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बांकाः बंपर उत्पादन के बाद भी नहीं हो रही बिक्री, लॉकडाउन में परेशान हैं मधुमक्खी पालक - होममेड उत्पाद

सरकार के मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के की योजना से किसान उत्साहित हैं और जल्द ही बांका में प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. जिससे इसे मध उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जा सकेगा.

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Published : May 19, 2020, 9:50 PM IST

बांकाः मधुमक्खी पालन में उत्तरी बिहार खासकर मुजफ्फरपुर का दबदबा माना जाता रहा है. लेकिन बांका के किसानों ने इस मिथक को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है. जिले में इस बार 179 से अधिक किसानों ने रिकॉर्ड 50 क्विंटल से अधिक मध का उत्पादन किया है. लेकिन लॉकडाउन से इसकी बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है. जिससे किसान परेशान हैं.

देखें रिपोर्ट

लॉकडाउन से बिक्री पर पड़ा असर
इंटीग्रेटेड फार्मिंग को जिले में एक नया आयाम देने वाले किसान रिपुसदन सिंह वे बताया कि इस बार उन्होंने 27 क्विंटल मध का उत्पादन किया जो 40 क्विंटल तक हो सकती थी. मधुमक्खी के बक्से को अनुकूल वातावरण के लिए झारखंड भेजना था लेकिन लॉकडाउन में ट्रांसपोर्टेशन की कमी की वजह से नहीं भेज पाया.

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तैयार मध

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा से किसान उत्साहित
किसान रिपुसदन सिंह ने बताया कि लॉकडाउन का मध की बिक्री पर भी व्यापक असर पड़ रहा है. हालांकि सरकार के मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के की योजना से किसान उत्साहित हैं और जल्द ही बांका में प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. जिससे इसे मध उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जा सकेगा.

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मध तैयार करते पालक

होममेड उत्पाद तैयार
रिपुसदन सिंह ने बताया कि वे मध की ब्रांडिंग के लिए बांका हनी नाम से होममेड उत्पाद तैयार कर रहे हैं. इसको धीरे-धीरे बाजार में भी उतारा जा रहा है. वहीं एक अन्य किसान अजीत ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन से मध बिक्री में खासी परेशानी हो रही है.

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मध की पैकिंग करते पालक

बांटे गए 7 हजार बक्से
वहीं, जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए जिले में 180 किसानों के बीच अनुदानित दर पर 7 हजार बक्से बांटे गए हैं. उन्होंने बताया कि बांका के मध को देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने के लिए कुछ कंपनियों ने रुचि दिखाई है और यहां से मध खरीद भी रहे हैं.

बांकाः मधुमक्खी पालन में उत्तरी बिहार खासकर मुजफ्फरपुर का दबदबा माना जाता रहा है. लेकिन बांका के किसानों ने इस मिथक को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है. जिले में इस बार 179 से अधिक किसानों ने रिकॉर्ड 50 क्विंटल से अधिक मध का उत्पादन किया है. लेकिन लॉकडाउन से इसकी बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है. जिससे किसान परेशान हैं.

देखें रिपोर्ट

लॉकडाउन से बिक्री पर पड़ा असर
इंटीग्रेटेड फार्मिंग को जिले में एक नया आयाम देने वाले किसान रिपुसदन सिंह वे बताया कि इस बार उन्होंने 27 क्विंटल मध का उत्पादन किया जो 40 क्विंटल तक हो सकती थी. मधुमक्खी के बक्से को अनुकूल वातावरण के लिए झारखंड भेजना था लेकिन लॉकडाउन में ट्रांसपोर्टेशन की कमी की वजह से नहीं भेज पाया.

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तैयार मध

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा से किसान उत्साहित
किसान रिपुसदन सिंह ने बताया कि लॉकडाउन का मध की बिक्री पर भी व्यापक असर पड़ रहा है. हालांकि सरकार के मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के की योजना से किसान उत्साहित हैं और जल्द ही बांका में प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. जिससे इसे मध उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बनाया जा सकेगा.

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मध तैयार करते पालक

होममेड उत्पाद तैयार
रिपुसदन सिंह ने बताया कि वे मध की ब्रांडिंग के लिए बांका हनी नाम से होममेड उत्पाद तैयार कर रहे हैं. इसको धीरे-धीरे बाजार में भी उतारा जा रहा है. वहीं एक अन्य किसान अजीत ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन से मध बिक्री में खासी परेशानी हो रही है.

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मध की पैकिंग करते पालक

बांटे गए 7 हजार बक्से
वहीं, जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए जिले में 180 किसानों के बीच अनुदानित दर पर 7 हजार बक्से बांटे गए हैं. उन्होंने बताया कि बांका के मध को देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने के लिए कुछ कंपनियों ने रुचि दिखाई है और यहां से मध खरीद भी रहे हैं.

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