बांकाः शिक्षा के क्षेत्र में उन्नयन मॉडल टेक्नोलॉजी के माध्यम से क्वालिटी एजुकेशन देने के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का काम किया है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर तक पहुंचाने और परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए बिहार के शिक्षा विभाग ने उन्नयन बिहार प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. 5 सितंबर 2019 को बिहार के 6 हजार स्कूलों में उन्नयन चालू किया गया और इससे 28 लाख बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.
डीएम कुंदन कुमार की विशेष पहल पर इकोवेशन के साथ मिलकर बांका जिला प्रशासन ने 15 अगस्त 2017 में 5 स्कूलों से उन्नयन की शुरुआत की थी. स्कूल में उपलब्ध टीवी और मोबाइल फोन की मदद से शिक्षा घर-घर तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय और स्कूल ऑन व्हील दोनों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ने में सहूलियत हो रही है. मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय के माध्यम से बच्चे अपने घर बैठे ही इकोवेशन से जुड़कर अपनी पढ़ाई को नया आयाम दे रहे हैं. जबकि स्कूल ऑन व्हील एक ऐसा वाहन है, जिसमें एलसीडी लगी है. जो किसी भी स्थान पर लगाकर चलते फिरते स्कूल के रूप में तब्दील हो सकती है. यह प्रयोग बेलहर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में काफी सफल रहा.
निर्मल लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का किया गया है प्रयोग
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को बेहतरीन पीढ़ी बनाना है. हमारे यहां पीढ़ियों से चली आ रही क्लासिक चॉक एंड टॉक मॉडल पर शिक्षा आधारित है. अभी के जनरेशन के बच्चे व्हाट्सएप, फेसबुक सोशल मीडिया, यूट्यूब जैसे मल्टीमीडिया के कंटेंट्स को लगातार आसानी से यूज कर रहे हैं. इसलिए पीढ़ियों से चली आ रही पद्धति में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित चीजों को जोड़ कर पढ़ाई को और सुगम और सरल बनाने का उन्नयन एक प्रयास है. जिससे बच्चे अच्छी तरह से समझ सके.
उन्नयन कंप्लीट साइकिल ऑफ लर्निंग है
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन को कंपलीट साइकिल ऑफ लर्निंग के तहत रखा गया है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर के बच्चों तक पहुंचाने के लिए उनमें इनोवेटिव मॉडल के तहत लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित कंटेंट को जोड़कर पढ़ाई को सुगम और सरल बनाया गया है. क्वालिटी एजुकेशन हर बच्चे तक कैसे पहुंचे इसके लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का कोशिश किया गया है.
स्कूली शिक्षा पर पड़ा है व्यापक असर
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन प्रोजेक्ट आने से पहले सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बेहद खराब रहती थी. महज 45.06% बच्चे ही स्कूल आते थे. उन्नयन प्रोजेक्ट चालू होने के बाद बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ और यह बढ़कर 80.40% तक पहुंच गया. वहीं, बोर्ड परीक्षा में मात्र 38% बच्चे ही पास कर पाते थे. उन्नयन प्रोजेक्ट आने के बाद पढ़ाई के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुआ और बोर्ड परीक्षा में रिजल्ट का ग्राफ बढ़कर 73% तक चला गया.
उन्नयन एक बेहतर प्लेटफार्म
उन्नयन से लाभान्वित होने वाली छात्रा सुरभि झा, साक्षी कुमारी, काजल कुमारी राजनंदनी, स्मृति कुमारी एवं छात्र निलेश कुमार सहित अन्य ने बताया कि उन्नयन एक बेहतर प्लेटफार्म है, पढ़ाई के दौरान जो भी समस्याएं आती हैं. उसे ऑडियो और वीडियो के माध्यम से बार-बार रिपीट कर सॉल्व कराया जाता है. शिक्षक स्कूल में ना भी हो तो आसानी से उन्नयन के माध्यम से पढ़ सकते हैं. वीडियो में जो इमेजिनेशन बनाता है वह ज्यादा इंटरेक्ट करता है. जिससे पढ़ाई और रोचक लगने लगती है. शिक्षिका अर्चना सिंह ने बताया कि उन्नयन में कुछ पाठ सामग्री बहुत स्पेसिफिक है. जो कि बच्चों के लिए हेल्पफुल है. फोटोग्राफ के माध्यम से एडिट फॉर्म में हर नजरिए से बच्चे को बताया जाता है. वर्तमान में मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस, इंग्लिश और हिंदी की पढ़ाई होती है.