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बेगूसराय: गमले के जरिए इस स्कूल में दी जाती है पर्यावरण संरक्षण की जानकारी - गमले के जरिए पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा

बेगूसराय के इसी सरकारी स्कूल में कन्हैया कुमार ने बचपन में पढ़ाई की थी. आज ये स्कूल अपनी अनोखी शिक्षा के जरिए जिले के दूसरे स्कूलों के लिए मिसाल पेश कर रहा है.

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मध्य विद्यालय मसनदपुर
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Published : Dec 12, 2019, 9:57 AM IST

बेगूसरायः सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है, लोगों के मन में ऐसी ही धारणा बनी हुई है. लेकिन जिले में कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जो न सिर्फ बेहतरीन शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर मिसाल भी पेश कर रहे हैं. ऐसा ही एक मध्य विद्यालय मसनदपुर में है. जो कन्हैया कुमार के गांव में स्थित है. कन्हैया कुमार ने बचपन में इसी स्कूल में पढ़ाई की थी.

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स्कूल में मौजूद बच्चे

बच्चों को दी जा रही उच्च कोटि की शिक्षा
दरअसल यह स्कूल पर्यावरण संरक्षण को लेकर बच्चों को दी जा रही शिक्षा के कारण काफी चर्चा में है. बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय मसनदपुर की शिक्षा व्यवस्था देखकर आप अपनी इस सोच को बदल सकते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. विद्यालय की प्रिंसिपल पूनम कुमारी के नेतृत्व में ना सिर्फ बच्चों को उच्च कोटि की शिक्षा दी जा रही है, बल्कि खेल-खेल में पढ़ाई के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की तालीम भी दी जा रही है.

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गमले पर लिखा राज्यों का नाम

कई विद्यालयों के लिए मिसाल है यह स्कूल
विद्यालय में कई तरह के नए प्रयोग किए गए हैं, जो यहां की शिक्षा व्यवस्था को आम विद्यालयों से अलग और उत्कृष्ट बनाती है. लेकिन बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और समाज में पर्यावरण रक्षा से संबंधित जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जो पठन-पाठन शैली विकसित की जा रही है वह अन्य विद्यालयों के लिए मिसाल है.

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मध्य विद्यालय मसनदपुर

स्कूल के गमलों पर लिखे हैं राज्यों के नाम
इस स्कूल में गमले पर राज्य और उसकी राजधानी के नाम लिखकर बच्चों में सारे गमले पौधे लगाकर बांट दिए गए हैं. बच्चे ही इन गमलों की देख भाल करते हैं और उसमें दी गई जानकारियों को पढ़ते हैं. जिस बच्चे को जिस राज्य के नाम से गमला दिया गया है, उस गमले में लगे पौधे की देखरेख और उसकी सुरक्षा उसी छात्र के जिम्मे है. इससे बच्चों के बीच पर्यावरण संरक्षण और समान्य ज्ञान की जानकारी एक साथ दी जा रही है.

ये भी पढ़ेंः BPSC परीक्षा से वापस नहीं लौटे बच्चों के डेस्क और बेंच, अब ठंड में फर्श पर चल रही क्लास

खेल-खेल में पढ़ते हैं इस स्कूल के बच्चे
इसी तरह क्लास रूम में बच्चों के लिखे हुए प्लास्टिक के उपयोग और दुष्परिणाम से संबंधित कई पोस्टर लगाए गए हैं. जो बच्चों को प्लास्टिक ना उपयोग करने का संदेश दे रहा है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे से बड़े बच्चे तक विद्यालय की उच्च कोटी की पढ़ाई से लाभान्वित हो रहे हैं. इस सिलसिले में विद्यालय की प्रिंसिपल पूनम कुमारी कहती हैं कि सरकारी विद्यालयों में पहले जिस तरह से पढ़ाई होती थी. उससे बच्चे उब जाते थे. लेकिन जब बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई और सामाजिक, व्यवहारिक ज्ञान दिए जाने लगे तो वह बहुत जल्द इसे सीख रहे हैं.

