बांका: जिला मुख्यालय से सटे ककबारा पंचायत के सन्हौला, कामतचक, कारीचक सहित आसपास के अन्य छोटे गांव की 500 की आबादी शुद्ध पेयजल को तरस रही है. जिलों में दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां नल जल योजना धरातल पर नहीं उतर सकी है. नल जल योजना के तहत टंकी तो लगा दी गई है लेकिन लोगों के घरों तक कनेक्शन नहीं दिया जा सका है.
स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर
मिट्टी के कुएं का गंदा पानी पीकर लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं. गंदा पानी पीने की वजह से उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. स्थानीय प्रतिनिधियों को आवेदन देने के बाद भी पेयजल की समस्या बरकरार है. बारिश के दिनों में पानी गंदा हो जाता है लेकिन वैकल्पिक उपाय नहीं रहने की वजह से गंदा पानी ही पीना पड़ रहा है.
मिट्टी के कुएं का गंदा पानी पीने को विवश ग्रामीण
मिट्टी के कुएं पर पानी भरने पहुंची महिला गीता देवी ने बताया कि पूरे गांव के लोग इसी पर आश्रित है. कुएं का पानी गंदा है लेकिन हम मजबूर हैं, यही पानी पीना पड़ रहा है. सरकारी स्तर पर गांव में एक भी चापाकल नहीं है और ना ही नल जल योजना का लाभ मिल पाया है. वहीं 80 वर्षीय मनिया देवी ने बताया कि जब से विवाह कर इस गांव में आई हैं तब से इसी कुएं का पानी पी रही हैं.
जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान
गृहिणी विनीता देवी ने बताया कि उनकी शादी को 4 वर्ष हो चुके हैं. इन 4 वर्षों में पेयजल को लेकर गांव में कोई बदलाव नहीं आया. मिट्टी के कुएं से ही पानी पी रहे हैं. वहीं युवा घनश्याम कुमार ने बताया कि जब से पैदा लिए हैं कुएं का पानी पी रहे हैं. बारिश के दिनों में गंदा पानी पीने की वजह से लोग बीमार पड़ जाते हैं. उन्होंने बताया कि स्थानीय मुखिया से लेकर सरपंच तक को कई बार आवेदन दिया, लेकिन अब तक शुद्ध पेयजल नहीं मिल पाया है. ग्रामीणों की समस्या पर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया.