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बांकाः उन्नयन मॉडल टेक्नोलॉजी की मदद से बच्चे ले रहे शिक्षा, टीवी के माध्यम से हो रही पढ़ाई

डीएम कुंदन कुमार की विशेष पहल पर इकोवेशन के साथ मिलकर बांका जिला प्रशासन ने 15 अगस्त 2017 में पांच स्कूलों से उन्नयन की शुरुआत की थी. स्कूल में उपलब्ध टीवी और मोबाइल फोन की मदद से शिक्षा घर-घर तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय और स्कूल ऑन व्हील दोनों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ने में सहूलियत हो रही है.

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Published : Dec 31, 2019, 5:27 PM IST

बांकाः शिक्षा के क्षेत्र में उन्नयन मॉडल टेक्नोलॉजी के माध्यम से क्वालिटी एजुकेशन देने के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का काम किया है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर तक पहुंचाने और परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए बिहार के शिक्षा विभाग ने उन्नयन बिहार प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. 5 सितंबर 2019 को बिहार के 6 हजार स्कूलों में उन्नयन चालू किया गया और इससे 28 लाख बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

डीएम कुंदन कुमार की विशेष पहल पर इकोवेशन के साथ मिलकर बांका जिला प्रशासन ने 15 अगस्त 2017 में 5 स्कूलों से उन्नयन की शुरुआत की थी. स्कूल में उपलब्ध टीवी और मोबाइल फोन की मदद से शिक्षा घर-घर तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय और स्कूल ऑन व्हील दोनों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ने में सहूलियत हो रही है. मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय के माध्यम से बच्चे अपने घर बैठे ही इकोवेशन से जुड़कर अपनी पढ़ाई को नया आयाम दे रहे हैं. जबकि स्कूल ऑन व्हील एक ऐसा वाहन है, जिसमें एलसीडी लगी है. जो किसी भी स्थान पर लगाकर चलते फिरते स्कूल के रूप में तब्दील हो सकती है. यह प्रयोग बेलहर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में काफी सफल रहा.

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डीएम कुंदन कुमार

निर्मल लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का किया गया है प्रयोग
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को बेहतरीन पीढ़ी बनाना है. हमारे यहां पीढ़ियों से चली आ रही क्लासिक चॉक एंड टॉक मॉडल पर शिक्षा आधारित है. अभी के जनरेशन के बच्चे व्हाट्सएप, फेसबुक सोशल मीडिया, यूट्यूब जैसे मल्टीमीडिया के कंटेंट्स को लगातार आसानी से यूज कर रहे हैं. इसलिए पीढ़ियों से चली आ रही पद्धति में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित चीजों को जोड़ कर पढ़ाई को और सुगम और सरल बनाने का उन्नयन एक प्रयास है. जिससे बच्चे अच्छी तरह से समझ सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

उन्नयन कंप्लीट साइकिल ऑफ लर्निंग है
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन को कंपलीट साइकिल ऑफ लर्निंग के तहत रखा गया है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर के बच्चों तक पहुंचाने के लिए उनमें इनोवेटिव मॉडल के तहत लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित कंटेंट को जोड़कर पढ़ाई को सुगम और सरल बनाया गया है. क्वालिटी एजुकेशन हर बच्चे तक कैसे पहुंचे इसके लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का कोशिश किया गया है.

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पढ़ाई करते बच्चे

स्कूली शिक्षा पर पड़ा है व्यापक असर
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन प्रोजेक्ट आने से पहले सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बेहद खराब रहती थी. महज 45.06% बच्चे ही स्कूल आते थे. उन्नयन प्रोजेक्ट चालू होने के बाद बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ और यह बढ़कर 80.40% तक पहुंच गया. वहीं, बोर्ड परीक्षा में मात्र 38% बच्चे ही पास कर पाते थे. उन्नयन प्रोजेक्ट आने के बाद पढ़ाई के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुआ और बोर्ड परीक्षा में रिजल्ट का ग्राफ बढ़कर 73% तक चला गया.

