अररिया: मिथिला में मछली, पान और मखाना का काफी महत्व है. यहां के लोग मखाना का पूजा-पाठ से लेकर आम जिंदगी में भी उपयोग करते हैं. वहीं, अररिया जिला भी मखाना के लिए कभी अपनी पहचान रखता था लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण आज यह मखाना उद्योग सिमटता जा रहा है.
अररिया में कुल एक सौ परिवार ही ऐसे बचे हैं जो मखाना फोड़ने का काम करते हैं. अररिया का मखाना काफी अच्छी क्वालिटी का होने के कारण भारत के अलग-अलग राज्यों में इसकी काफी डिमांड है. लेकिन इससे जुड़े लोग बदहाली का जिंदगी जीने को मजबूर हैं. मखाना फोड़ने वाले परिवार मुफलिसी में जिंदगी गुजारते हैं. बच्चे बड़े सभी इस काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं लेकिन परिणाम स्वरूप इन्हें उतना फायदा नहीं हो पाता है जितना बिचौलिए उठा लेते हैं.
सरकार से सहयोग की अपेक्षा
अररिया स्थित महादेव चौक के प्रमोद कुमार का पूरा परिवार मखाना फोड़ने के काम में जुटा है. प्रमोद ईटीवी भरते से बातचीत में बताते हैं कि सरकार से अब तक सहयोग नहीं मिल पाया है. अगर सरकार इस कार्य में सहयोग करे तो इस काम में जुटे लोगों को राहत मिलेगा. प्रमोद ने बताया कि इस काम में पूरे परिवार के लोग लगे रहते हैं. उन्होने बताया कि महादेव चौक में 51 परिवार मखाना के काम में जुटा है.
250 से लेकर ₹600 तक बिकता है अररिया का मखाना
बता दें कि वर्तमान में अररिया का मखाना 250 से लेकर ₹350 तक बिकता है. जबकि बाजार में पैकिंग किया हुआ मखाना 400 से ₹600 तक मिल रहा है. इससे कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है इससे जुड़ा कोई उद्योग नहीं लगाया गया है. जिसकी वजह से इस कारोबार से जुड़े लोगों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. बिना सरकारी मदद के यह कारोबार सिमटता जा रहा है.