बेगूसरायः सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है, लोगों के मन में ऐसी ही धारणा बनी हुई है. लेकिन जिले में कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जो न सिर्फ बेहतरीन शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर मिसाल भी पेश कर रहे हैं. ऐसा ही एक मध्य विद्यालय मसनदपुर में है. जो कन्हैया कुमार के गांव में स्थित है. कन्हैया कुमार ने बचपन में इसी स्कूल में पढ़ाई की थी.
बच्चों को दी जा रही उच्च कोटि की शिक्षा
दरअसल यह स्कूल पर्यावरण संरक्षण को लेकर बच्चों को दी जा रही शिक्षा के कारण काफी चर्चा में है. बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय मसनदपुर की शिक्षा व्यवस्था देखकर आप अपनी इस सोच को बदल सकते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. विद्यालय की प्रिंसिपल पूनम कुमारी के नेतृत्व में ना सिर्फ बच्चों को उच्च कोटि की शिक्षा दी जा रही है, बल्कि खेल-खेल में पढ़ाई के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की तालीम भी दी जा रही है.
कई विद्यालयों के लिए मिसाल है यह स्कूल
विद्यालय में कई तरह के नए प्रयोग किए गए हैं, जो यहां की शिक्षा व्यवस्था को आम विद्यालयों से अलग और उत्कृष्ट बनाती है. लेकिन बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और समाज में पर्यावरण रक्षा से संबंधित जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जो पठन-पाठन शैली विकसित की जा रही है वह अन्य विद्यालयों के लिए मिसाल है.
स्कूल के गमलों पर लिखे हैं राज्यों के नाम
इस स्कूल में गमले पर राज्य और उसकी राजधानी के नाम लिखकर बच्चों में सारे गमले पौधे लगाकर बांट दिए गए हैं. बच्चे ही इन गमलों की देख भाल करते हैं और उसमें दी गई जानकारियों को पढ़ते हैं. जिस बच्चे को जिस राज्य के नाम से गमला दिया गया है, उस गमले में लगे पौधे की देखरेख और उसकी सुरक्षा उसी छात्र के जिम्मे है. इससे बच्चों के बीच पर्यावरण संरक्षण और समान्य ज्ञान की जानकारी एक साथ दी जा रही है.
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खेल-खेल में पढ़ते हैं इस स्कूल के बच्चे
इसी तरह क्लास रूम में बच्चों के लिखे हुए प्लास्टिक के उपयोग और दुष्परिणाम से संबंधित कई पोस्टर लगाए गए हैं. जो बच्चों को प्लास्टिक ना उपयोग करने का संदेश दे रहा है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे से बड़े बच्चे तक विद्यालय की उच्च कोटी की पढ़ाई से लाभान्वित हो रहे हैं. इस सिलसिले में विद्यालय की प्रिंसिपल पूनम कुमारी कहती हैं कि सरकारी विद्यालयों में पहले जिस तरह से पढ़ाई होती थी. उससे बच्चे उब जाते थे. लेकिन जब बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई और सामाजिक, व्यवहारिक ज्ञान दिए जाने लगे तो वह बहुत जल्द इसे सीख रहे हैं.
काफी सार्थक हुई प्रिंसिपल की पहल
प्रिंसिपल ने कहा कि हमारी तरफ से जो प्रयास किया गया वह काफी सार्थक हो रहा है. इसकी सफलता की वजह से ही ,कई विद्यालयों में अब इसी तरह की पढ़ाई शुरू की गई है. निश्चित रूप से विद्यालयों में इस तरह की शिक्षा समाज के लिए मिसाल पेश कर रही है. जरुरत इस बात की है कि अन्य सरकारी विद्यालय भी इसी तरह पढ़ाई के साथ पर्यावरण के प्रति बच्चों के बीच जागरूकता फैलाएं. ताकि हम सब मिलकर बेहतर और स्वच्छ भविष्य का निर्माण कर सकें.