उन्नयन एक बेहतर प्लेटफार्म
उन्नयन से लाभान्वित होने वाली छात्रा सुरभि झा, साक्षी कुमारी, काजल कुमारी राजनंदनी, स्मृति कुमारी एवं छात्र निलेश कुमार सहित अन्य ने बताया कि उन्नयन एक बेहतर प्लेटफार्म है, पढ़ाई के दौरान जो भी समस्याएं आती हैं. उसे ऑडियो और वीडियो के माध्यम से बार-बार रिपीट कर सॉल्व कराया जाता है. शिक्षक स्कूल में ना भी हो तो आसानी से उन्नयन के माध्यम से पढ़ सकते हैं. वीडियो में जो इमेजिनेशन बनाता है वह ज्यादा इंटरेक्ट करता है. जिससे पढ़ाई और रोचक लगने लगती है. शिक्षिका अर्चना सिंह ने बताया कि उन्नयन में कुछ पाठ सामग्री बहुत स्पेसिफिक है. जो कि बच्चों के लिए हेल्पफुल है. फोटोग्राफ के माध्यम से एडिट फॉर्म में हर नजरिए से बच्चे को बताया जाता है. वर्तमान में मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस, इंग्लिश और हिंदी की पढ़ाई होती है.

बांकाः शिक्षा के क्षेत्र में उन्नयन मॉडल टेक्नोलॉजी के माध्यम से क्वालिटी एजुकेशन देने के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का काम किया है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर तक पहुंचाने और परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए बिहार के शिक्षा विभाग ने उन्नयन बिहार प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. 5 सितंबर 2019 को बिहार के 6 हजार स्कूलों में उन्नयन चालू किया गया और इससे 28 लाख बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं.

डीएम कुंदन कुमार की विशेष पहल पर इकोवेशन के साथ मिलकर बांका जिला प्रशासन ने 15 अगस्त 2017 में 5 स्कूलों से उन्नयन की शुरुआत की थी. स्कूल में उपलब्ध टीवी और मोबाइल फोन की मदद से शिक्षा घर-घर तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय और स्कूल ऑन व्हील दोनों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ने में सहूलियत हो रही है. मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय के माध्यम से बच्चे अपने घर बैठे ही इकोवेशन से जुड़कर अपनी पढ़ाई को नया आयाम दे रहे हैं. जबकि स्कूल ऑन व्हील एक ऐसा वाहन है, जिसमें एलसीडी लगी है. जो किसी भी स्थान पर लगाकर चलते फिरते स्कूल के रूप में तब्दील हो सकती है. यह प्रयोग बेलहर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में काफी सफल रहा.

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डीएम कुंदन कुमार

निर्मल लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का किया गया है प्रयोग
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को बेहतरीन पीढ़ी बनाना है. हमारे यहां पीढ़ियों से चली आ रही क्लासिक चॉक एंड टॉक मॉडल पर शिक्षा आधारित है. अभी के जनरेशन के बच्चे व्हाट्सएप, फेसबुक सोशल मीडिया, यूट्यूब जैसे मल्टीमीडिया के कंटेंट्स को लगातार आसानी से यूज कर रहे हैं. इसलिए पीढ़ियों से चली आ रही पद्धति में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित चीजों को जोड़ कर पढ़ाई को और सुगम और सरल बनाने का उन्नयन एक प्रयास है. जिससे बच्चे अच्छी तरह से समझ सके.

देखें पूरी रिपोर्ट

उन्नयन कंप्लीट साइकिल ऑफ लर्निंग है
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन को कंपलीट साइकिल ऑफ लर्निंग के तहत रखा गया है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर के बच्चों तक पहुंचाने के लिए उनमें इनोवेटिव मॉडल के तहत लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित कंटेंट को जोड़कर पढ़ाई को सुगम और सरल बनाया गया है. क्वालिटी एजुकेशन हर बच्चे तक कैसे पहुंचे इसके लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का कोशिश किया गया है.

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पढ़ाई करते बच्चे

स्कूली शिक्षा पर पड़ा है व्यापक असर
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन प्रोजेक्ट आने से पहले सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बेहद खराब रहती थी. महज 45.06% बच्चे ही स्कूल आते थे. उन्नयन प्रोजेक्ट चालू होने के बाद बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ और यह बढ़कर 80.40% तक पहुंच गया. वहीं, बोर्ड परीक्षा में मात्र 38% बच्चे ही पास कर पाते थे. उन्नयन प्रोजेक्ट आने के बाद पढ़ाई के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुआ और बोर्ड परीक्षा में रिजल्ट का ग्राफ बढ़कर 73% तक चला गया.