मध्य विद्यालय मसनदपुर और जानकारी देती प्रिंसिपल

काफी सार्थक हुई प्रिंसिपल की पहल
प्रिंसिपल ने कहा कि हमारी तरफ से जो प्रयास किया गया वह काफी सार्थक हो रहा है. इसकी सफलता की वजह से ही ,कई विद्यालयों में अब इसी तरह की पढ़ाई शुरू की गई है. निश्चित रूप से विद्यालयों में इस तरह की शिक्षा समाज के लिए मिसाल पेश कर रही है. जरुरत इस बात की है कि अन्य सरकारी विद्यालय भी इसी तरह पढ़ाई के साथ पर्यावरण के प्रति बच्चों के बीच जागरूकता फैलाएं. ताकि हम सब मिलकर बेहतर और स्वच्छ भविष्य का निर्माण कर सकें.

बेगूसरायः सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है, लोगों के मन में ऐसी ही धारणा बनी हुई है. लेकिन जिले में कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जो न सिर्फ बेहतरीन शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर मिसाल भी पेश कर रहे हैं. ऐसा ही एक मध्य विद्यालय मसनदपुर में है. जो कन्हैया कुमार के गांव में स्थित है. कन्हैया कुमार ने बचपन में इसी स्कूल में पढ़ाई की थी.

begusarai
स्कूल में मौजूद बच्चे

बच्चों को दी जा रही उच्च कोटि की शिक्षा
दरअसल यह स्कूल पर्यावरण संरक्षण को लेकर बच्चों को दी जा रही शिक्षा के कारण काफी चर्चा में है. बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय मसनदपुर की शिक्षा व्यवस्था देखकर आप अपनी इस सोच को बदल सकते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. विद्यालय की प्रिंसिपल पूनम कुमारी के नेतृत्व में ना सिर्फ बच्चों को उच्च कोटि की शिक्षा दी जा रही है, बल्कि खेल-खेल में पढ़ाई के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की तालीम भी दी जा रही है.

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गमले पर लिखा राज्यों का नाम

कई विद्यालयों के लिए मिसाल है यह स्कूल
विद्यालय में कई तरह के नए प्रयोग किए गए हैं, जो यहां की शिक्षा व्यवस्था को आम विद्यालयों से अलग और उत्कृष्ट बनाती है. लेकिन बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और समाज में पर्यावरण रक्षा से संबंधित जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जो पठन-पाठन शैली विकसित की जा रही है वह अन्य विद्यालयों के लिए मिसाल है.

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मध्य विद्यालय मसनदपुर

स्कूल के गमलों पर लिखे हैं राज्यों के नाम
इस स्कूल में गमले पर राज्य और उसकी राजधानी के नाम लिखकर बच्चों में सारे गमले पौधे लगाकर बांट दिए गए हैं. बच्चे ही इन गमलों की देख भाल करते हैं और उसमें दी गई जानकारियों को पढ़ते हैं. जिस बच्चे को जिस राज्य के नाम से गमला दिया गया है, उस गमले में लगे पौधे की देखरेख और उसकी सुरक्षा उसी छात्र के जिम्मे है. इससे बच्चों के बीच पर्यावरण संरक्षण और समान्य ज्ञान की जानकारी एक साथ दी जा रही है.

ये भी पढ़ेंः BPSC परीक्षा से वापस नहीं लौटे बच्चों के डेस्क और बेंच, अब ठंड में फर्श पर चल रही क्लास

खेल-खेल में पढ़ते हैं इस स्कूल के बच्चे
इसी तरह क्लास रूम में बच्चों के लिखे हुए प्लास्टिक के उपयोग और दुष्परिणाम से संबंधित कई पोस्टर लगाए गए हैं. जो बच्चों को प्लास्टिक ना उपयोग करने का संदेश दे रहा है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे से बड़े बच्चे तक विद्यालय की उच्च कोटी की पढ़ाई से लाभान्वित हो रहे हैं. इस सिलसिले में विद्यालय की प्रिंसिपल पूनम कुमारी कहती हैं कि सरकारी विद्यालयों में पहले जिस तरह से पढ़ाई होती थी. उससे बच्चे उब जाते थे. लेकिन जब बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई और सामाजिक, व्यवहारिक ज्ञान दिए जाने लगे तो वह बहुत जल्द इसे सीख रहे हैं.

मध्य विद्यालय मसनदपुर और जानकारी देती प्रिंसिपल

काफी सार्थक हुई प्रिंसिपल की पहल
प्रिंसिपल ने कहा कि हमारी तरफ से जो प्रयास किया गया वह काफी सार्थक हो रहा है. इसकी सफलता की वजह से ही ,कई विद्यालयों में अब इसी तरह की पढ़ाई शुरू की गई है. निश्चित रूप से विद्यालयों में इस तरह की शिक्षा समाज के लिए मिसाल पेश कर रही है. जरुरत इस बात की है कि अन्य सरकारी विद्यालय भी इसी तरह पढ़ाई के साथ पर्यावरण के प्रति बच्चों के बीच जागरूकता फैलाएं. ताकि हम सब मिलकर बेहतर और स्वच्छ भविष्य का निर्माण कर सकें.

