात्र ।
बाइट -मनीषा कुमारी छात्रा ।
vo-वही ग्रामीण राज किशोर सिंह बताते हैं की जब यहां अपराध का बोलबाला था तो शिक्षा का स्तर बहुत ही निम्न था ,वैसे में ग्रामीण युवाओं के सहयोग से हम इस विद्यालय की तस्वीर बदलने में कामयाब रहे और हमें गर्व है कि यहां से पढ़ाई पूरी कर निकले बच्चे अब देश के विभिन्न बड़े बड़े संस्थानों की शोभा बढ़ा रहे हैं।

बाइट- राज किशोर सिंह, रिटायर्ड इंजीनियर ,ग्रामीण ।

vo-विद्यालय प्रधान बताते हैं अमूनन बिहार के सरकारी विद्यालय प्रबंधन और ग्रामीणों में तारतम्य स्थापित नहीं होने के कारण स्कूल राजनीति का अखाड़ा बन जाता है लेकिन मुझे गर्व है कि मैं जिस विद्यालय का विद्यालय प्रधान हूं वहां के ग्रामीण विद्यालय के विकास के लिए समर्पित हैं ।चाहे सीसीटीवी कैमरा हो स्मार्ट टीवी हो जनरेटर हो सोलर प्लेट हो या लाखों रुपए नकदी देने की बात हो ग्रामीण सहर्षआगे आते हैं और आर्थिक और शारीरिक सहयोग कर इस विद्यालय को अद्वितीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं ।
बाइट- विनय कुमार,प्रधानाचार्य, राजकीयकृत मध्य विद्यालय मोहनपुर

पीटीसी-आशीष कुमार,संवाददाता


Conclusion:fvo- निश्चित रूप से ग्रामीणों की सोच और विद्यालय प्रबंधन की देखरेख मध्य विद्यालय मोहनपुर को नई पहचान देने में कामयाब रहा है ।अब इस विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था ना सिर्फ बेगूसराय के लिए बल्कि बिहार के लिए एक आइकॉन बन गया है ।जरूरत इस बात की है की इस विद्यालय की भांति हर सरकारी विद्यालय को सक्षम बनाने का ब्यापक अभियान शुरू किया जाय।
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