उन्नयन एक बेहतर प्लेटफार्म
उन्नयन से लाभान्वित होने वाली छात्रा सुरभि झा, साक्षी कुमारी, काजल कुमारी राजनंदनी, स्मृति कुमारी एवं छात्र निलेश कुमार सहित अन्य ने बताया कि उन्नयन एक बेहतर प्लेटफार्म है, पढ़ाई के दौरान जो भी समस्याएं आती हैं. उसे ऑडियो और वीडियो के माध्यम से बार-बार रिपीट कर सॉल्व कराया जाता है. शिक्षक स्कूल में ना भी हो तो आसानी से उन्नयन के माध्यम से पढ़ सकते हैं. वीडियो में जो इमेजिनेशन बनाता है वह ज्यादा इंटरेक्ट करता है. जिससे पढ़ाई और रोचक लगने लगती है. शिक्षिका अर्चना सिंह ने बताया कि उन्नयन में कुछ पाठ सामग्री बहुत स्पेसिफिक है. जो कि बच्चों के लिए हेल्पफुल है. फोटोग्राफ के माध्यम से एडिट फॉर्म में हर नजरिए से बच्चे को बताया जाता है. वर्तमान में मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस, इंग्लिश और हिंदी की पढ़ाई होती है.

Intro:उन्नयन मॉडल टेक्नोलॉजी के माध्यम से क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए नई क्रांति लाने का काम किया। 15 अगस्त 2017 को पायलट प्रोजेक्ट के तहत बांका जिले के 5 स्कूलों से इसकी शुरुआत की गई थी। वर्तमान में इसका कारवां बढ़कर 6 हजार स्कूलों तक पहुंच गया।


Body:- 15 अगस्त 2017 को बांका के 5 स्कूलों से उन्नयन की हुई थी शुरुआत

- 5 सितंबर 2019 से बिहार के छह हजार स्कूलों में उन्नयन होने लगा है संचालित

- उन्नयन से 28 लाख बच्चे हो रहे हैं लाभान्वित

- क्वालिटी एजुकेशन मेल लिस्ट लेटेस्ट
टेक्नोलॉजी का समायोजन है उन्नयन
-
पढ़ाई को सरल और सुलभ बनाने के लिए थ्री डी मल्टीमीडिया बेस्ड कंटेंट वीडियो, वीएफएक्स का किया गया है समायोजन

- मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय वर्चुअल क्लासरूम में हो रहा है तब्दील

- बिहार के अलावा छह अन्य राज्यों में उनका हो रहा है संचालन

- शिक्षा विभाग और बिहार सरकार की मदद से उन्नयन में सातवीं और आठवीं कक्षा को भी शामिल करने का बनाया जा रहा है प्लान


बांका। शिक्षा के क्षेत्र में उन्नयन मॉडल टेक्नोलॉजी के माध्यम से क्वालिटी एजुकेशन देने के क्षेत्र में नई क्रांति लाने का काम किया है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर तक पहुंचाने और परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए बिहार के शिक्षा विभाग ने उन्नयन बिहार प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। 5 सितंबर 2019 को बिहार के 6 हजार स्कूलों में उन्नयन चालू किया गया और इससे 28 लाख बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। बांका डीएम कुंदन कुमार की विशेष पहल पर इकोवेशन के साथ मिलकर बांका जिला प्रशासन ने 15 अगस्त 2017 में पांच स्कूलों से उन्नयन की शुरुआत की थी। स्कूल में उपलब्ध टीवी और मोबाइल फोन की मदद से शिक्षा घर-घर तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय और स्कूल ऑन व्हील दोनों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ने में सहूलियत हो रही है। मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय के माध्यम से बच्चे अपने घर बैठे ही इकोवेशन से जुड़कर अपनी पढ़ाई को नया आयाम दे रहे हैं। जबकि स्कूल ऑन व्हील एक ऐसा वाहन है जिसमें एलसीडी लगी है। जो किसी भी स्थान पर लगाकर चलते फिरते स्कूल के रूप में तब्दील हो सकती है। यह प्रयोग बेलहर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में काफी सफल रहा।

