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अररियाः सरकारी अनदेखी के कारण सिमट रहा मखाना कारोबार

इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है सरकार से अब तक कोई मदद नहीं मिल पायी है. जिसकी वजह से इस कारोबार से जुड़े लोगों की स्थिति बिगड़ती जा रही है.

मखाना कारोबार
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Published : Nov 24, 2019, 9:58 PM IST

अररिया: मिथिला में मछली, पान और मखाना का काफी महत्व है. यहां के लोग मखाना का पूजा-पाठ से लेकर आम जिंदगी में भी उपयोग करते हैं. वहीं, अररिया जिला भी मखाना के लिए कभी अपनी पहचान रखता था लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण आज यह मखाना उद्योग सिमटता जा रहा है.

अररिया में कुल एक सौ परिवार ही ऐसे बचे हैं जो मखाना फोड़ने का काम करते हैं. अररिया का मखाना काफी अच्छी क्वालिटी का होने के कारण भारत के अलग-अलग राज्यों में इसकी काफी डिमांड है. लेकिन इससे जुड़े लोग बदहाली का जिंदगी जीने को मजबूर हैं. मखाना फोड़ने वाले परिवार मुफलिसी में जिंदगी गुजारते हैं. बच्चे बड़े सभी इस काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं लेकिन परिणाम स्वरूप इन्हें उतना फायदा नहीं हो पाता है जितना बिचौलिए उठा लेते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार से सहयोग की अपेक्षा
अररिया स्थित महादेव चौक के प्रमोद कुमार का पूरा परिवार मखाना फोड़ने के काम में जुटा है. प्रमोद ईटीवी भरते से बातचीत में बताते हैं कि सरकार से अब तक सहयोग नहीं मिल पाया है. अगर सरकार इस कार्य में सहयोग करे तो इस काम में जुटे लोगों को राहत मिलेगा. प्रमोद ने बताया कि इस काम में पूरे परिवार के लोग लगे रहते हैं. उन्होने बताया कि महादेव चौक में 51 परिवार मखाना के काम में जुटा है.

araria
मखाना कारोबार में जुटा युवक

250 से लेकर ₹600 तक बिकता है अररिया का मखाना
बता दें कि वर्तमान में अररिया का मखाना 250 से लेकर ₹350 तक बिकता है. जबकि बाजार में पैकिंग किया हुआ मखाना 400 से ₹600 तक मिल रहा है. इससे कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है इससे जुड़ा कोई उद्योग नहीं लगाया गया है. जिसकी वजह से इस कारोबार से जुड़े लोगों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. बिना सरकारी मदद के यह कारोबार सिमटता जा रहा है.

अररिया: मिथिला में मछली, पान और मखाना का काफी महत्व है. यहां के लोग मखाना का पूजा-पाठ से लेकर आम जिंदगी में भी उपयोग करते हैं. वहीं, अररिया जिला भी मखाना के लिए कभी अपनी पहचान रखता था लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण आज यह मखाना उद्योग सिमटता जा रहा है.

अररिया में कुल एक सौ परिवार ही ऐसे बचे हैं जो मखाना फोड़ने का काम करते हैं. अररिया का मखाना काफी अच्छी क्वालिटी का होने के कारण भारत के अलग-अलग राज्यों में इसकी काफी डिमांड है. लेकिन इससे जुड़े लोग बदहाली का जिंदगी जीने को मजबूर हैं. मखाना फोड़ने वाले परिवार मुफलिसी में जिंदगी गुजारते हैं. बच्चे बड़े सभी इस काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं लेकिन परिणाम स्वरूप इन्हें उतना फायदा नहीं हो पाता है जितना बिचौलिए उठा लेते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार से सहयोग की अपेक्षा
अररिया स्थित महादेव चौक के प्रमोद कुमार का पूरा परिवार मखाना फोड़ने के काम में जुटा है. प्रमोद ईटीवी भरते से बातचीत में बताते हैं कि सरकार से अब तक सहयोग नहीं मिल पाया है. अगर सरकार इस कार्य में सहयोग करे तो इस काम में जुटे लोगों को राहत मिलेगा. प्रमोद ने बताया कि इस काम में पूरे परिवार के लोग लगे रहते हैं. उन्होने बताया कि महादेव चौक में 51 परिवार मखाना के काम में जुटा है.

araria
मखाना कारोबार में जुटा युवक

250 से लेकर ₹600 तक बिकता है अररिया का मखाना
बता दें कि वर्तमान में अररिया का मखाना 250 से लेकर ₹350 तक बिकता है. जबकि बाजार में पैकिंग किया हुआ मखाना 400 से ₹600 तक मिल रहा है. इससे कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है इससे जुड़ा कोई उद्योग नहीं लगाया गया है. जिसकी वजह से इस कारोबार से जुड़े लोगों की स्थिति बिगड़ती जा रही है. बिना सरकारी मदद के यह कारोबार सिमटता जा रहा है.

Intro:मिथिलांचल की तरह अररिया में भी मखाना का कारोबार काफी फलता फूलता रहा था लेकिन सरकारी अनदेखी के कारण आज यह सिमटता जा रहा है, कुछ ही परिवार इससे अब जुड़ा रह गया है, जब की यहां का मखाना पूरे भारत में जाता है ।


Body:मिथिला में मछली पान और मखाना का काफी महत्व है लोग इसे पूजा पाठ से लेकर आम जिंदगी में खाने के काम में भी इसका उपयोग करते हैं । अररिया जिला भी मखाना के लिए कभी अपनी पहचान बनाता था लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण आज यह मखाना उद्योग सिमटताजा रहा है अब अररिया में कुल एक सौ परिवार ही ऐसे बचे हैं जो मखाना फोड़ने का काम करते हैं । अररिया का मखाना काफी अच्छी क्वालिटी का होने के कारण भारत के अलग-अलग राज्यों में जाता है लेकिन इससे जुड़े लोग आज बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं । मखाना फोड़ने वाले परिवार पूरी तरह से मुफलिसी में जिंदगी गुजारते हैं बच्चे बड़े सभी इस काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं लेकिन परिणाम स्वरूप इन्हें उतना फायदा नहीं हो पाता है जितना बिचौलिए उठा लेते हैं । आज अररिया का मखाना ढाई सौ से लेकर साडे तीन सौ तक का बिकता है । जबकि बाजार में पैक किया हुआ मखाना 400 से ₹600 तक मिल रहा है । इससे जुड़े लोगों का कहना है कभी भी हम लोगों पर सरकार ने नजर नहीं डाली ना ही इससे जुड़ा कोई उद्योग ही यहां बनाया इस वजह से आज हमारी स्थिति काफी बिगड़ती जा रही है और यह कारबार सिमटताजा रहा है ।
बाइट - प्रमोद कुमार, मखाना फोड़ने वाला ।


Conclusion:
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