Intro:एंकर- वैसे तो सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है ऐसा लोग मन में धरना पाले हुए हैं लेकिन कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जो ना सिर्फ बेहतरीन शिक्षा दे रहे हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर मिसाल भी पेश कर रहे हैं,एक ऐसा ही विद्यालय मध्य विद्यालय मसनदपुर है।वैसे तो यह विद्यालय कन्हैया कुमार के गांव में स्थित है लेकिन वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बच्चों को दी जा रही शिक्षा काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।


Body:vo- सरकारी विद्यालय मतलब नाम मात्र की पढ़ाई ऐसी धारणा लोग पाले हुए होते हैं लेकिन बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय मसनदपुर की शिक्षा व्यवस्था आपके इस धारणा को बदल सकती है।
दरअसल विद्यालय प्रधान पूनम कुमारी के नेतृत्व में ना सिर्फ बच्चों को उच्च कोटि की अत्याधुनिक शिक्षा दी जा रही है ,बल्कि खेल खेल में पढ़ाई के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण की तालीम भी दी जा रही है।
वैसे तो विद्यालय में कई तरह के नए प्रयोग किए गए हैं जो यहां की शिक्षा व्यवस्था को आम विद्यालयों से अलग और उत्कृष्ट बनाती है, लेकिन बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और समाज में पर्यावरण रक्षा से संबंधित जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जो पठन-पाठन शैली विकसित की जा रही है वह अन्य विद्यालयों के लिए मिशाल है ।दरअसल विद्यालय प्रधान पूनम कुमारी ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम से गमले खरीद कर और उसकी रंगाई पुताई कर बच्चों को उस गमले में एक पेड़ लगाने की जवाबदेही दी । गमले में राज्य का नाम और राज्य की राजधानी लिखी हुई है ।जिस बच्चे को जिस राज्य के नाम से गमला दिया जाएगा उस गमले में लगे पौधे की देखरेख और उसकी सुरक्षा उसी छात्र के जिम्मे होगी, फायदा यह होगा कि जितने भी बच्चे गमलों में पौधों को लगाएंगे और उसकी सुरक्षा करेंगे या ऐसा करते उन बच्चों को देखेंगे उन्हें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम और उसकी राजधानी याद हो जाएगी ।इसी तरह क्लास रूम में बच्चों के द्वारा हस्तलिखित प्लास्टिक के उपयोग और दुष्परिणाम से संबंधित कई पोस्टर लगाए गए हैं जो बच्चों को प्लास्टिक ना उपयोग करने का संदेश दे रहा है। इस विद्यालय में अध्ययनरत छोटे से बड़े बच्चे तक विद्यालय के उच्च कोटी की पढ़ाई से लाभान्वित हो रहे हैं ।
इस बाबत विद्यालय प्रधान पूनम कुमारी कहती हैं कि सरकारी विद्यालयों में रतन टू पद्धति से पढ़ाई होती थी ,इसलिए बच्चे पढ़ाई से उब जाते थे लेकिन जब बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई और सामाजिक, व्यवहारिक ज्ञान दिए जाएंगे तो वह बहुत जल्द इसे सीख लेते हैं। इसी कड़ी में यह प्रयास किया गया जो काफी सार्थक रहा है और इसकी सफलता की वजह से ही ,कई विद्यालयों में अब इसी तरह की पढ़ाई शुरू की गई है।
बाइट-पूनम कुमारी,प्रधानानाचार्य,
मध्य विद्यालय, मसनदपुर, बीहट।

पीटीसी-आशीष कुमार,संवाददाता


Conclusion:fvo-निश्चित रूप से विद्यालयों में इस तरह की शिक्षा समाज के लिए मिशाल पेश कर रही है।जरुरत इस बात की है कि अन्य सरकारी विद्यालय भी इसी तरह पढ़ाई के साथ पर्यावरण के प्रति बच्चों के बीच जागरूकता फैलाएं ताकि हम सब मिलकर बेहतर और स्वच्छ भविष्य का निर्माण कर सकें।
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