निर्मल लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का किया गया है प्रयोग
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि आने वाली पीढ़ी को बेहतरीन पीढ़ी बनाना है। हमारे यहां पीढ़ियों से चली आ रही क्लासिक चॉक एंड टॉक मॉडल पर शिक्षा आधारित है। अभी के जनरेशन के बच्चे व्हाट्सएप, फेसबुक सोशल मीडिया, यूट्यूब जैसे मल्टीमीडिया के कंटेंट्स को लगातार आसानी से यूज कर रहे हैं। इसलिए पीढ़ियों से चली आ रही पद्धति में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित चीजों को जोड़ कर पढ़ाई को और सुगम और सरल बनाने का उन्नयन एक प्रयास है। जिससे बच्चे अच्छी तरह से समझ सके। क्वालिटी एजुकेशन सुदूरवर्ती इलाकों के साथ-साथ समाज में हासिये पर रहे परिवार के बच्चे तक कैसे क्वालिटी एजुकेशन पहुंचे। उन्नयन के माध्यम से लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का समावेशन कर लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का का उपयोग कोशिश किया गया है।

उन्नयन कंप्लीट साइकिल ऑफ लर्निंग है
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन को कंपलीट साइकिल ऑफ़ लर्निंग के तहत रखा गया है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर घर के बच्चों तक पहुंचाने के लिए उनमें इनोवेटिव मॉडल के तहत लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और मल्टीमीडिया पर आधारित कंटेंट को जोड़कर पढ़ाई को सुगम और सरल बनाया गयाहै। क्वालिटी एजुकेशन हर बच्चे तक कैसे पहुंचे इसके लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का कोशिश किया गया है।
इसमें सबसे पहले बच्चे कांसेप्ट वीडियो से थ्री डी एनिमेटेड पिक्चर,वीएफएक्स, मल्टीकलर के माध्यम से टीवी पर ऑफ लाइन मोड में पाठ को समझाया जाता है। वीडियो 5 से 10 मिनट का रास्ता है चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट के सुझाव पर ऐसा किया गया है। साथ ही ऐसी सरल भाषा में होता है कि जिसे समझना काफी आसान हो जाता है। बच्चों को सिर्फ पढ़ा देना ही ज्ञान को पूरा नहीं करता है, इसलिए मॉडल का दूसरा सबसे जरूरी भाग टेस्ट और मूल्यांकन को विकसित किया गया।

बच्चों का तैयार होता है डिजिटल रिपोर्ट कार्ड
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि क्वालिटी एजुकेशन मन लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का उपयोग कर बिग डाटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , मशीन लर्निंग, ओसीआर टेक्नोलॉजी का समावेशन किया गया है। उन्नयन के तहत संचालित स्मार्ट क्लास पूर्ण होने के बाद बच्चों का डेली और वीकली टेस्ट लिया जाता है और हर बच्चे का डिजिटल रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों को जिस प्रकार अंक आते हैं उनके अनुसार फीडबैक भी दिया जाता है। टेस्ट ओएमआर शीट पर लिया जाता है और मोबाइल के माध्यम से ही स्कैन कर बच्चों का डिजिटल रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाता है।इससे यह भी पता चल जाता है कि बच्चे किस विषय में कमजोर है। बच्चों की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्नयन ऐप भी बनाया गया है। उन्नयन का कंपलीट फोकस कंटेंट पर आधारित है ताकि जटिल टॉपिक को भी बड़ी आसानी से समझा जा सके। उन्नयन ऐप दिल्ली आईआईटी के युवा स्नातक के ग्रुप द्वारा इकोवेशन से तैयार किया गया है। जहां बच्चे मोबाइल के माध्यम से प्रश्न पूछ सकते हैं। उन्नयन से जुड़े ग्लोबल एक्सपोर्ट बच्चों की जिज्ञासा को शांत करते हैं और उनके प्रश्नों का सरल भाषा में जवाब देते हैं।

