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मंजीरा गांव की महिलाएं हो रही स्वावलंबी, रेशम के धागों से तैयार कर रहीं चूड़ियां

ऑर्डर मिलने पर मंजीरा गांव की महिलाएं चूड़ियां बना रही हैं. इन महिलाओं को भी लॉकडाउन के साइड-इफेक्ट झेलने पड़ रहे हैं. लॉकडाउन में कच्चा माल उपलब्ध नहीं हो पाने की वजह से पिछले 6 महीनों से चूड़ी बनाने का काम प्रभावित हुआ है.

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Published : Aug 31, 2020, 8:12 PM IST

manjira village
manjira village

बांका: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को जिले की ग्रामीण महिलाएं साकार कर रही है. इन महिलाओं ने स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाया है. जिले के सदर प्रखंड स्थित मंजीरा गांव की 50 से अधिक महिलाएं रेशम के धागों से आकर्षक चूड़ियां तैयार करने का काम करती हैं. उनकी इन चूड़ियों की डिमांड पूरे जिले में हैं.

जीविका ने दिया प्रशिक्षण
आर्थिक तंगी का दंश झेल रही इन महिलाओं के लिए राह आसान नहीं थी. उनकी राह को आसान बनाया जीविका ने. जीविका ने इन महिलाओं को न सिर्फ प्रशिक्षण दिलाया बल्कि रोजगार के लिए ऋण भी मुहैया कराया. मंजीरा गांव में 5 से अधिक समूह में बैठकर महिलाएं रेशम से बनी चूड़ियां तैयार करती हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

रेशम के धागों से चूड़ियां बनाती हैं महिलाएं
इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हेमलता देवी ने काफी मेहनत की. उनको अपने बलबूते प्रशिक्षण देकर इस काबिल बनाया कि वे अपने परिवार को चलाने में सहयोग कर सके. हेमलता देवी ने बताया कि रेशम के धागों से चूड़ियां बनाना आसान काम नहीं था. प्रशिक्षण पाने तक के लिए पैसे हमारे पास नहीं थे. इसके लिए जीविका ने पूरा सहयोग दिया.

रोजाना 250 रुपए तक कमा लेती हैं महिलाएं
सीमा देवी ने बताया कि हेमलता दीदी से प्रेरित होकर रेशम के धागों से चूड़ियां बनाने का काम सीखा. अब महिलाएं रोजाना 250 रुपए तक कमा लेती हैं. चूड़ियां बनाने के कारोबार से जुड़ने पड़ राहा आसान हुई.

इसे भी पढ़ें-उत्तर भारत की सबसे बड़ी 'गुलाबबाग मंडी' पर कोरोना ग्रहण, 60 फीसद तक घटा व्यापार

परिवार का भी गुजर बसर करने में हुई आसानी
चूड़ी बनाने के कारोबार से जुड़ी विनीता कुमारी ने बताया कि हेमलता दीदी ने काफी सहयोग किया. उनका सहयोग नहीं होता तो तंगहाली में ही जीने को विवश रहतीं. चूड़ियां बनाने से न सिर्फ आमदनी हो रही है बल्कि परिवार का भी गुजर बसर ठीक तरीके से हो जा रहा है. हालांकि उन्होंने माना कि कच्चा माल नहीं मिलने की वजह से काम मंदा हो गया है. ऑर्डर मिलने पर ही चूड़ियां तैयार कर रही हैं.

लॉकडाउन की वजह से काम हो प्रभावित
जीविका के प्रोजेक्ट मैनेजर केके भूषण ने बताया कि महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया. साथ ही प्रशिक्षण और ऋण भी मुहैया कराया गया है, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. सारा काम महिलाएं खुद करती हैं और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है.

बांका: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत को जिले की ग्रामीण महिलाएं साकार कर रही है. इन महिलाओं ने स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाया है. जिले के सदर प्रखंड स्थित मंजीरा गांव की 50 से अधिक महिलाएं रेशम के धागों से आकर्षक चूड़ियां तैयार करने का काम करती हैं. उनकी इन चूड़ियों की डिमांड पूरे जिले में हैं.

जीविका ने दिया प्रशिक्षण
आर्थिक तंगी का दंश झेल रही इन महिलाओं के लिए राह आसान नहीं थी. उनकी राह को आसान बनाया जीविका ने. जीविका ने इन महिलाओं को न सिर्फ प्रशिक्षण दिलाया बल्कि रोजगार के लिए ऋण भी मुहैया कराया. मंजीरा गांव में 5 से अधिक समूह में बैठकर महिलाएं रेशम से बनी चूड़ियां तैयार करती हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

रेशम के धागों से चूड़ियां बनाती हैं महिलाएं
इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हेमलता देवी ने काफी मेहनत की. उनको अपने बलबूते प्रशिक्षण देकर इस काबिल बनाया कि वे अपने परिवार को चलाने में सहयोग कर सके. हेमलता देवी ने बताया कि रेशम के धागों से चूड़ियां बनाना आसान काम नहीं था. प्रशिक्षण पाने तक के लिए पैसे हमारे पास नहीं थे. इसके लिए जीविका ने पूरा सहयोग दिया.

रोजाना 250 रुपए तक कमा लेती हैं महिलाएं
सीमा देवी ने बताया कि हेमलता दीदी से प्रेरित होकर रेशम के धागों से चूड़ियां बनाने का काम सीखा. अब महिलाएं रोजाना 250 रुपए तक कमा लेती हैं. चूड़ियां बनाने के कारोबार से जुड़ने पड़ राहा आसान हुई.

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परिवार का भी गुजर बसर करने में हुई आसानी
चूड़ी बनाने के कारोबार से जुड़ी विनीता कुमारी ने बताया कि हेमलता दीदी ने काफी सहयोग किया. उनका सहयोग नहीं होता तो तंगहाली में ही जीने को विवश रहतीं. चूड़ियां बनाने से न सिर्फ आमदनी हो रही है बल्कि परिवार का भी गुजर बसर ठीक तरीके से हो जा रहा है. हालांकि उन्होंने माना कि कच्चा माल नहीं मिलने की वजह से काम मंदा हो गया है. ऑर्डर मिलने पर ही चूड़ियां तैयार कर रही हैं.

लॉकडाउन की वजह से काम हो प्रभावित
जीविका के प्रोजेक्ट मैनेजर केके भूषण ने बताया कि महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया. साथ ही प्रशिक्षण और ऋण भी मुहैया कराया गया है, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें. सारा काम महिलाएं खुद करती हैं और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है.

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