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बांका: संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था

संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. जिसके कारण कोरोना के संदिग्धों की भी सैंपलिंग पिछले दो दिनों से नहीं हो पा रही है. जिले के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत 80 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी 17 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे हुए हैं.

बांका
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Published : Jul 22, 2020, 9:22 PM IST

बांका: जिले में संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. 17 सूत्री मांगों को लेकर जिले के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत 80 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से अस्पतालों में मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

खासकर कोरोना जांच बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. पिछले दो दिनों से एक भी संदिग्धों की सैंपलिंग नहीं हो पाई है. वहीं स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि कोरोना काल में भी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं. लेकिन सरकार जरा सा ख्याल नहीं रख रही है और हमारी मांगों को पूरा करने में आनाकानी कर रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'स्वास्थ्य कर्मियों को मिले 25 लाख का अनुदान'
स्वास्थ विभाग में लेखपाल के पद पर कार्यरत सोमेश झा ने बताया कि कोरोना काल में 24 घंटे समर्पित होकर लगातार काम कर रहे हैं. साथ ही स्थिति को नियंत्रित रखने का भरसक कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सरकार की ओर से ना ही कोई लाभ मिल रहा है और ना ही अब तक कोई आश्वासन मिला है. सरकार सुरक्षा की गारंटी भी नहीं देती है. हमारी मांग है कि अगर कोरोना की इस लड़ाई में किसी कर्मी की मौत हो जाती है, तो उनके परिवार को 25 लाख का अनुदान मिले.

'फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा को नहीं किया गया लागू'
डीपीएम प्रभास कुमार राजू ने बताया कि 17 सूत्री मांगों को लेकर संविदा पर बाहर स्वास्थ्य कर्मी और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. हमारी मांग है कि वेतन की पुनरीक्षण हो, प्रमंडलीय केडर पर भी पहल की जाए. स्वास्थ्य कर्मी के मौत होने पर परिजनों को अनुदान का लाभ मिले. इन मांगों को पहले भी सरकार के समक्ष उठाया गया था. लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला. इसे लागू नहीं किया गया.

इसके अलावा फिटमेंट कमिटी में भी जो अनुशंसा की गई थी, उसे भी लागू नहीं किया गया. स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से पूरी व्यवस्था ठप है. कोई काम नहीं हो पा रहा है. सरकार से हमारी मांग है कि इस विपदा की घड़ी में जल्द से जल्द हमारी मांगों पर विचार करते हुए पूरा करे.

बांका: जिले में संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. 17 सूत्री मांगों को लेकर जिले के विभिन्न अस्पतालों में कार्यरत 80 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से अस्पतालों में मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

खासकर कोरोना जांच बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. पिछले दो दिनों से एक भी संदिग्धों की सैंपलिंग नहीं हो पाई है. वहीं स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि कोरोना काल में भी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं. लेकिन सरकार जरा सा ख्याल नहीं रख रही है और हमारी मांगों को पूरा करने में आनाकानी कर रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

'स्वास्थ्य कर्मियों को मिले 25 लाख का अनुदान'
स्वास्थ विभाग में लेखपाल के पद पर कार्यरत सोमेश झा ने बताया कि कोरोना काल में 24 घंटे समर्पित होकर लगातार काम कर रहे हैं. साथ ही स्थिति को नियंत्रित रखने का भरसक कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सरकार की ओर से ना ही कोई लाभ मिल रहा है और ना ही अब तक कोई आश्वासन मिला है. सरकार सुरक्षा की गारंटी भी नहीं देती है. हमारी मांग है कि अगर कोरोना की इस लड़ाई में किसी कर्मी की मौत हो जाती है, तो उनके परिवार को 25 लाख का अनुदान मिले.

'फिटमेंट कमेटी की अनुशंसा को नहीं किया गया लागू'
डीपीएम प्रभास कुमार राजू ने बताया कि 17 सूत्री मांगों को लेकर संविदा पर बाहर स्वास्थ्य कर्मी और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है. हमारी मांग है कि वेतन की पुनरीक्षण हो, प्रमंडलीय केडर पर भी पहल की जाए. स्वास्थ्य कर्मी के मौत होने पर परिजनों को अनुदान का लाभ मिले. इन मांगों को पहले भी सरकार के समक्ष उठाया गया था. लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला. इसे लागू नहीं किया गया.

इसके अलावा फिटमेंट कमिटी में भी जो अनुशंसा की गई थी, उसे भी लागू नहीं किया गया. स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से पूरी व्यवस्था ठप है. कोई काम नहीं हो पा रहा है. सरकार से हमारी मांग है कि इस विपदा की घड़ी में जल्द से जल्द हमारी मांगों पर विचार करते हुए पूरा करे.

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