स्कूली शिक्षा पर पड़ा है व्यापक असर
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन प्रोजेक्ट आने से पहले सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बेहद खराब रहती थी। महज 45.06% बच्चे ही स्कूल आते थे। उन्नयन प्रोजेक्ट चालू होने के बाद बच्चों की उपस्थिति में इजाफा हुआ और यह बढ़कर 80.40% तक पहुंच गया। वही बोर्ड परीक्षा में मात्र 38% बच्चे ही पास कर पाते थे। उन्नयन प्रोजेक्ट आने के बाद पढ़ाई के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुआ और बोर्ड परीक्षा में रिजल्ट का ग्राफ बढ़कर 73% तक चला गया। अब टॉपर्स भी सामने आने लगे हैं बोर्ड की परीक्षा में अत्यंत पिछड़ा का बेटा बिहार का 14 वां टॉपर रहा था। वर्तमान में बच्चों की संख्या स्कूलों में अधिक होने लगी है इसके लिए अतिरिक्त वर्ग कक्ष का निर्माण कराकर सभी सामग्री मुहैया कराया गया है।

मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय बना बचपन क्लासरूम
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन का मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय काफी प्रभावी हो रहा है यह एक वर्चुअल क्लासरूम में तब्दील हो चुका है। सिर्फ 10 वीं कक्षा की बात की जाए 1लाख 21 हजार से अधिक बच्चे मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय के तहत उन्नयन ऐप से जुड़कर पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि अन्य वर्ग का डाटा अलग है। उन्होंने आगे बताया कि जिला के दूरस्थ क्षेत्र में स्थित शाहपुर हाई स्कूल की मौसम रानी 10वीं की छात्रा थी और स्कूल आने के क्रम में दुर्घटनाग्रस्त हो गई मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय के माध्यम से उन्हें ऐप पर पूरी कोर्स की पढ़ाई की और 86% मैट्रिक में अंक लाई। इससे प्रतीत होता है कि पढ़ाई अब हर घर पहुंच रहा है।

दूरस्थ क्षेत्रों के लिए स्कूल ऑन व्हील भी किया गया है चालू
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि सुदूरवर्ती इलाकों में जहां बिजली और इंटरनेट की कनेक्टिविटी नहीं है वैसे इलाकों के लिए स्कूल ऑन व्हील कार्यक्रम की शुरुआत की गई है इसमें स्कूल वैन पर एलईडी लगा रहता है और बच्चों को उन्नयन के तहत पढ़ाए जाने वाले कोर्स से बच्चों को लाभान्वित किया जाता है स्कूल ऑन व्हील मुहिम भी काफी कारगर साबित हो रहा है

6 राज्यों में बिहार उन्नयन के तहत हो रही है पढ़ाई
बिहार उन्नयन का कारण लगातार बढ़ता जा रहा है बिहार के 6 हजार स्कूलों के अलावा देश के 6 राज्यों में भी उन्हें संचालित हो रहा है। जिसमें झारखंड, उत्तराखंड, उड़ीसा, अरुणाचल प्रदेश सहित अन्य राज्य शामिल है और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

उन्नयन प्रोजेक्ट को मिल चुका है कई अवार्ड
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 में सिविल सेवा दिवस के अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों डीएम कुंदन कुमार प्राइम मिनिस्टर्स एक्सलेंस अवार्ड ग्रहण किया। यूनेस्को ने वैश्विक स्तर पर इस को सराहा तथा कॉमनवेल्थ इंटरनेशनल इनोवेशन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। सिंगापुर और मॉरीशस को पछाड़कर उन्नयन भारत के लिए अवार्ड जीता था। विदेशों में भी इसे खूब सराहा जा रहा है क्योंकि अब बहुत सस्ता और कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता है। इसके अलावा चैंपियन ऑफ चेंज सहित अब तक उन्नयन प्रोजेक्ट को दर्जनों अवार्ड मिल चुका है।

उन्नयन के माध्यम से दो हजार युवाओं को मिल चुका है जॉब
उन्नयन प्रोजेक्ट का दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण पहलू में से एक है युवाओं को रोजगार मुहैया कराना। इसके तहत जिलेभर के 2 हजार से अधिक युवाओं को टीसीएस, सुजुकी, यामहा लार्सन एंड टर्बो, लावा जैसी मल्टीनेशनल कंपनी नॉन टेक्निकल बैकग्राउंड के बच्चों को में जॉब मिला है। रोजगार मुहैया कराने के लिए बांका के डीआरसीसी भवन में मल्टीनेशनल कंपनी के सहयोग से स्पेशल ब्रिज कोर्स चलाया जाता है। इसमें वैसे बच्चों को जब मिला है जो अत्यंत गरीब घर से आते हैं मिसाल के तौर पर प्रदीप हेंब्रम अपने गांव का पहला ग्रेजुएट है और सोम्या बस चलाने वाले की बेटी है।

