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बांका: बारिश के बाद हर बार हो जाते हैं बाढ़ जैसे हालात, शिकायत के बावजूद प्रशासन बेसुध

नगर परिषद का हिस्सा रहने के बावजूद बांका का वार्ड नंबर 19 विकास से कोसों दूर है. नदी में पुल नहीं होने के कारण हर साल बारिश के मौसम में आमजनों की परेशानी बढ़ जाती है.

गांव में नहीं हुआ विकास कार्य
गांव में नहीं हुआ विकास कार्य
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Published : Aug 3, 2020, 7:15 PM IST

बांका: बांका नगर परिषद ने अपने स्थापना काल से विकास के कई आयाम गढ़े हैं. इसके बावजूद कुछ ऐसे वार्ड हैं जो अब भी विकास से कोसों दूर हैं. बारिश के बाद इस इलाके के लोगों की मुसीबत दोगुनी हो जाती है. बावजूद सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है.

दरअसल, नगर परिषद वार्ड संख्या 19 के चुड़ैली और विदायडीह को शहरी क्षेत्र से ओढ़नी नदी अलग करती है. 450 घरों की लगभग 3 हजार की आबादी को इस नदी पर पुल नहीं रहने की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हर साल मानसून के दिनों में बच्चों की पढ़ाई से लेकर लोगों से रोजगार तक छिन जाते हैं.

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नदी में नहीं है पुल

राजस्व मंत्री के इलाके में बदहाली
हैरत की बात तो यह है कि बांका का यह वार्ड बिहार के राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल के विधानसभा क्षेत्र के अधीन आता है. साथ ही 1984 से लेकर अब तक बांका नगर परिषद को इसी वार्ड ने सभापति दिया है. यहां के लोग लंबे अरसे से ओढनी नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा आज तक कुछ नहीं मिला है.

शुरू से रहा है राजनीतिक उपेक्षा का शिकार
चुड़ैली के मो. सज्जाद अंसारी बताते हैं कि रास्ता सुगम बनाने के लिए किसी प्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया. जब से नगर परिषद बना है इतिहास गवाह रहा है कि नगर परिषद को हर बार यहां के लोगों ने सभापति दिया है. इसके बावजूद कोई सुविधा नहीं मिल सकी है. बारिश के दिनों में किसी की तबियत अगर खराब हो जाए तो अस्पताल जाने के लिए 8 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है. वहीं विदायडीह के माधो दास ने बताया कि नदी में पानी भर जाने के बाद रास्ता बंद हो जाता है. बीमार लोग भी घर में ही रहने को मजबूर हो जाते हैं.

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बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात

मानसून में बंद हो जाती है पढ़ाई
छात्र तौफीक ने बताया कि नदी में पानी आ जाने के बाद वे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. इस वार्ड में प्राइमरी स्कूल तक की पढ़ाई होती है. बारिश के दिनों में शहर स्थित मिडिल और हाई स्कूल जाने के लिए पैदल लंबा फासला तय करना पड़ता है. ट्यूशन भी जाना मुश्किल हो जाता है. हालांकि कोरोना की वजह से अभी स्कूल बंद है. लेकिन हर साल यह समस्या चुनौती बन जाती है. विदायडीह के मो. फारूक अंसारी बताते हैं कि किसी भी काम के लिए बांका ही जाना होता है. ऐसे में यदि नदी पर पुल बन जाता तो काफी सहूलियत होती.

बांका: बांका नगर परिषद ने अपने स्थापना काल से विकास के कई आयाम गढ़े हैं. इसके बावजूद कुछ ऐसे वार्ड हैं जो अब भी विकास से कोसों दूर हैं. बारिश के बाद इस इलाके के लोगों की मुसीबत दोगुनी हो जाती है. बावजूद सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है.

दरअसल, नगर परिषद वार्ड संख्या 19 के चुड़ैली और विदायडीह को शहरी क्षेत्र से ओढ़नी नदी अलग करती है. 450 घरों की लगभग 3 हजार की आबादी को इस नदी पर पुल नहीं रहने की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हर साल मानसून के दिनों में बच्चों की पढ़ाई से लेकर लोगों से रोजगार तक छिन जाते हैं.

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नदी में नहीं है पुल

राजस्व मंत्री के इलाके में बदहाली
हैरत की बात तो यह है कि बांका का यह वार्ड बिहार के राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल के विधानसभा क्षेत्र के अधीन आता है. साथ ही 1984 से लेकर अब तक बांका नगर परिषद को इसी वार्ड ने सभापति दिया है. यहां के लोग लंबे अरसे से ओढनी नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा आज तक कुछ नहीं मिला है.

शुरू से रहा है राजनीतिक उपेक्षा का शिकार
चुड़ैली के मो. सज्जाद अंसारी बताते हैं कि रास्ता सुगम बनाने के लिए किसी प्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया. जब से नगर परिषद बना है इतिहास गवाह रहा है कि नगर परिषद को हर बार यहां के लोगों ने सभापति दिया है. इसके बावजूद कोई सुविधा नहीं मिल सकी है. बारिश के दिनों में किसी की तबियत अगर खराब हो जाए तो अस्पताल जाने के लिए 8 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है. वहीं विदायडीह के माधो दास ने बताया कि नदी में पानी भर जाने के बाद रास्ता बंद हो जाता है. बीमार लोग भी घर में ही रहने को मजबूर हो जाते हैं.

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बारिश के बाद बाढ़ जैसे हालात

मानसून में बंद हो जाती है पढ़ाई
छात्र तौफीक ने बताया कि नदी में पानी आ जाने के बाद वे पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. इस वार्ड में प्राइमरी स्कूल तक की पढ़ाई होती है. बारिश के दिनों में शहर स्थित मिडिल और हाई स्कूल जाने के लिए पैदल लंबा फासला तय करना पड़ता है. ट्यूशन भी जाना मुश्किल हो जाता है. हालांकि कोरोना की वजह से अभी स्कूल बंद है. लेकिन हर साल यह समस्या चुनौती बन जाती है. विदायडीह के मो. फारूक अंसारी बताते हैं कि किसी भी काम के लिए बांका ही जाना होता है. ऐसे में यदि नदी पर पुल बन जाता तो काफी सहूलियत होती.

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