उन्नयन में किया गया अभिनव प्रयोग
डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि उन्नयन में एक अभिनव प्रयोग किया गया है। सभी स्कूलों में उन्नयन मंच लागू किया गया है। इसके तहत अगर शिक्षक अवकाश पर हैं और विद्यालय नहीं आते हैं तो बच्चे भी कक्षा का संचालन कर सकते हैं। इससे बच्चों का पढ़ाई के प्रति झुकाव तो पैदा हुआ ही है साथ ही शिक्षक और छात्र का रिश्ता भी प्रगाढ़ हो रहा है।

उन्नयन एक बेहतर प्लेटफार्म
उन्नयन से लाभान्वित होने वाली छात्रा सुरभि झा, साक्षी कुमारी, काजल कुमारी राजनंदनी, स्मृति कुमारी एवं छात्र निलेश कुमार सहित अन्य ने बताया कि उन्हें एक बेहतर प्लेटफार्म है पढ़ाई के दौरान जो भी समस्याएं आती हैं। उसे ऑडियो और वीडियो के माध्यम से बार-बार रिपीट कर सॉल्व कराया जाता है। शिक्षक स्कूल में ना भी हो तो आसानी से उन्नयन के माध्यम से पढ़ सकते हैं। वीडियो में जो इमेजिनेशन बनाता है वह ज्यादा इंटरेक्ट करता है। जिससे पढ़ाई और रोचक लगने लगती है।

शिक्षक अनिल कुमार झा ने बताया कि स्कूलों में उन्नयन चालू होने से बच्चों में पढ़ाई के प्रति लगाव जुड़ा है। बच्चे ज्यादा संख्या में आने लगे हैं पाठ सामग्री को तीन से चार बार बताया जाता है। शिक्षिका अर्चना सिंह ने बताया कि उन्नयन में कुछ पाठ सामग्री बहुत स्पेसिफिक है। जो कि बच्चों के लिए हेल्पफुल है। फोटोग्राफ के माध्यम से एडिट फॉर्म में हर नजरिए से बच्चे को बताया जाता है। वर्तमान में मैथ्स, साइंस, सोशल साइंस, इंग्लिश और हिंदी की पढ़ाई होती है। शिक्षक डॉ. रमेश झा ने बताया कि उन्नयन बच्चों के लिए बहुत लाभकारी है। सब्जेक्टिव और ऑब्जेक्टिव दोनों प्रकार से प्रश्न को आसानी से बच्चे समझ लेते हैं। सबसे अधिक कठिनाइयां बिजली को लेकर थी। हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत बैटरी और इनवर्टर लेना पड़ा। अब निर्बाध रूप से उनका कक्षा संचालन होने लगा।



Conclusion:डीएम कुंदन कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 अगस्त को बिहार उन्नयन को पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्देश जारी किया था। जिसे 5 सितंबर को 6 हजार स्कूलों में एक साथ चालू किया गया। साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी विषयों में पढ़ाई कराने की बात कही थी। उन्नयन में अब सातवीं और आठवीं कक्षा को भी जोड़ने का शिक्षा विभाग की मदद से प्रयास किया जा रहा है। इसमें शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। हाल ही में बांका के बोसी में 38 जिलों के शिक्षक प्रतिनिधियों को उन संचालन के बारे में दो दिनों तक प्रशिक्षण दिया गया है। तकनीक का उपयोग कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को जन सुलभ बनाने का यह प्रयास उन्नयन बिहार डिजिटल भारत का बेहतरीन उदाहरण पेश करता है। युवाओं में ज्ञान का प्रकाश फैला रहा है और नई ऊर्जा का संचार कर रहा है। साथ ही नया रंग भी भरने का काम कर रहा है।

बाईट- सुरभि झा, छात्रा
बाईट- साक्षी कुमारी, छात्रा
बाईट- काजल कुमारी, छात्रा
बाईट- नीलेश कुमार, छात्र
बाईट-राजनंदनी कुमारी, छात्रा
बाईट- स्मृति कुमारी, छात्र
बाईट- अनिल कुमार झा, शिक्षक
बाईट- अर्चना सिंह, शिक्षिका
बाईट- डॉ. रमेश झा, शिक्षक
बाईट- कुंदन कुमार, डीएम बांका
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